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BHOPAL. मध्यप्रदेश में 1 अप्रैल से नई शराब नीति लागू हो चुकी है। नई नीति के तहत शराब दुकानों से लगे हुए सारे अहाते बंद हो गए, लेकिन 2 दिन में ही इसके साइड इफेक्ट नजर आने लगे हैं। शराब प्रेमी तो दुकानों के सामने ही छककर शराब पी रहे हैं। वहीं चाट-पकौड़ी के ठेलों पर भी महफिल जम रही है। दूसरी तरफ 2 साल पहले सरकार की तरफ से जारी किए गए एक नियम का तो पूरे प्रदेश में कहीं पालन होता नजर नहीं आ रहा। हम आपको भिंड, ग्वालियर, शिवपुरी, होशंगाबाद, रायसेन ,रीवा, शिवपुरी और विदिशा के हालात बता रहे हैं।
शराब प्रेमियों ने ढूंढे नए ठिकाने
शिवपुरी में तो छोटी दुकानें शराब के नए अड्डे बन गई हैं। ये केवल शिवपुरी के हालात नहीं कमोवेश हालात हर शहर के हैं। दूसरी तरफ कुछ शहरों में तो लोग दुकान से शराब खरीदने के बाद ही दुकान के सामने बोतल गटक रहे हैं। भिंड में शराब बेचने वाले संचालक से पूछा कि शराब पीने की क्या व्यवस्था है तो उसने कहा, अपनी रिस्क पर यहीं पी लो।
2 साल पहले बनाए नियम का पालन नहीं
द सूत्र ने अलग-अलग शराब दुकानों पर एक और नियम की पड़ताल की। 19 अगस्त 2021 को तत्कालीन आबकारी आयुक्त ने ये आदेश जारी किया था कि शराब खरीदने पर दुकानदार को बिल यानी कैश मैमो देना अनिवार्य होगा। ये व्यवस्था 1 सितंबर 2021 से लागू करने के आदेश दिए थे। ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि सरकार को शिकायत मिली थी कि कई जिलों में शराब तय दाम से ज्यादा कीमत पर बेची जा रही थी। दरअसल मध्यप्रदेश में जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच के लिए जो एसआईटी बनाई थी, उसकी अनुशंसा पर ये नियम लागू किया गया था। साथ ही आदेश में ये भी लिखा कि दुकानों पर अधिकृत अधिकारियों के नंबर लिखे जाएं ताकि कोई ज्यादा राशि वसूल करें तो उसकी शिकायत की जा सकें। मगर ऐसा कहीं होता नजर नहीं आ रहा है।
ग्वालियर, भिंड और रायसेन के हाल
ग्वालियर जो आबकारी विभाग का मुख्यालय है यहीं पर कोई दुकानदार ना तो बिल देता है और ना किसी दुकान पर किसी अधिकारी का नंबर दर्ज है। हालांकि अहाते जरूर बंद हो चुके हैं और मुनादी करके इसकी जानकारी दी जा रही है। रायसेन में शराब दुकानों पर किसी तरह का बोर्ड नजर नहीं आया और ना ही शराब दुकानों से शराब खरीदने वालों को बिल दिए गए। भिंड में हकीकत जानने के लिए द सूत्र संवाददाता ने एक शराब की बोतल खरीदी जो दुकान से दोगुनी कीमत पर मिली। वहीं बिल मांगने पर इनकार कर दिया। इसके बाद ये कहा गया कि लेना हो तो लो वरना चले जाओ।
नियमों की धज्जियां उड़ीं
शराब दुकानों पर ना तो बिल दिया जा रहा है और ना ही किसी अफसर का नंबर शराब दुकानों पर है। बिल देने के बाद शराब दुकान संचालकों को ठेका खत्म होने तक इन्हें संभालने के लिए कहा गया था। 2 साल से नियम लागू है, लेकिन इसकी खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं। अब नई शराब नीति में अहाते बंद करने का फैसला किया है और इसके साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। आने वाले दिनों में ठेलों पर शराब पीना और खाली मैदानों में शराबियों की महफिलें नजर आ सकती हैं।