BHOPAL,अरुण तिवारी. चुनावी साल में बीजेपी सरकार हर वो दांव आजमा रही है जो कारगर साबित हो सकता है। इसके लिए सरकार को कांग्रेस शासित राज्यों के मॉडल को कॉपी करने से गुरेज नहीं है। शिवराज सरकार के फोकस में अब गौ माता आ गई है। सड़कों पर घूमती साढ़े आठ लाख गाएं कहीं उसकी राह में रोड़ा न बन जाएं इसलिए सरकार ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर नई योजना तैयार की है। सरकार इस योजना के जरिए ये बताने की कोशिश कर रही है कि गाय पालना फायदे का सौदा है। किसान की आय दोगुनी होने में इसका बड़ा हाथ है। इसके लिए मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार, छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के रास्ते पर चलने जा रही है। शिवराज को भूपेश का एक प्लान पसंद आया है। उस प्लान का नाम बदलकर उसे मध्यप्रदेश में लागू किया जा रहा है। यानी गाय के सहारे शिवराज चुनावी वैतरणी पार करने की उम्मीद लगाकर बैठे हैं।
भूपेश की राह पर शिवराज
मध्यप्रदेश सरकार अब छत्तीगसढ़ की भूपेश सरकार की गोधन न्याय योजना को कॉपी करने जा रही है। चुनावी साल में सरकार गौ सेवा का छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाने जा रही है। प्रदेश सरकार अब गौपालकों से दो रुपए किलो गोबर खरीदेगी। इससे सरकार खाद बनाएगी और जैविक खेती के लिए किसानों को मुफ्त बांटेगी। इस योजना का नाम गोवर्धन न्याय योजना रखा गया है। हाल ही में गौ संवर्धन बोर्ड और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच हुई बैठक में इस योजना को अंतिम रुप दे दिया गया है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद ये योजना अब पूरे प्रदेश में लागू की जा रही है। इस योजना पर छत्तीसगढ़ का साया न पड़े इसलिए इसका नाम भी बदला गया है। गोधन न्याय योजना को मध्यप्रदेश में गोवर्धन न्याय योजना के नाम से लागू किया जा रहा है। गौ संवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद कहते हैं कि इस योजना पर सीएम की सहमति हो गई है,जल्द ही ये प्रदेश में लागू की जा रही है।
एक तीर से दो शिकार
एक साल पहले भी इस योजना को लागू करने की मसला सामने आया था लेकिन ये लागू नहीं हो पाई। अब चूंकि सरकार का हाल दूसरा है और ये साल भी दूसरा है। इस साल में चुनाव हैं तो आउट आफ फोकस हुई चीजों को फोकस में लाया जा रहा है। इस योजना के जरिए सरकार दो फायदे देख रही है। पहला ये कि गोबर बेचने के लिए किसान और गौपालक गायों को सड़क पर बेसहारा नहीं छोड़ेंगे। और दूसरा कि किसानों की आय में इजाफा होगा जिससे उनकी आय दोगुनी करने का मोदी सरकार का प्रयास सफल हो पाएगा। सरकार इस गोबर और गौमूत्र से बाब रामदेव की तरह गोनाइल,गोबर पेंट,अगरबत्ती जैसे प्रोडक्ट तैयार कर गौशालाओं को आत्मनिर्भर बना पाएगी। उम्मीद है कि इन सब प्रयासों का फायदा सरकार को चुनावों में मिल पाएगा।
प्रदेश में साढ़े आठ लाख बेसहारा गायें
सीएम ने हाल ही में पशुपालन विभाग की बैठक की। इस बैठक में बेसहारा गायों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई गई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 1 करोड़ 87 लाख गौ-वंश हैं। प्रदेश में कुल निराश्रित गौ-वंश की संख्या 8 लाख 54 हजार है। निराश्रित गौ-वंश के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा 627 गौ-शालाओं का संचालन किया जा रहा है। इसमें लगभग 1 लाख 84 हजार गौ-वंश हैं। मनरेगा में निर्मित 1 हजार 135 गौ-शालाओं में 93 हजार गौ-वंश हैं। साथ ही 1995 गौ-शालाएँ निर्माणाधीन एवं संचालन के लिए तैयार हैं। इनकी क्षमता 2 लाख गौ-वंश की है। बाकी 5 लाख 60 हजार गौ-वंश की व्यवस्था की जाना है। यही बेसहारा गाएं सरकार के लिए चिंता का बड़ा कारण हैं। सरकार की चिंता ये है कि कहीं बेसहारा गायों का ये मुद्दा लोगों की नाराजगी का बड़ा कारण न बन जाए।
छत्तीसगढ़ का सफल मॉडल
छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का मॉडल बहुत सफल माना गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इसको लेकर भूपेश सरकार की तारीफ कर चुके हैं। गोधन न्याय योजना के शुरु होने के बाद से दो सालों में योजना के हितग्राहियों, गौशाला समितियों और महिला स्व सहायता समूहों को लगभग 380 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान किया गया है। सरकार के मुताबिक यह राशि इन लोगों के लिए काफी बड़ी राशि है। सरकार के मुताबिक ग्रामीण गोबर बेचने से मिलने वाली राशि से अपने छोटे-छोटे सपने पूरे कर रहे हैं।