BHOPAL. ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच के बाद सुप्रीम कोर्ट से मध्यप्रदेश सरकार को झटका लगा है। एससी ने अनारक्षित वर्ग के अफसरों के प्रमोशन के मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वो आठ हफ्ते शपथ पत्र दाखिल कर ये बताए कि उसने अब तक इस मामले में क्या-क्या किया, अभी इसकी क्या स्थिति है। तीन जजों की बेंच ने यह आदेश राज्य सरकार की अपील पर दिया है। दरअसल, ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच इस मामले में प्रमोशन पर रोक हटाने के लिए सरकार को निर्देशित कर चुकी है। जब सरकार ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की तो हाईकोर्ट ने अफसरों को कोर्ट बुलाकर सजा भुगतने के लिए तैयार होने को कहा था। इसी कार्रवाई से बचने के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।
ये खबर भी पढ़ें...
दो दिन पहले ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच में हुई थी सुनवाई
दो दिन पहले ग्वालियर हाईकोर्ट बेंच में कर्मचारियों को आरक्षण मामले में सुनवाई हुई थी। जस्टिस रोहित आर्य और जस्टिस सत्येंद्र सिंह की बेंच ने मध्य प्रदेश सरकार को कहा था कि कर्मचारियों को प्रमोशन न दिया जाना, उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन है। बेंच ने कहा था है कि पशुपालन विभाग में तो 11 में से 2 चिकित्सक बगैर प्रमोशन रिटायर हो गए हैं। अन्य 9 के मामले में भी नौकरी की तारीख से अभी तक कोई प्रमोशन नहीं मिला है। राज्य सरकार का बिना किसी कारण के राज्य के कर्मचारियों के प्रति ऐसा उदासीन व्यवहार निंदनीय है। याचिकाकर्ताओं को भारत के संविधान के मौलिक अधिकार 14 एवं 16 में जो अधिकार मिले हुए हैं, उन्हें किसी भी स्थिति में दरकिनार नहीं किया जा सकता। फिर भी हम न्यायिक अनुशासन को ध्यान में रखते हुए बाध्यकारी निर्देश देना स्थगित करते हैं और याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट से निर्देश प्राप्त करने की छूट देते हैं।