भोपाल. मध्यप्रदेश में इस समय उपचुनाव (By Election) के मद्देनजर सियासी लड़ाई चल रही है। इसी सियासी लड़ाई को जीतने के लिए बीजेपी (BJP) ने एक मास्टर प्लान लेकर आई है। सरकार का प्लान है कि प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य 89 विकासखंडों में लीला नाट्य (Leela Natya) करवाया जाए। लीला नाट्य रामायण (Ramayan) के उन वनवासी किरदारों पर आधारित होगी जो वनवास के दौरान श्री राम (Shree Ram) से मिले थे। इनमें शबरी, निषादराज (Nishadraj) जैसे किरदार है लेकिन इस पर आदिवासी संगठनों ने विरोध जताया है। आदिवासी संगठन का जयस (JAYS) का आरोप है कि सरकार जल, जंगल, जमीन के पुजारियों पर हिंदू धर्म थोपने की कोशिश कर रही है।
लीला नाट्य से बैलेंस बनाने की कोशिश
संस्कृति विभाग (Culture Department) ने लीला नाट्य का प्रस्ताव तैयार किया है। इसमें लिखा गया है कि रामकथा के वनवासी चरित्रों को जनजातीय समुदाय में लोकप्रियता नहीं मिली, जिसके वो हकदार है। मौजूदा दौर में वनवासी समुदायों में कई वजहों से जो भिन्नताएं पैदा की जाती है। इस प्रकार के सनातन उदाहरण एक बैलेंस बनाएंगे।
गोंड गाथा रामायनी पर आधारित नाटक
सरकार की योजना है कि संस्कृति संचालनाय में जो गोंड गाथा रामायनी रखी हुई है उसपर आधारित नाटक लिखे जाए। जिस तरह से महाभारत की गाथा को पंडवानी के जरिए बताया जाता है, उसी तरह रामायण को रामायनी के जरिए बताने की पुरानी परंपरा रही है। पंडवानी का महानायक भीम है तो रामायनी का महानायक लक्ष्मण है जो सात अध्यायों के जरिए रामायण को बताते हैं। अब सरकार का प्लान है कि इसके लिए जनजातीय समुदायों से ही इनके लिए पात्रों का चयन किया जाए और फिर इसे रिकॉर्ड करवाया जाए और फिर प्रदेश के 89 ब्लॉक्स में इनका प्रदर्शन करवाया जाए।
आदिवासी संगठन का विरोध
आदिवासी (Adivasi) समुदायों से जुड़े लोगों का मानना है कि इस तरह से आदिवासियों पर सांस्कृतिक और धार्मिक मान्यताएं थोपी जा रही हैं। आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के आनंद राय के मुताबिक, आदिवासियों के रिती रिवाज हिंदू धर्म से जुदा है। आदिवासी (Tribe) जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं। साथ ही भारतीय संविधान (Constitution) के मुताबिक भी आदिवासी समुदाय जन्म से हिंदू नहीं है और उनके धर्म परिवर्तन से कानूनी तौर पर संवैधानिक दर्जे में कोई बदलाव नहीं होता। केवल राजनीतिक फायदे के लिए आरएसएस आदिवासियों को हिंदू धर्म की तरफ धकेल रहा है।