जबलपुर संभाग के सैकड़ों परिवारों के चेहरे पर नहीं आई स्माइल, सैकड़ों लापता बच्चों को नहीं ढूंढ पाई पुलिस

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर संभाग के सैकड़ों परिवारों के चेहरे पर नहीं आई स्माइल, सैकड़ों लापता बच्चों को नहीं ढूंढ पाई पुलिस

Jabalpur. प्रदेश में लापता बच्चों की पतासाजी और उन्हें दस्तयाब करने के उद्देश्य से चलाए गए ऑपरेशन स्माइल के सालाना आंकड़ें सामने आए हैं। आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो जबलपुर जोन में घर से लापता बच्चों की तादाद सबसे ज्यादा जबलपुर जिले की है, वहीं लापता बच्चों का पता लगाने में जबलपुर जिले की पुलिस 62 फीसद ही सफल रही है। बाकी के 38 फीसद बच्चों के परिजनों के चेहरों पर स्माइल लाने में ऑपरेशन स्माइल नाकाम रहा है। 



जबलपुर 62 तो छिंदवाड़ा 93 फीसद सफल



संभागवार बच्चों के दस्तयाब होने पर नजर डाली जाए तो छिंदवाड़ा पुलिस लापता बच्चों को दस्तयाब करने में 93 फीसद सफल रही है, जबकि जबलपुर पुलिस की सफलता का प्रतिशत 62 रहा है। सिवनी दूसरे और नरसिंहपुर पुलिस तीसरे स्थान पर रही है। 




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  • ट्रेन से ही भागते हैं बच्चे



    ऑपरेशन स्माइल के जरिए पुलिस को यह पता तो लग गया है कि रेलवे स्टेशनों पर चौकसी बढ़ा दी जाए तो घर छोड़कर भागने वाले बच्चों की तलाश आसान हो सकती है। क्योंकि बच्चों की दस्तयाबी में यह बात कॉमन है कि 90 फीसद बच्चे ट्रेन के जरिए ही अपना गांव या शहर छोड़कर भाग जाते हैं। हालांकि बाद में ये बच्चे पुलिस को रेलवे स्टेशनों के आसपास ही या फिर ढाबों में काम करते मिले। 



    लड़कियों को दस्तयाब करना मुश्किल



    संभाग के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो घर छोड़कर भागने के मामलों में बच्चों से ज्यादा बच्चियों की तादाद है। इतना ही नहीं यह आंकड़े मामले की गंभीरता को भी प्रदर्शित करते हैं कि आखिर लापता लड़कियां दस्तयाब क्यों नहीं हो पा रहीं। साल 2022 की ही बात की जाए तो जबलपुर संभाग से 1169 बच्चियां तो 300 बच्चे लापता हुए हैं। 


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