देव श्रीमाली, GWALIOR. मास्टर प्लान किसी भी शहर के लिए बेहद अहम होता है। भविष्य में शहर का विकास कैसे होना है वो मास्टर प्लान तय करता है मगर शहर के विकास के भविष्य में यदि नेता अपना भविष्य तलाशने में जुट जाए तो फिर आरोप भी लगते हैं और उंगलियां भी उठती हैं। ऐसे ही आरोप और उंगलियां शिवराज सरकार के मंत्री भारत सिंह कुशवाह पर उठ रही हैं।
मंत्री भारत सिंह कुशवाह पर मास्टर प्लान रोकने का आरोप
शिवराज सरकार के मंत्री भारत सिंह कुशवाह पर आरोप है कि उन्होंने ग्वालियर के मास्टर प्लान को रुकवा दिया है और इसके लिए एक केंद्रीय मंत्री से दबाव बनवाया है। दबाव ऐसा कि मास्टर प्लान छपने के प्रिंटिंग प्रेस जा चुका था और वहां से वापस बुला लिया गया।
मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार
ऐतिहासिक शहर ग्वालियर शहर 2035 तक कैसा डेवलप होगा। इसके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार किया। 2021 में इसकी कवायद शुरू हुई, जैसा कि नियम है कि ड्राफ्ट तैयार होने पर दावे और आपत्तियां बुलाई जाती हैं, वो भी बुलाई गईं। इस पूरी प्रोसेस में 1 साल और लग गया। 2022 में सबकुछ फाइनल होने के बाद इसे सरकार के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया।
मास्टर प्लान में अड़ंगा लगाने का खेल
अब बस यही से शुरू होता है मास्टर प्लान में अड़ंगा लगाने का खेल। दरअसल, अड़ंगा लगाने का आरोप उद्यानिकी विभाग के मंत्री भारत सिंह कुशवाह पर है। सूत्रों की माने तो जैसे ही दावे आपत्तियों की सुनवाई के बाद मास्टर प्लान का ड्राफ्ट तैयार हुआ। उद्यानिकी मंत्री और ग्वालियर ग्रामीण से विधायक भारत सिंह ने एक नोटशीट विभागीय प्रमुख सचिव को भेजी और इसमें उन्होंने उनकी विधानसभा के केदारपुर और पिपरौली गांव के वार्डों को मास्टर प्लान में शामिल करने को कहा। अब इसके बाद जो कुछ भी घटनाक्रम हुआ उसी ने मास्टर प्लान को रोककर रखा है।
जब भारत सिंह ने प्रमुख सचिव को नोटशीट लिखी तो...
- प्रमुख सचिव ने भारत सिंह की नोटशीट को आपत्ति मानते हुए इसे टीएंडसीपी को भेज दिया।
अब सूत्र बताते हैं कि जब मंत्री भारत सिंह कुशवाह को पता चला कि उनकी मांग को खारिज करते हुए मास्टर प्लान तो छपने के लिए चला गया तो मंत्री एक्टिव हुए।
मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने...
- पहले प्रमुख सचिव को और फिर मंत्री भूपेंद्र सिंह को फोन लगाया।
नगरीय प्रशासन मंत्री की टेबल पर पड़ी है फाइल
इस सब के बाद मंत्रालय में नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह का फोन घनघनाया। भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट प्रकाशित न करें और उसकी फाइल बंगले पर भेज दी जाए। बस 10 फरवरी का वो दिन था, उसके बाद से आज तक ये फाइल मंत्री के बंगला ऑफिस में टेबल पर पड़ी है।
मास्टर प्लान में बदलाव के पीछे क्या वजह?
अब क्या मंत्री ने वाकई में क्षेत्र के विकास के लिए आपत्ति लगाई थी या फिर कोई और कारण है। कहा जा रहा है कि मंत्री भारत सिंह अपने कुछ लोगों को लाभ दिलाने के लिए ही मास्टर प्लान में बदलाव करवाना चाहते हैं। जिन लोगों को लाभ दिलाने की कोशिश है उनकी जमीन करीब पौने 200 बीघा बताई जाती है। बताया तो ये भी जा रहा है कि मास्टर प्लान में ये भूमि आवासीय घोषित हो जाएगी इसके अंदाज के चलते बिल्डर्स ने किसानों से गुपचुप तरीके से अनुबंध पर ये जमीन सस्ते में खरीद ली है। इससे करोड़ों रुपए का फायदा होना तय था, लेकिन मास्टर प्लान में इसे शामिल ही नहीं किया। इसलिए बिल्डर लॉबी का भी कहीं न कहीं दबाव है। ये आरोप कांग्रेस भी लगाती है, लेकिन मंत्री इन आरोपों को खारिज करते हैं।
ग्वालियर की जनता का नुकसान!
अब भले ही मंत्री विकास का हवाला दे रहे हो, मगर अंदर की कहानी कुछ और ही है। इसी वजह से मास्टर प्लान की फाइल मंत्री की टेबल पर पड़ी है। दूसरी बात ये है कि यदि मंत्री की मांगों को मास्टर प्लान में शामिल किया जाता है तो फिर नए सिरे दावे और आपत्तियों की कवायद करनी पड़ेगी। यानी ये मामला और लटक जाएगा और इससे नुकसान ग्वालियर की जनता का है।