Narsinghpur. रबी सीजन में बोनी बखरनी के बाद अंकुरित हुई फसल को खाद देने का वक्त है, हालांकि देर से गेहूं की फसल लेने वाले किसानों की बुवाई होना अभी भी बाकी है। लेकिन किसान को यूरिया नहीं मिल पा रहा है। एक-एक बोरी यूरिया के लिए किसानों को कई घंटे खड़ा रहना पड़ रहा है फिर भी उसके हाथ बोरी नहीं बल्कि मायूसी हाथ लग रही है।
पूरे मध्यप्रदेश में नरसिंहपुर जिला एक ऐसा जिला है जहां सर्वाधिक रबी सीजन का रकबा रहता है। जिले में अनाज, दलहन ,तिलहन और गन्ने का रकबा 318 लाख हेक्टेयर क्षेत्र है। नरसिंहपुर में गेहूं 110 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में, चना 88 हज़ार हेक्टेयर में मटर 20 हज़ार हेक्टेयर में, मसूंर 35 हज़ार हेक्टेयर में, राई और सरसों में करीब 3हज़ार हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है, जबकि गन्ना 62000 हेक्टर क्षेत्र में लगाया गया है। इन सभी फसलों को मौजूदा समय में सिंचाई और उर्वरक की जरूरत है ताकि फसल बेहतर हो सके लेकिन किसान एक बोरी यूरिया डीएपी के लिए वेयरहाउस में लाइन पर लगा है।
इस बार समितियों में खाद नहीं दी गई है जिससे उन्हें दूरदराज क्षेत्रों के वेयर हाउस पहुंचना पड़ रहा है। वहां वितरण व्यवस्था भी इस तरह की परेशानी का सबब है कि उन्हें टोकन लेने पड़ते हैं। सबसे पहले सौ टोकन बांटे जाते हैं, 100 बोरी यूरिया बटने के बाद ही दूसरे 100 किसानों का नंबर लग पाता है। परन्तु एक दिन में बमुश्किल 100 लोगों को ही यूरिया मिल जाए तो बहुत बड़ी बात है। अब स्थिति यह है कि यूरिया वेयरहाउस में नहीं है, कहा जा रहा है कि अभी तक रैक नहीं आया है। जब खेप आएगी तब किसानों को यूरिया फिर से मिल सकेगा।
एक ओर प्रशासन हर किसान को आसानी से डीएपी और यूरिया उपलब्ध करा देने का दावा कर रही है दूसरी ओर नरसिंहपुर में किसान एक-एक बोरी खाद के लिए कड़ी जद्दोजहद करता नजर आ रहा है। किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें समय पर खाद मुहैया नहीं हुई तो वे उग्र आंदोलन का रुख अख्तियार करेंगे।