राजगढ़. यहां के ग्रामीण लाकों में आज भी अंधविश्वास कम नहीं हुआ है। यहां सर्दी-खांसी या मौसमी बीमारियों को खत्म करने के लिए लोग टोने-टोटके कर रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चों के पेट पर जगह-जगह गर्म सरिए से दाग रहे हैं। सके बाद जब बच्चों की तबियत बिगड़ने लगी तो उन्हें लेकर जिला अस्पताल ले गए। डॉक्टरों केमुताबिक, जिले में इन दिनों काफी बच्चों को निमोनिया और वायरल हो रहा है। निमोनिया के कारण बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
10 दिन में 3 ऐसे बच्चे मिले
मोयाखेड़ा गांव की रहने वाली सुनीता जिला अस्पताल में अपने 6 महीने के बेटे नयन को लेकर आई जो निमोनिया से पीड़ित है। सुनीता ने बताया कि नयन की पसलियां चल रही थीं, इसलिए उसके दादाजी ने गांव के एक बुजुर्ग से उसके शरीर पर गर्म सरिए से निशान लगवाए. नयन को इससे कोई आराम नहीं हुआ। उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। पिछले 10 दिन में नयन की तरह जिला अस्पताल में 3 ऐसे बच्चे आए हैं, जिनके शरीर पर ऐसे दागे जाने के निशान मिले हैं। अंधविश्वास के कारण परिजन बीमार बच्चों को गर्म सरिए से दगवा रहे हैं।
गांवो में आज भी अंधविश्वास
शिशु रोग विशेषज्ञ आरएस माथुर (R S Mathur) ने बताया कि पिछले 8-10 दिनों से जिला अस्पताल में इस तरह के 3 बच्चे आ चुके हैं जिनके शरीर पर दागे जाने के निशान मिले हैं। गांवो में आज भी ऐसा अंधविश्वास है कि दागे जाने से निमोनिया ठीक हो जाता है। गांव के लोगों को ये समझना चाहिए कि बच्चा पहले से ही निमोनिया से पीड़ित है, ऐसे में दाग कर उसके दर्द को और नहीं बढ़ाना चाहिए। दागने से निमोनिया (pneumoniae) ठीक नहीं होगा। जिला अस्पताल के पीड्रियाटिक वार्ड में अभी 65 बच्चे भर्ती हैं, जिनमें से 5 बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। इनमें से कई को निमोनिया है।