योगेश राठौर, INDORE. अक्सर राजनीतिक दबाव के आगे आपने अधिकारियों को झुककर फरमान मानते देखा होगा, फिर चाहे वो फरमान सही हो या गलत अगर किसी नेता या नेता के पीए का फोन सरकारी कर्मचारी के पास पहुंचा तो उस काम का होना लगभग तय माना जाता है, ये आम धारणा है, लेकिन ठीक इस धारणा को तोड़ते हुए एक सरकारी कर्मचारी ने अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देकर मंत्री, सांसद, विधायक और विपक्ष के नेताओं के दबाव को भी दरकिनार कर एक सही फैसला लिया।
बच्चों के हित के आगे नेताओं के हट से टकरा गईं खेल अधिकारी
मामला महू के एक फुटबॉल मैदान का है, जहां एक टूर्नामेंट का आयोजन होना है। इस आयोजन में इंदौर सांसद शंकर लालवानी को बतौर अतिथि शामिल होना था, लेकिन इस मैदान की जिम्मेदारी संभाल रही जिला खेल अधिकारी रीना चौहान ने सांसद की मौजूदगी में होने वाले टूर्नामेंट के लिए मैदान देने से ही इनकार कर दिया। कारण था इस मैदान पर खेलने वाले 80 बच्चे जो यहां रोजाना प्रैक्टिस करते हैं। इस मैदान के लिए ना सांसद शंकर लालवानी के प्रतिनिधि गोपाल खोपानी ही नहीं बल्कि मंत्री उषा ठाकुर, विधायक आकाश विजयवर्गीय, रमेश मेंदोला तक का फोन लगवा दिया गया था। इसके साथ ही विपक्ष के नेता जिनमें महू के पूर्व विधायक अंतर सिंह दरबार प्रमुख हैं, उनका भी फोन आयोजकों ने रीना चौहान को लगवाया, लेकिन चौहान टस से मस नहीं हुईं और उन्होंने इस राजनीतिक दबाव के आगे झुकने से इनकार कर इस मैदान पर आने वाले बच्चों की प्रैक्टिस को प्राथमिकता दी। इस पूरे मामले का एक ऑडियो वायरल हुआ है, आइए बताते हैं क्या है उस ऑडियो में...
सांसद प्रतिनिधि- मैं इंदौर सांसद शंकर लालवानी का प्रतिनिधि गगन खुबानी बात कर हूं, आप मैडम चौहान बोल रही हैं क्या? एक निवेदन था महू के ग्राउंड हाईस्कूल के लिए यहां एक टूर्नामेंट होना था।
रीना चौहान मैडम- सर मैं पहले एक निवेदन कर लूं आपको
प्रतिनिधि- जी हां कहिए
चौहान मैडम- उस मैदान के लिए उन लोगों ने आठ दिन में किसका फोन नहीं करवा लिया है। इतने फोन करा लिए, सुबह उषा दीदी का फोन आया, फिर उनके पीए का, तुलसी भाईसाहब का, पूर्व विधायक दरबार सर का, आकाश विजयवर्गीय जी से यहां से भी फोन आ गया। वहां इतने सारे ग्राउंड हैं, वह वहां टूर्नामेंट करा सकते हैं।
प्रतिनिधि- जी आप कहिए
चौहान मैडम- प्रॉब्लम क्या आ रही है सर मैं आपको बताऊं, मैं सबको यही समझा रही हूं, वहां 80-90 बच्चों की रेगुलर प्रैक्टिस होती है, टूर्नामेंट होते हैं तो 8-8 दिन के लिए मैदान चला जाता है, अभी मैदान खाली हुआ, फिर 25 से 8 दिन के लिए मांग रहे हैं। मेरे बच्चों का इतना नुकसान हो रहा है, इनकी बुकिंग के कारण, मेरे बच्चे महीने में 15 दिन प्रैक्टिस कर पा रहे हैं। इनको ये बात समझ में नहीं आ रही है, वहां सेंट्रल की स्कीम में 40 बच्चे हैं, बोर्डिंग चलते हैं, इसमें बच्चे हैं, बच्चे प्रैक्टिस नहीं कर पा रहे हैं।
सांसद प्रतिनिधि- मैम सांसद भी उसमें चीफ गेस्ट हैं, अब कैसे करेंगे मैनेजमेंट
चौहान मैडम- सर वहां तीन-चार ग्राउंड है, पहले कांग्रेस फोन कर रहे थे, उन सभी को मना कर दिया तो अब वह आप सभी से फोन करवा रहे हैं, भाईसाहब गेस्ट है तो उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह और व्यवस्था करके रखें।
सांसद प्रतिनिधि- मैम इस बार तो मदद कीजिए ना
चौहान मैडम- नहीं भाई साहब मेरे बच्चों का बहुत नुकसान होता है, एक दिन का नुकसान तो भुगत सकते हैं, लेकिन 16 दिन तक बच्चे प्रैक्टिस नहीं कर पाते हैं।
सांसद प्रतिनिधि- और कौन से ग्राउंड है वहां
चौहान मैडम- वहां तीन-चार ग्राउंड हैं, कोई कमी नहीं है वहां पर भी आयोजन हो सकता है
सांसद प्रतिनिधि- अभी आपकी तरफ से नहीं हो पाएगा क्या
चौहान मैडम- नहीं आप मना करें, कह दें कि उन्होंने मना कर दया, क्योंकि भईया मेरे बच्चों का बहुत नुकसान होता है, मैं किसके लिए ग्राउंड चला रही हूं, मैं बच्चों को प्रैक्टिस नहीं करा पाऊंगी तो क्या मतलब है, शिकायत हो गई तो सेंट्रल की स्कीम चली जाएगी।
सांसद प्रतिनिधि- ठीक है मैडम।
फुटबॉल कोच से लेकर बच्चों ने कहा थैंक्यू मैडम
द सूत्र ने जब इस मैदान पर प्रैक्टिस करने आने वाले बच्चों से लेकर कोच तक से बात की तो सभी ने एक सुर में कहा कि हमारी मैडम हमेशा बहुत सहयोग करती है, उन्हें धन्यवाद। कोच आशीष डामोर ने कहा कि यहां दो स्कीम खेलो इंडिया और डे-बोर्डिंग स्कीम के तहत 80 बच्चे रोज शाम को प्रैक्टिस करते हैं। ऐसा सुरक्षित और शानदार मैदान कहीं नहीं हैं, लेकिन टूर्नामेंट के चलते 7-7 दिन तक बच्चों की प्रैक्टिस नहीं होती है, हमने डीएसओ रीना चौहान मैडम को ये बात बताई थी। इसके बाद मैडम ने बच्चों किए स्टैंड लिया और राजनीतिक दबाव के बाद भी टूर्नामेंट के लिए ये मैदान देने से मना कर दिया। उन्होंने बच्चों के लिए जो स्टैंड लिया वह बड़ी बात है, ऑफिसर लेवल पर कोई इतना नहीं सोचता है, सभी यह सोच रखें तो खेल में बहुत सपोर्ट मिलेगा।
मैडम बोली मैंने वहीं किया जो बच्चों के लिए जरूरी था
वहीं मैडम का कहना है कि जो बच्चों के लिए जरूरी था मैंने वही किया। वहां इतने बच्चों को लंबे समय तक प्रैक्टिस से दूर नहीं किया जा सकता है और वैसे भी टूर्नामेंट के लिए वहां अन्य मैदान है, तो वह वहां करा सकते हैं। इससे बच्चों को भी नुकसान नहीं होगा और आयोजकों को भी मैदान दूसरा मिल जाएगा। मैंने सिर्फ सही बात सभी के सामने रखी।
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