New Delhi. प्रदेश की स्कूली शिक्षा को बेहतर बनाने प्रदेश सरकार निरंतर स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं बढ़ाए जाने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। इसका खुलासा उस वक्त लोकसभा में हुआ जब एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान स्कूली शिक्षा से जुड़े आंकड़े पेश किए। जवाब में बताया गया कि प्रदेश के 21 हजार से ज्यादा स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है, वहीं 25 हजार से ज्यादा ऐसे स्कूल हैं जहां बिजली का कनेक्शन ही नहीं है।
छत्तीसढ़ से भी बुरे हैं हालात
एक सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने लोकसभा में बताया कि स्कूलों में खेल के मैदान और बिजली कनेक्शन न होने के मामले में मध्यप्रदेश का पहला नंबर है। छत्तीसगढ़ राज्य के सुदूर संवेदी क्षेत्रों में भी हालात कहीं बेहतर हैं। धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक मध्यप्रदेश में कुल 92695 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें से 25 हजार 8 सौ चार स्कूलों में बिजली कनेक्शन नहीं है, जबकि 21 हजार इकत्तीस स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है।
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शादी-ब्याह और धार्मिक आयोजनों में होता है उपयोग
अनेक सरकारी स्कूलों के हालात ऐसे हैं कि इनमें शादी विवाह या अन्य समारोह में इनका उपयोग किया जाता है। उस वक्त जरूर बिजली की टेंपररी व्यवस्था हो जाती है लेकिन स्कूली बच्चे बिना बिजली के ही पढ़ाई करते हैं। ऐसे में ऑनलाइन क्लास या फिर कंप्यूटर शिक्षा की बात तो करना ही बेकार है।
यह सुविधाएं हैं आवश्यक
सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक स्कूलों में पीने के पानी, हाथ धोने वाले स्थानों का निर्माण होना जरूरी है, लड़के और लड़कियों के लिए पृथक शौचालय, सैनेटरी पैड वेंडिंग मशीन और इंसीनेटर का निर्माण होना चाहिए। दिव्यांग अनुकूल शौचालय, रैंप व अन्य सुविधाएं, रसोई, चालू बिजली कनेक्शन, वाई-फाई की सुविधा भी होना जरूरी बताया गया है। लेकिन मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों के लिए ये सभी सुविधाएं दिवास्वप्न से ज्यादा और कुछ नहीं।