बुरहानपुर में परेठा के सरकारी अस्पताल में स्टाफ की कमी, जो स्वास्थ्यकर्मी हैं वो भी वक्त पर नहीं मिलते; इलाज के लिए भटकते हैं मरीज

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The Sootr CG
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बुरहानपुर में परेठा के सरकारी अस्पताल में स्टाफ की कमी, जो स्वास्थ्यकर्मी हैं वो भी वक्त पर नहीं मिलते; इलाज के लिए भटकते हैं मरीज

गणेश दुनगे, BURHANPUR. बुरहानपुर में परेठा गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परेठा में स्टाफ की कमी है। जो स्वास्थ्यकर्मी हैं वे भी वक्त पर नहीं मिलते। ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकते रहते हैं। स्वास्थ्य केंद्र में नर्सिंग स्टाफ की एक नर्स, एक फार्मासिस्ट, एक वार्ड बॉय, एक ड्रेसर और एक कंप्यूटर ऑपरेटर है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुबह 10 से शाम 4 बजे तक का समय लिखा हुआ है लेकिन एक भी स्वास्थ्यकर्मी स्वास्थ्य केंद्र में नहीं मिलता है।




खाली पड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

खाली पड़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र




कई बार सीएम हेल्पलाइन में की शिकायतें



इलाज नहीं मिलने से परेशान ग्रामीणों ने कई बार सीएम हेल्पलाइन में शिकायतें कीं लेकिन विभागीय अधिकारी भी अपने कर्मचारियों के पक्ष में ही लीपापोती करके शिकायतों को बंद करवा देते हैं। यही नहीं फार्मासिस्ट की लापरवाही की वजह से हॉस्पिटल में सालभर में हजारों रुपए की दवाइयां एक्सपायर हो जाती हैं। ये एक्सपायर दवाइयां अस्पताल के पीछे बने सेप्टिक टैंक में फेंक दी जाती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इसके अलावा भी पीछे नाले में ये लोग दवाइयों के पैकेट जलाकर नष्ट कर देते हैं। ग्रामीणों को उनके उपयोग की चीजें नहीं मिल पातीं। विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी लापरवाही को अनदेखा करके कर्मचारियों का सपोर्ट करते हैं।




सेप्टिक टैंक में फेंकी गई एक्सपायर दवाइयां

सेप्टिक टैंक में फेंकी गई एक्सपायर दवाइयां




दूसरे गांव जाकर इलाज कराने को मजबूर ग्रामीण



परेठा आदिवासी बहुल क्षेत्र है और अधिकांश क्षेत्र में गरीब परिवार ही बसते हैं। गांव में अगर किसी को बुखार या चोट लगे तो दूसरे गांव जाकर इलाज कराना पड़ता है। परिवार के हजारों रुपए इलाज में खर्च होते हैं।



ग्रामीणों का दर्द



सुबह 11 बजे के लगभग मैं अपनी 2 साल की बेटी को लेकर हॉस्पिटल आया था। ओपीडी में कोई नहीं था, कुछ देर इंतजार किया बाद में डॉक्टर के क्वार्टर पर बुलाने गया तो वहां पर फार्मासिस्ट की पत्नी ने मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और कहा कि सरकार जितना काम ले रही है उतना तनख्वाह नहीं देती। जब मर्जी मुंह उठाकर चले आते हैं, हमें और कोई काम नहीं है क्या ? जाओ अभी यहां से। उस समय स्वास्थ्य केंद्र में मेरे अलावा 8-10 मरीज और बैठे थे। उनमें से एक महिला प्रसव के लिए भी आई थी, वो दर्द से तड़प रही थी लेकिन स्टाफ से कोई नहीं आया। ( सुनील यादव, ग्रामीण )



1 महीने पहले मैं अपनी कार से दैय्यत गांव की एक गर्भवती को प्रसव के लिए सुबह 10 बजे हॉस्पिटल लाया। महिला के परिजन मैडम से मिन्नतें करते रहे वो नहीं आई गाड़ी में ही प्रसव हुआ। प्रसव के आधे घंटे बाद नर्स ने आकर महिला को हॉस्पिटल में भर्ती किया। लेट आने पर परिजन ने मैडम से बहस की तो मैडम उन्हें धमकियां देने लगी। ( अनिल यादव, ग्रामीण )



जब भी स्वास्थ्य केंद्र आओ यहां कोई नहीं मिलता। मेरी पत्नी का खंडवा में उपचार चला, वहां के डॉक्टर ने कुछ इंजेक्शन दिए थे जो गांव में मुझे आकर कुछ दिनों तक लगवाने थे। मैं डॉक्टर की पर्ची इंजेक्शन और सिरिंज लेकर अपनी पत्नी के साथ हॉस्पिटल आया हॉस्पिटल में कोई नहीं था। मैं नर्स के पास गया, उन्हें दवा की पर्ची दिखाई और कहा कि मैडम मेरी पत्नी को कुछ दिनों तक रोजाना एक इंजेक्शन लगाना है। मैडम ने सीधे मना कर दिया कहा हमारी ड्यूटी सिर्फ प्रसव के लिए ही है, मैं इंजेक्शन नहीं लगाऊंगी। इसके बाद मैं अपनी पत्नी को दाहिंदा के लोकल डॉक्टर के पास इंजेक्शन लगवाने लेकर गया। ( कपिल तिवारी, ग्रामीण )



मेरे पैर में चोट लगी थी। ड्रेसिंग के लिए मैडम ने मना कर दिया। बोलीं ड्रेसर छुट्टी पर है। छुट्टी के लिए कोई आवेदन भी नहीं है। स्वास्थ्य केंद्र में मनमाने तरीके से काम होता है। ड्रेसर, नर्स, फार्मासिस्ट, वार्ड बॉय कभी भी समय पर केंद्र में नहीं मिलते हैं। मरीज परेशान होते हैं। ( जयराज मिश्रा, मरीज )



कलेक्टर की जनसुनवाई में जाएंगे ग्रामीण



ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने ग्रामीणों के लिए करोड़ो रुपए खर्च करके स्वास्थ्य केंद्र बनाया है लेकिन यहां किसी प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलती। कर्मचारी मनमानी करते हैं, शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होती। मंगलवार को जनसुनवाई में जाकर कलेक्टर से बात करेंगे स्वास्थ केंद्र में नर्सिंग स्टाफ बढ़ाएं या तो फिर इस पर ताला लगा दें। ग्रामीणों को बाहर ही उपचार के लिए जाना पड़ रहा है तो इसकी क्या आवश्यकता है।



स्टाफ नर्स ने दी सफाई



स्टाफ नर्स कंचन बाल्मीकि का कहना है कि वो अकेली स्टाफ नर्स है। बीएमओ ने आदेश दिए हैं 24 घंटे डिलीवरी वाले पेशेंट ही देखो। स्वास्थ्य केंद्र में एक फार्मासिस्ट, ड्रेसर, वार्ड बॉय, कंप्यूटर ऑपरेटर है। नर्सिंग स्टाफ नहीं होने के कारण ग्रामीणों को दिक्कतें होती हैं। वरिष्ठ अधिकारी को लिखित में आवेदन देकर यहां नर्सिंग स्टाफ की मांग कई बार कर चुकी हूं।



अभी तक नहीं हुई है नियुक्ति-BMO



बीएमओ डॉ. तारीख मीर का कहना है कि हॉस्पिटल में कोई भी स्टाफ नहीं है। वहां अभी किसी की नियुक्ति नहीं हुई है। एक सिंगल स्टाफ नर्स है जो डिलीवरी वाला केस देख लेगी। प्राथमिकता वाला स्वास्थ्य केंद्र है, 24 घंटे नहीं चलेगा। फार्मासिस्ट की पत्नी के व्यवहार पर मैं दिखाता हूं। सीएमओ सर को बोला है उन्होंने भोपाल लिखकर भेजा है, अभी तक नई नियुक्ति नहीं हो पाई है।


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