BHOPAL. विधानसभा के बजट सत्र में प्रदेश में बेरोजगारी के मुद्दे पर बड़ा खुलासा हुआ है। कांग्रेस विधायक मेवालाल जाटव के सवाल का जवाब देते हुए सरकार ने बताया कि प्रदेश में 39 लाख रजिस्टर्ड बेरोजगार हैं। जाटव ने पूछा था कि प्रदेश के रोजगार कार्यालयों में प्रश्न करने की अवधि तक कितने शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगारों का पंजीयन हुआ था। इसके जवाब में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया की तरफ से लिखित जवाब में बताया गया कि प्रदेश में 37 लाख 80 हजार 679 शिक्षित और 1 लाख 12 हजार 470 अशिक्षित युवाओं का रोजगार कार्यालयों में पंजीयन किया गया है। इस अवधि में 21 आवेदकों को शासकीय और अर्धशासकीय कार्यालयों में रोजगार उपलब्ध कराया गया है।
निजी क्षेत्र में दिलाएं ढाई लाख रोजगार
सरकार ने इसी जवाब में युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार दिलाने का दावा किया है। सरकार ने बताया कि 2 लाख 51 हजार युवाओं को रोजगार मेलों में ऑफर लेटर दिए गए है। इस मामले में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी सरकार पर निशाना साधा है। जयवर्धन सिंह का कहना हैं कि एक तरफ सरकार कहती हैं कि 2007 से अब तक किए गए इंवेस्टर मीट्स से 2 लाख युवाओं को रोजगार मिला है। दूसरी तरफ कहती हैं कि रोजगार मेलों से ढ़ाई लाख युवाओं को रोजगार दिया है। तो फिर करोड़ों रुपए खर्च कर इंवेस्टर मीट कराने की जरूरत क्या है।
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सरकार का आर्थिक सर्वेक्षण जारी
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने 2022-23 का आर्थिक सर्वेक्षण आज जारी किया गया है जिसमें बताया गया कि 2011-12 की तुलना में 2022-23 में प्रति व्यक्ति आय 38 हजार 497 रुपएसे एक लाख 40 हजार 583 पहुंच गई है। प्रचलित भाव में यह बढ़ोतरी हुई है तो स्थिर भाव में यही प्रति व्यक्ति आय 38 हजार 497 से 11 साल में 65023 रुपए तक हो गई है।
जयवर्धन सिंह बजट पर सरकार को घेरा
पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बताया कि मप्र की भाजपा सरकार ने मप्र के विकास के लिए अपने बजट में (सप्लीमेंट्री सहित) 2 लाख 82 हजार 779.6 करोड़ रूपये से प्रदेश के विकास का ढिंढ़ोरा पीटा था। लेकिन केग के विनियोग लेखा में चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इस उपरोक्त बजट में से शिवराज सरकार ने 2021-22 में 39 हजार 786.2 करोड़ रू. खर्च ही नहीं किये, जिसमें से रेवेन्यु अकाउंट के हिस्से में 23 हजार 2 करोड़ और केपिटल अकाउंट में 16 हजार 784 करोड़ रूपये खर्च ही नहीं किये। रेवेन्यु अकाउंट में इतनी बड़ी राशि खर्च नहीं करने का अर्थ यह हुआ कि गरीबों के विकास की योजनाओं पर सीधा आघात किया गया, साथ ही केपिटल अकाउंट में खर्च नहीं करने का अर्थ है कि प्रदेश की अधोसंरचना विकास के साथ धोखा किया गया।
केंद्र सरकार ने दिया धोखा- जयवर्धन
जयवर्धन सिंह ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें प्रदेश के विकास को किस प्रकार गर्त में डाल रही है, यह चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। केंद्र प्रायोजित योजनाओं में 47 हजार 458 करोड़ रू. वर्ष 2022-23 में खर्च किये जाने थे, जिसमें से केंद्र सरकार द्वारा 32 हजार 556.34 करोड़ रू. प्रदेश को मिलने थे और राज्य सरकार द्वारा 14 हजार 901.7 करोड़ रू. खर्च किये जाने थे, मगर भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार ने प्रदेश के साथ इतना बड़ा धोखा किया कि 31 जनवरी 2023 तक केंद्र सरकार द्वारा अपने हिस्से में से सिर्फ 16 हजार 792 करोड़ रू. ही जारी किये। अर्थात लगभग 50 प्रतिशत राशि वर्ष अंत होने के दो माह पहले तक भी नहीं भेजी