BHOPLA. सरकारी कार्यालयों से लगातार गायब होते दस्तावेजों और फाइलों से चिंतित मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सामान्य प्रशासन विभाग को मध्य प्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनाने के लिए निर्देशित किया है। साथ में जब तक मध्यप्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनकर लागू नहीं होता है, तब तक सिंह ने विभाग को केंद्र के पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट के अनुरूप गाइडलाइंस तैयार कर फाइलों का प्रबंधन और उसके गायब होने पर दोषी कर्मचारियों या अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। दोषी अधिकारियों को इसके अंतर्गत 5 साल की जेल और 10 हजार तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
दस्तावेज गायब होने पर केंद्र और अन्य राज्यों में होती है ये कार्यवाई
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी किए आदेश में कहा कि 'आयोग के लिए चिंता का विषय है कि मध्यप्रदेश में शासकीय कार्यालयों में रिकॉर्ड की देखरेख और प्रबंध पद्धति में सुधार लाने सुरक्षा प्रबंधन एवं रिकॉर्ड गुम या चोरी होने, गलत तरीके से नष्ट करने पर दोषी अधिकारी या कर्मचारी की जवाबदेही तय करने के लिए राज्य का अपना पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट ही नहीं है'। सिंह ने अपने आदेश में कहा कि कागजों के गायब होने पर अधिकारियों के उदासीन रवैये के पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने के लिए विधिक व्यवस्था पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट जो केंद्र एवं अन्य राज्यों में उपलब्ध है पर मध्यप्रदेश में उपलब्ध नहीं है'।
सरकारी दफ्तरों से अहम दस्तावेज हो जाते हैं गायब
राज्य सूचना आयोग में दस्तावेजों के गायब होने के कई मामले सामने आते रहे हैं, इन गायब कागजों के चलते कई मामलों में लोगों का जीवन और जरूरी काम के साथ, करियर तक दांव पर लग जाते हैं। सरकारी कार्यालय में किसी के जमीन के कागज गायब हैं, नियुक्ति में गड़बड़ी के कागज गायब हैं, जांच संबंधित दस्तावेज गायब हैं, भ्रष्टाचार घोटाले से संबंधित प्रकरण में दस्तावेज गायब हैं, किसी व्यक्ति या संस्था को प्रभावित करने वाला कोई महत्वपूर्ण आदेश गायब है, तो कहीं किसी शासकीय अधिकारी के विरूद्ध की गई कार्रवाई की कागज गायब हैं। कई मामलों में जब आयोग द्वारा संबंधित लोक प्राधिकारी को मामले में पुलिस रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कहा जाता है तो यह भी हुआ है कि आपराधिक मामला कायम होता देख यह गायब कागज वापस मिल जाते हैं।
जिस केस में दिए निर्देश उसी का आवेदन हो गया गायब
सरकारी रिकॉर्ड के गायब होन के मामले में लापरवाही का शिकार आम जनता ही नहीं कई बार सरकारी अधिकारी और कर्मचारी भी हो जाते हैं, इस पूरे मामले में दिलचस्प बात यह है कि जिस अपील प्रकरण में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सरकार को पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट लाने के लिए कहा है, उस प्रकरण में ना केवल आरटीआई आवेदन में जिस जानकारी को मांगा था उससे संबंधित दस्तावेज गायब हैं, इतनी ही नहीं जो आरटीआई आवेदन था वह भी रिकॉर्ड से गायब हो गया है।
23 जनवरी तक मांगी रिपोर्ट
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में यह स्पष्ट करते हुए कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम में दस्तावेजों के प्रबंध एवं विनाश संबंधित पद्धतियों में आवश्यक परिवर्तन करने के अधिकार आयोग के पास हैं,सिंह ने प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग को आदेशित किया कि पब्लिक रिकॉर्ड के प्रबंधन और प्रशासन के लिए मध्यप्रदेश का पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनवाने के लिए विभागीय स्तर पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें। साथ में राज्य सूचना आयोग ने यह भी कहा है कि जब तक पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट बनकर लागू नहीं होता है, उस समय अवधि के लिए केंद्र के पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट के अनुरूप मध्यप्रदेश में रिकॉर्ड मेंटेनेंस के लिए गाइडलाइन जारी कर समस्त विभागों को निर्देशित किया जाए इस मामले में सिंह ने 23 जनवरी 2023 तक सामान्य प्रशासन विभाग से रिपोर्ट तलब की है।
एमपी में पब्लिक रिकॉर्ड कानून नहीं होना आश्चर्य का विषय
मध्य प्रदेश के गठन के 66 साल बीत जाने के बाद भी सरकारी दस्तावेजों के रख रखाव और प्रबंधन के लिए पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट नहीं होना बड़े आश्चर्य का विषय है। जबकि केंद्र एवं अन्य राज्यों में अपना पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट है, जिसके तहत कार्यालय में फाइलों का प्रबंधन सुनिश्चित किया जाता है, और वहां कार्यों में पारदर्शिता भी रहती है, मध्य प्रदेश में इस कानून का न होना सरकारी मशीनरी पर भी कई गंभीर सवाल खड़े करता है।