संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में ईडी कार्रवाई में घिरे भूमाफिया सुरेंद्र संघवी, उनके बेटे प्रतीक संघवी के साथ ही दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया को अब रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी भोपाल के फैसले से झटका लगा है। रजिस्ट्रार ऑफ सोसायटीज आलोक नागर ने अयोध्यापुरी रहवासी कल्याण समिति की याचिका पर फैसला देते हुए संस्था का पंजीयन बहाल करने के आदेश दे दिए हैं। इससे संस्था फिर से बहाल हो गई है और अब यह जिला कोर्ट में प्रतीक संघवी, मद्दा और मुकेश खत्री के डायरेक्टरशिप वाली संस्था सिम्पलेक्स मेगा फायनेंस की रजिस्ट्री शून्य कराने के प्रचलित केस में फिर से पक्ष रखने के लिए पात्र हो गई है। अभी इसी के चलते यह केस होल्ड पर चला गया था। यानी कंपनी की रजिस्ट्री शून्य कर यहां की 50 करोड़ से अधिक कीमत की जमीन वापस अयोध्यापुरी सोसायटी को मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा।
खुद संस्था के तथाकथित सचिव लखोटिया ने ही की थी शिकायत
सबसे आश्चर्य की बात यह है कि खुद को संस्था के सचिव बताने वाले गौरीशंकर लखोटिया ने ही असिस्टेंट रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी इंदौर के पास संस्था को लेकर कई शिकायतें की थी। इन्हीं शिकायतों के चलते ही यह पंजीयन रदद् हुआ था, जिसके बाद समिति मुश्किल में आ गई थी। कागजों पर तो गौरीशंकर लखोटिया सचिव थे ही नहीं, बल्कि उनकी धर्मपत्नी विमला लखोटिया सचिव थीं, लेकिन इसके बाद भी संस्था के सभी कागजों पर वही अपने नाम से ही हस्ताक्षर करते थे। रजिस्ट्रार के यहां चले केस में भी समिति के विरुद्ध गौरीशंकर लखोटिया ही विरोधी पक्षकार थे, क्योंकि मुख्य शिकायतकर्ता वही थे।
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नियमितीकरण में भी लगा रखी है सिम्पलेक्स ने आपत्ति
फरवरी 2021 में हुए भूमाफिया अभियान के दौरान जिला प्रशासन ने अयोध्यापुरी सोसायटी की जमीन खरीदने के चलते संघवी, मद्दा, खत्री सहित रणवीर सिंह सूदन पर एमआईजी थाने में दो एफआईआर भी कराई थी। यह जमीन खरीदने का सौदा चार करोड़ में हुआ था जिसमें सिम्पलेक्स ने केवल 1.80 करोड़ का भुगतान किया और बाकी राशि दी ही नहीं और रजिस्ट्री करा ली थी। इसी मामले में ईडी ने संघवी पिता-पुत्र के यहां छापा मारा और फिर दो दिन तक लंबी पूछताछ कर सारा हिसाब-किताब भी लिया है। वहीं जब अयोध्यापुरी के नियमितीकरण की प्रक्रिया नगर निगम ने शुरू की तो सिम्पलेक्स ने एफआईआर होने के बाद भी जमीन नहीं छोड़ने की जिद पकड़ी और निगम में यह कहते हुए आपत्ति लगा दी कि जमीन तो हमारी है, तो यहां नियमितीकरण कैसे होगा। इस मामले में भूमाफिया की आपत्ति को दरकिनार करने की जगह नगर निगम भी लगातार सुन रहा है और कॉलोनी के नियमितीकरण को अटका रखा है, जबकि रहवासी 20 साल से इसके लिए मांग कर रहे हैं। यहां पर करीब पौने चार सौ सदस्यों के पास रजिस्ट्री मौजूद हैं और सदस्यों ने खुद ही विकास काम भी अपनी राशि से करा रखे हैं।