Jabalpur. मध्यप्रदेश का सबसे पुराना जबलपुर नगर निगम अब कायाकल्प की बाट जोह रहा है, अंग्रेजों के जमाने की ईमारत में चल रहे इस म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन की मुख्यालय को अब नई बिल्डिंग की दरकार है। जिसके चलते महापौर जगत बहादुर अन्नू की मेयर इन काउंसिल ने नगर निगम के नए दो मंजिला भवन के लिए प्रस्ताव तैयार करने को मंजूरी दे दी है। बता दें कि जबलपुर नगर निगम की सीमा विस्तार और परिसीमन के बाद वार्डों की संख्या में काफी इजाफा हो चुका है, पार्षदों और विशेष आमंत्रित सदस्यों के एकसाथ बैठने पर निगम सदन में जगह नहीं बचती है। आधी आबादी यानि महिला पार्षदों के लिए सुविधाओं का भी अभाव है। जिसके चलते एमआईसी ने नए भवन को तैयार कराने की बहुप्रतीक्षित मांग पर एक कदम बढ़ा दिया है।
होता गया विस्तार, बढ़ते गए वार्ड
बता दें कि प्रदेश में सर्वप्रथम नगर निगम के रूप में अस्तित्व में आने के बाद से जबलपुर नगर निगम की सीमा का लगातार विस्तार होता गया, वार्डों की संख्या जो कभी 40 के आसपास थी। नब्बे के दशक में 60 वार्डों तक पहुंची और हालिया विस्तार के बाद अब वार्डों की संख्या 79 है। नगर निगम को अनेक जोन में विभक्त किया गया है। जोन कार्यालय अपने-अपने वार्डों की कामकाज का लेखा जोखा और निरीक्षण करते रहते हैं, लेकिन मुख्यालय के लिए नया भवन बनवाने की मांग समय-समय पर उठती रही। यदि नगर सत्ता का प्रस्ताव सदन से मंजूर हो जाता है तो आने वाले समय में जबलपुर नगर निगम नए भवन से संचालित होगा।
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इन्हें मिल चुके हैं नए भवन
समय के साथ जबलपुर में कई महकमों को नए भवन मिल चुके हैं। आरटीओ दफ्तर पाटन बायपास पर भव्य भवन में शिफ्ट हो चुका है, जिला न्यायालय आलीशान और भव्य ईमारत में स्थानांतरित हो चुका है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के भवन विस्तार की योजना प्रगति पर है। शहर की कई मुख्य थानों तक को नया भवन मिल चुका है। ऐसे में भला पूरे शहर के विकास का प्लान तैयार करने वाला नगर निगम क्यों अंग्रेजों के जमाने के भवन से संचालित होता रहे। यही सोचकर मेयर इन काउंसिल ने इसका प्रस्ताव तैयार करने पर सहमति दी है, माना जा रहा है कि इस बेहद आवश्यक प्रस्ताव पर सत्तापक्ष भी सहमत हो जाएगा।
बैठक में हुई इन मुद्दों पर चर्चा
एमआईसी की बैठक में सफाई ठेके के लिए 45 करोड़ का टेंडर जारी करने, जलप्लावन रोकने, अतिथि शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया, कबाड़ हो चुकी बसों के उपयोग समेत अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमति प्रदान की गई। इसके अलावा सघन बाजारों में अतिक्रमण निरोधी अभियान चलाने और मल-जल निकासी योजना में साल 2010-11 में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए लीगल ओपिनियन लेने पर भी निर्णय लिया गया।