BHOPAL. क्या बड़े संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति महज अपने क्षेत्र के होते हैं। ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने गृह क्षेत्र रीवा के ही लोगों की ही मदद की पुकार सुनी और अपने स्वेच्छानुदान की अधिकांश राशि उन्हीं पर खर्च की। ये सवाल नियमों का नहीं है क्योंकि स्वेच्छानुदान की राशि माननीय की इच्छा पर निर्भर करती है,इसके लिए नियमों की बाध्यता नहीं है। लेकिन सवाल यहां पर कुछ और है। स्पीकर गिरीश गौतम ने ढाई करोड़ में से सवा दो करोड़ से ज्यादा की राशि से सिर्फ रीवा के लोगों की मदद की। अन्य लोगों के हिस्से में साढ़े 13 लाख रुपए ही आ पाए।
इस तरह खर्च की राशि
विधानसभा अध्यक्ष को स्वेच्छानुदान के रुप में एक साल में ढाई करोड़ रुपए मिलते हैं। जबकि विधायक के लिए ये फंड सिर्फ 50 लाख का होता है। यानी गिरीश गौतम विधायक के नाते अपने क्षेत्र में 50 लाख का स्वेच्छानुदान की राशि दे सकते हैं, जबकि विधानसभा अध्यक्ष पूरे प्रदेश के होते हैं इसीलिए उनको विधायक से पांच गुना ज्यादा स्वेच्छानुदान राशि दी जाती है ताकि वे प्रदेश के किसी भी हिस्से के लोगों की मदद कर सकें। लेकिन यहां माजरा अलग दिखाई देता है। गिरीश गौतम ने जनवरी से दिसंबर 2022 तक 2.5 करोड़ रुपए की स्वेच्छानुदान राशि लोगों की मदद के लिए दी। विधानसभा के रिकॉर्ड के अनुसार इनमें से 2 करोड़ 36 लाख 22 हजार रुपए सिर्फ रीवा जिले के लोगों की मदद पर खर्च किए। ये राशि क्षेत्र के 2098 लोगों को दी गई। हालांकि स्वेच्छानुदान की राशि वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल से 31 मार्च तक के लिए होती है लेकिन हमने जनवरी से दिसंबर को एक साल मानकर उसमें खर्च की गई राशि के तहत ये आंकड़ा दिया है।
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अन्य जिलों के हिस्से में महज साढ़े 13 लाख
गिरीश गौतम ने भोपाल समेत अन्य जिलों के लोगों पर 13 लाख 78 हजार रुपए की मदद की। इन जिलों के महज 51 लोगों को मदद मुहैया हो पाई है। विधानसभा रिकॉर्ड के अनुसार इन जिलों के इतने लोगों की मदद की गई।
- भोपाल के 41 लोगों को 12 लाख 8 हजार
स्पीकर ने महज रीवा के स्कूलों को ही प्रोत्साहित करने की जरुरत समझी। जबकि प्रदेश में सरकारी स्कूलों की ही हालत खस्ता है। कई जगह तो झोपड़ी में बच्चे पढ़ रहे हैं। गिरीश गौतम ने रीवा के 48 स्कूलों को प्रोत्साहन राशि के रुप में 4 लाख 80 हजार रुपए दिए।
इनको इतनी मिलती है स्वेच्छानुदान राशि
- मुख्यमंत्री- 250 करोड़
क्या होता है स्वेच्छानुदान फंड
जनप्रतिनिधियों के लिए स्वेच्छानुदान राशि का प्रावधान किया गया है। इस स्वेच्छानुदान राशि को जनप्रतिनिधि अपनी इच्छानुसार कहीं भी कभी भी खर्च कर सकते हैं। इस राशि का प्रावधान इसलिए किया गया है क्योंकि जनप्रतिनिधि एक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनसे उस क्षेत्र के लोगों की अपेक्षाएं जुड़ी होती हैं। इस स्वेच्छानुदान राशि से बीमारी सहायता, आर्थिक मदद, स्कूलों,अस्पतालों या अन्य सार्वजनिक स्थलों का उन्नयन,व्यक्तिगत मदद की जाती है। सीएम की सबसे ज्यादा स्वेच्छानुदान राशि होती है क्योंकि वे पूरे प्रदेश के लोगों को बीमारी सहायता में बड़ा फंड खर्च करते हैं। विधायक को 50 लाख रुपए अपने क्षेत्र के लोगों पर खर्च करने के लिए दिए जाते हैं। जबकि राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्षों को पूरे प्रदेश के लिए 2 करोड़ और 2.5 करोड़ रुपए दिए जाते हैं। हालांकि नियमों में ये बाध्यता नहीं है कि वे इस राशि को कहां खर्च करते हैं।