भोपाल. सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (mp highcourt) के सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के आदेश के खिलाफ एक याचिका की सुनवाई की। सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग के निदेशक को आदेश दिया कि निजी स्कूल किस चीज की कितनी फीस ले रहे हैं। इसका डाटा मध्यप्रदेश शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रदर्शित करें। सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने सरकार को यह आदेश 19 अगस्त को दिया है।
स्कूलों की मनमानी खत्म
प्राइवेट स्कूल (private school fees) अकेडमिक सेशन के बाद कई फीस जैसे खेलकूद, वार्षिक कार्यक्रम, लाइब्रेरी और सांस्कृतिक एक्टिविटी की फीस लेते हैं। लेकिन शुरूआत में इसकी जानकारी बच्चों के पेरेंट्स को नहीं दी जाती है। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी स्कूल संचालकों को इसकी जानकारी स्कूल शिक्षा विभाग को देनी होगी।
अभिभावकों की शिकायतों का निराकरण
कोर्ट ने कहा कि अगर पेरेंट्स को शिकायत है तो वो जिला समिति के सामने अपनी बात रखेगा। समिति को 4 सप्ताह (28 दिन) में इसका निराकरण करना होगा। इससे पहले प्रशासन पेरेंट्स की शिकायतों के लिए गंभीर नहीं था।
जागृत पालक संघ की याचिका
प्राइवेट स्कूलों को सिर्फ स्कूल फीस लेने के आदेश के खिलाफ जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई में पीठ ने कहा कि हम राज्य के स्कूली शिक्षा निदेशक को निर्देश देते हैं कि वे संबंधित जिला समितियों से जिले के स्कूलों द्वारा किए गए अनुपालन का विवरण एकत्र करें और उस जानकारी को मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रदर्शित करें।