प्रदेश में चल रही बिजली कर्मियों की स्ट्राइक स्थगित, संयोजक ने कहा-गणतंत्र दिवस के चलते लिया फैसला, यूनाइटेड फोरम ने भी हाथ खींचा

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Rajeev Upadhyay
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प्रदेश में चल रही बिजली कर्मियों की स्ट्राइक स्थगित, संयोजक ने कहा-गणतंत्र दिवस के चलते लिया फैसला, यूनाइटेड फोरम ने भी हाथ खींचा

Bhopal. प्रदेश में हड़ताल कर रहे 70 हजार से ज्यादा बिजलीकर्मियों ने अपनी हड़ताल को स्थगित करने का फैसला लिया है। संयोजक के एस परिहार ने कहा है कि राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के चलते सभी कर्मचारियों ने काम पर लौटने का फैसला लिया है तो दूसरी ओर यूनाइटेड फोरम ने काम पर लौटने का फैसला लेते हुए आउटसोर्स संगठन से अपना समर्थन वापस ले लिया। यह भी एक कारण है जिसके चलते आउटसोर्स कर्मचारियों को अपनी स्ट्राइक खत्म करनी पड़ी है। कहा जा रहा है कि कुछ दिन बाद फिर चर्चा करके आंदोलन किया जाएगा। बता दें कि एक साथ हजारों बिजली कर्मचारियों के हड़ताल पर बैठ जाने से पूरे प्रदेश में बिजली से जुड़ी सेवाएं ठप हो गई थीं। 





21 जनवरी से चल रहा आंदोलन





संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी 21 जनवरी से अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे थे। बुधवार को भी हड़ताल जारी रही। भोपाल में न्यू मार्केट के राम मंदिर में कर्मचारियों द्वारा सदबुद्धि यज्ञ भी कराया जा रहा था। इसी बीच यूनाइटेड फोरम ने हड़ताल से अपना सपोर्ट खींच लिया। जिसके बाद पूरी हड़ताल दो फांक हो गई। 







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  • तोड़ने के किए जा रहे थे प्रयास





    उधर फोरम के संयोजक परिहार ने बताया कि कल्याण संघ्ज्ञ और आउटसोर्स संघ द्वारा 21 जनवरी से पूरी तरह से कामबंद हड़ताल की जा रही थी। यूनाइटेड फोरम ने भी 24 जनवरी को समर्थन दिया था, लेकिन दूसरे संगठनों ने समर्थन नहीं दिया, उल्टा उनकी हड़ताल को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा था। हड़ताल के चलते नियमित कर्मचारियों से लगातार ड्यूटी कराई जा रही है। गणतंत्र दिवस भी पड़ रहा है। वहीं आंदोलन के प्रति शासन-प्रशासन का रवैया काफी कड़ा है। यही कारण है कि फोरम ने निर्णय लिया है कि जिन संगठनों ने समर्थन दिया था, उसे स्थगित किया है। अन्य संगठन से भी हड़ताल स्थगित करने की अपील की है। कुछ दिन बाद फिर संगठित होकर चर्चा की जाएगी और फिर से आंदोलन किया जाएगा। 





    यह हैं प्रमुख मांगें





    हड़ताल कर रहे कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में संविदा बिजली कर्मचारियों के नियमितीकरण, आउटसोर्स कर्मचारियों के संविलियन, वेतनवृद्धि, दुर्घटना बीमा, पुरानी पेंशन बहाली, वेतन विसंगती दूर करने कमेटी का गठन और फ्रिंज बेनिफिट्स का पुनरीक्षण कर कैशलेस मेडिक्लेम पॉलिसी लागू करने की मांगें प्रमुख हैं। 



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