Indore. आपने एक से बढ़कर एक पशुप्रेमी देखे होंगे, लेकिन इंदौर के एक सर्पमित्र की दीवानगी देख वेटरनरी डॉक्टर्स भी हैरान हो गए, जब वह सर्पमित्र वेटरनरी अस्पताल में अपने साथ एक कोबरा सांप को लेकर पहुंचा। कोबरा की एक आंख में इंफेक्शन है और उसे एक आंख से दिखाई नहीं दे रहा है। डॉक्टरों ने सांप का चेकअप किया और उसे ड्रॉपर से दवा भी पिलाई लेकिन आश्चर्य भी जताया। डॉक्टर का कहना था कि इतने साल की प्रैक्टिस में पहली बार कोई ऐसे कोबरा सांप को लेकर इलाज कराने आया था, जिस कोबरा के दांत भी सही सलामत थे, क्योंकि आमतौर पर सपेरे सांप को पकड़ते ही उसके दांत तोड़ देते हैं।
अब तक 500 सांप पकड़ चुके हैं स्नैक कैचर महेंद्र
दरअसल महेंद्र श्रीवास्तव स्नैक कैचर हैं जो लोगों के घरों और रहवासी क्षेत्रों में आ धमके सांपों को पकड़कर जंगल में छोड़ते हैं। इन्हें अहीरखेड़ी कांकड़ से सूचना मिली थी कि एक नागिन ने एक घर में डेरा जमा लिया है। लखन सोलंकी नामक व्यक्ति के घर से साढ़े 4 फीट की कोबरा नागिन को पकड़ा गया। पकड़ने के दौरान महेंद्र ने देखा कि नागिन की आंख सफेद पड़ गई है। महेंद्र को लगा कि यह इंन्फेक्शन है, इसलिए उसने सोचा कि जब वह ठीक हो जाएगी तो उसे छोड़ देगा लेकिन 8 दिन बीतने के बाद भी नागिन की आंख में कोई सुधार नहीं हुआ तो वह उसे लेकर वेटरनरी अस्पताल पहुंचा। वेटरनरी चिकित्सक ने सांप का चेकअप करने के बाद सांप को कुछ दिन ड्रॉप के जरिए दवा देने और अपने पास ही रखने कहा है। वेटरनरी डॉक्टर प्रशांत तिवारी ने बताया कि कोशिश की जाएगी कि कोबरा की आंख ठीक हो सके। कुछ दिन में कोबरा को पुनः चेकअप के लिए बुलाया है।
- यह भी पढ़ें
वेटरनरी अस्पताल में भी लग गया मजमा
वेटरनरी अस्पताल में रोजाना की तरह लोग अपने पालतू कुत्ते-बिल्लियों को लेकर अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें जैसे ही कोबरा का इलाज होते दिखाई दिया तो वे सभी हैरत में पड़ गए। इस दौरान कुछ मोबाइल धारकों ने कोबरा का फोटोसेशन भी शुरू कर दिया।
प्लास्टिक के टब को बनाया है रहवास
स्नैक कैचर महेंद्र ने कोबरा को अपने घर के बाहरी हिस्से में टब के अंदर पनाह दी है। टब के ऊपर बतौर ढक्कन भी एक टब रखा है। वैसे तो सपेरे सांपों को आहार के तौर पर कच्चा अंडा पिला देते हैं लेकिन कैचर महेंद्र का कहना है कि नागिन काफी एक्टिव है उसे खाने की जरूरत नहीं है। वैसे भी सांप एक बार अच्छे से खा लेते हैं तो उन्हें 2 महीने तक और खाने की जरूरत नहीं पड़ती।
पहले भी दे चुके हैं सांपों को पनाह
सर्पमित्र महेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि वे पहले भी कई सांपों को पनाह दे चुके हैं। क्योंकि रेस्क्यू के दौरान जो सांप घायल हालत में मिलते हैं, उन्हें जंगल में मरने के लिए नहीं छोड़ सकता। उन्होंने बताया कि एक बार एक घोड़ापछाड़ सांप को उन्होंने 18 दिन अपने घर में रखा था। वह जेसीबी से घायल हो गया था और उसकी कई बार ड्रेसिंग करनी पड़ी थी। ठीक होने के बाद ही उसे जंगल में छोड़ा था।