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BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने एक लाख खाली पदों पर नियुक्तियां करने को हरी झंडी दे दी है। सामान्य प्रशासन विभाग ने क्लास-3 में खाली एक लाख पदों पर अपॉइंटमेंट करने के लिए 16 नवंबर को आदेश जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक, ऐसे संवर्ग जिनमें 50 खाली पद हैं, उनमें नियुक्तियां एक बार में ही की जाएंगी। अगर 51 से 500 पद खाली हैं तो ऐसे में दो चरणों में नियुक्तियां की जाएंगी। 500 से ज्यादा खाली पद होने पर तीन चरणों में अपॉइंटमेंट होंगे।
93 हजार से ज्यादा पद खाली
जानकारी के अनुसार, सरकार के पास 21 विभागों में 93 हजार 681 पद खाली हैं। कर्मचारियों की कमी में 45 हजार शिक्षक, 14 हजार डॉक्टर और चिकित्सा कर्मचारी और आदिवासी कार्य विभाग में 8 हजार रिक्तियां शामिल हैं। यानी खाली पदों की अधिकतम संख्या ज्यादातर शिक्षा, स्वास्थ्य और आदिवासी कल्याण विभागों में हैं, जो राज्य सरकार की प्राथमिकता वाले क्षेत्र रहे हैं। सरकार जो एक लाख पदों पर भर्ती करेगी, उसमें 20% पद संविदा कर्मचारियों के लिए आरक्षित रहेंगे।
हालांकि, ऐसा नहीं है कि ये 20 फीसदी आरक्षित पदों के लिए संविदा कर्मचारियों की सीधी नियुक्ति कर ली जाएगी, बल्कि संविदा कर्मचारियों को भी नियमों के अनुसार सरकारी पदों के लिए भर्ती परीक्षा से गुजरना पड़ेगा। राज्य कर्मचारी कल्याण समिति के अध्यक्ष रमेश चंद्र शर्मा ने भी द सूत्र से बातचीत करते हुए पुष्टि की थी कि सरकार द्वारा घोषित भर्ती अभियान के निर्देश के अनुसार नियमित पदों होने वाली 1 लाख भर्तियों पर संविदा कर्मचारियों के लिए निश्चित आरक्षण रहेगा। चयन प्रक्रिया के दौरान परीक्षाओं में संविदा कर्मचारियों को इसके लिए कोटा मिलेगा।
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मप्र में 25 लाख से ज्यादा बेरोजगार
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी और संविदा कर्मियों के नियमितीकरण की मांग हमेशा से एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है। विपक्ष भी प्रदेश में बेरोजगारी को मुद्दा बनाता रहा है। सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने की मांग लिए बेरोजगार युवा उड़ीसा, हरियाणा, पंजाब,और हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर खुद को नियमित करने के मांग लेकर सड़क पर निकल चुके हैं। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 72 हजार संविदाकर्मियों की संख्या है, जो सालों से नियमितिकरण की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ गुस्सा जाहिर करते रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि इन बेरोजगार युवाओं और संविदाकर्मियों का गुस्सा आने वाले विधानसभा चुनावों में भारी पड़ सकता है। चुनावी साल में इस समस्या से निपटने के लिए ही सीएम ने हाल ही में ये ऐलान किया कि अगले एक साल में एक लाख सरकारी नौकरियां दी जाएंगी।
आंकड़ों के अनुसार एक अप्रैल 2022 तक प्रदेश में 25.8 लाख से अधिक बेरोजगार हैं। इसमें सबसे अधिक संख्या ओबीसी वर्ग से आने वाले लोगों की है। इसके बाद सामान्य वर्ग के लोगों की संख्या अधिक है। ये दो वर्ग मध्य प्रदेश के युवा बेरोजगारों का 70 फीसदी हैं। 1 लाख 55 हजार बेरोजगारों की संख्या के साथ ग्वालियर टॉप पर है। दूसरे नंबर पर भोपाल है, जहां रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 1 लाख 31 हजार हैं। इसके बाद रीवा में 1 लाख 9 हजार बेरोजगारों की संख्या है। वहीं, आर्थिक राजधानी इंदौर में बेरोजगार युवकों की संख्या 1 लाख 02 हजार है। मुरैना में भी बेरोजगारों की संख्या करीब इतनी ही है। जातिगत समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो प्रदेश में बेरोजगार ओबीसी युवाओं की संख्या करीब 10 लाख है और 8 लाख 11 हजार सामान्य वर्ग के युवाओं की संख्या है। वहीं, अनुसूचित जाति के 4 लाख 35 हजार और अनुसूचित जनजाति के युवाओं की संख्या 3 लाख 36 हजार है।
एक लाख सरकारी भर्तियों में पेंच
- पहला पेंच- घोषणा के मुताबिक, सरकार द्वारा दी जाने वाली एक लाख नौकरियों में मौजूदा संविदा कर्मचारियों के लिए 20% आरक्षण शामिल होगा। इसका मतलब हुआ कि बेरोजगारों के लिए अब जो भी ताज़ा भर्तियाँ होंगी वो 1 लाख नहीं बल्कि बची हुईं 80 हजार पदों पर की जाएगी। यानी पहले ही राज्य के 26 लाख से अधिक बेरोजगार युवाओं के हिसाब से 1 लाख पद भी कम ही थे और अब वो और भी कम होकर 80 हजार पद ही रह गए।