BHOPAL. मध्य प्रदेश की सरकार पर 3 लाख करोड़ से ज्यादा का कर्ज है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में सरकार ने 12 हजार करोड़ रुपए का ऋण लिया है। हालांकि, अब प्रदेश सरकार के राजस्व संग्रहण में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके बावजूद, प्रदेश सरकार ऋण से मुक्त नहीं हो पा रही है।
लगातार राज्य सरकार को घेर रहा है विपक्ष
मध्य प्रदेश में बढ़ रहे कर्ज को लेकर विपक्ष राज्य सरकार को घेर रहा है। विधानसभा सत्र के दौरान भी कांग्रेस द्वारा प्रस्तुत किए गए अविश्वास प्रस्ताव में यह प्रमुख मुद्दा चर्चा में रहा था। हालांकि, सरकार भी विपक्ष के हमलों का जबाव दे रही है। सरकार का दावा है कि अर्थव्यवस्था गतिशील बनी हुई है।
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अक्टूबर 2022 में एक हजार करोड़ का लिया था कर्ज
शिवराज सरकार ने अक्टूबर 2022 में भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से एक हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। यह कर्ज 15 साल के लिए लिया था। 31 मार्च 2022 की स्थिति में सरकार पर कुल 3 लाख 3 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। वित्त विभाग के नोटिफिकेशन के मुताबिक यह कर्ज विकास योजनाओं के लिए लिया गया था।
पूंजीगत व्यय रिकॉर्ड 43 हजार करोड़ होने पर केंद्र ने की थी सराहना
प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि पूंजीगत व्यय रिकॉर्ड 43 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच गया था। केंद्र सरकार भी राज्य के इस दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना कर चुकी है। सरकार का दावा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 12 हजार करोड़ का ऋण लिया है, जबकि 38 हजार करोड़ रुपए से अधिक ऋण लेने की पात्रता है।
वित्तीय संकट के कारण पिछले साल रोकी गई थी वाहनों की खरीदी
वित्तीय संकट से जूझ रही मध्यप्रदेश सरकार ने एक बड़ा फैसला किया था कि बजट में नए वाहनों को खरीदने के लिए कोई मंजूरी नहीं दी जाएगी। वित्त विभाग ने यह आदेश सभी विभागों को जारी किए थे। वित्त विभाग ने आदेश में कहा था कि बजट में नए वाहनों को नहीं खरीदा जा सकता है तथा जिन विभागों के पास फंड बचा है, उन्हें वह वित्त विभाग को वापस करना होगा। आपको बता दें की पूरे प्रदेश से कुल 1700 वाहन खरीदने का प्रस्ताव आया था, जिसमे मुख्य रूप से गृह विभाग, वन विभाग शामिल थे। वाहन खरीदने के प्रस्ताव में गृह विभाग ने 1100, वन विभाग ने 300 और अन्य विभागों ने 300 गाड़ियों का प्रस्ताव भेजा था।