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मनोज भार्गव, SHIVPURI. सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए जानकारी लेना आसान नहीं है। संबंधित अधिकारी या विभाग बड़ी मुश्किल से जानकारी देता है और वो भी अधूरी। ऐसा ही बैराड़ के आरटीआई एक्टिविस्ट माखन धाकड़ के साथ हुआ। माखन को पहले तो जानकारी दी ही नहीं। यही नहीं, माखन को अपील के लिए ग्वालियर से भोपाल तक जाना पड़ा। उन्हें 25 हजार रुपए खर्च करने पड़े। जब 9 हजार पेज की जानकारी माखन को मिली तो वे बाकायदा बैलगाड़ी पर ढोल-ढमाके के साथ उसे लेने पहुंचे।
भ्रष्टाचार उजागर करने के लिए लगाई थी आरटीआई
जानकारी के अनुसार, बैराड़ के आरटीआई एक्टीविट माखन धाकड़ ने बैराड़ नगर पंचायत के घोटालों को उजागर करने के लिए आरटीआई लगाई।
अब जब जानकारी मिली तो करीब 9 हजार पेज की जानकारी के लिए उनसे करीब 25 हजार रु जमा करवाये गए। 2 महीने तक घूमने के बाद उन्होंने अपील की। भोपाल से आदेश आने के बाद उन्हें इस आरटीआई के एवज में 25 हजार रुपए जमा कराने को कहा गया। माखन ने इतने पैसे की व्यवस्था ना होने पर कर्ज लेकर पैसे जमा कराए।
लंबे संघर्ष के बाद जानकारी मिली, पेज गिनने में 2 घंटे लगे
इतने संघर्ष के बाद माखन को जेब खाली जेब होने का दर्द तो था, लेकिन जानकारी मिलने की खुशी भी थी। माखन नगर परिषद बैराड़ कार्यालय बैलगाड़ी से पहुंचे। पेज गिनने के लिए चार लोगों को भी साथ ले गए, जिन्हें गिनने में 2 घंटे लग गए। फिर सिर पर कागज लेकर माखन ने खुद दस्तावेज बैलगाड़ी में रखे और ढोल नगाड़ों के साथ वो अपने कार्यालय के लिए रवाना हुए। इलाके में इस तरह के जश्न की चर्चा बनी हुई है।
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