मनी लॉन्ड्रिंग केस में MP के पूर्व CS गोपाल रेड्डी की मुसीबत बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर ED की जांच को सही बताया

author-image
Sunil Shukla
एडिट
New Update
मनी लॉन्ड्रिंग केस में MP के पूर्व CS गोपाल रेड्डी की मुसीबत बढ़ी, सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर ED की जांच को सही बताया

BHOPAL. मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी की मनी लॉन्ड्रिंग केस में मुसीबतें बढ़ने वाली हैं। सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी आधार पर हवाला मामले में उनकी अग्रिम जमानत खारिज कर दी है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 15 दिसंबर 2020 में गोपाल रेड्डी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत केस दर्ज किया था, जिस पर तेलंगाना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ही एक फैसले को आधार बनाते हुए 2 मार्च 2021 को गोपाल रेड्डी को अग्रिम जमानत दे दी थी। इसके खिलाफ ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी अग्रिम जमानत को खारिज करने की मांग की थी।





publive-image





सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल रेड्डी के खिलाफ दर्ज मामले को गंभीर माना





सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार (24 फरवरी) को जस्टिस एमआर शाह ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने इस मामले में ईडी की दलील सुनने के बाद गोपाल रेड्डी को हाई कोर्ट से मिली अग्रिम जमानत खारिज कर दी। जस्टिस शाह ने इस मामले में  ईडी बनाम डॉ. वीसी मोहन केस का हवाला लेते हुए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 में गोपाल रेड्डी के खिलाफ दर्ज हवाला मामले को गंभीर मानते हुए उनकी अग्रिम जमानत का आधार खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि आगे चलकर गोपाल रेड्डी की इस हवाला मामले में गिरफ्तारी होती है और वे नियमित जमानत का आवेदन देते हैं तो उनके खिलाफ ईडी का जांच में मिले तथ्यों और सूबूतों के मेरिट के आधार पर फैसला किया जा सकता है।





ये खबर भी पढ़िए..





शिवराज सरकार 28 फरवरी को फिर 3 हजार करोड़ का कर्ज लेगी, ऐसा बजट से पहले 30 दिन में पांचवीं बार हो रहा





सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की जांच को सही बताया





सुप्रीम कोर्ट ने गोपाल रेड्डी को मध्य प्रदेश में जल संसाधन विभाग के ई-टेंडर घोटाले के मामले में सभी आरोपियों के बरी होने का लाभ देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने बहस के दौरान रेड्डी के वकील के इस तर्क को खारिज कर दिया कि चूंकि गोपाल रेड्डी का नाम ई-टेंडर घोटाले की एफआईआर में शामिल नहीं है। रेड्डी के वकील ने तर्क दिया था कि उस केस में संबंधित कोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है, इसलिए गोपाल रेड्डी के खिलाफ हवाला मामले की जांच न की जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईडी की जांच में जो तथ्य और सबूत मिले हैं उनके आधार पर रेड्डी के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच एकदम उचित है। इस तरह कोर्ट ने गोपाल रेड्डी के खिलाफ जांच आगे जारी रखने का रास्ता खोल दिया है।





दो साल पहले ईडी की जांच के दायरे में आए थे रेड्डी 





जल संसाधन विभाग के ई टेंडरिंग घोटाले में दो साल पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के दायरे में पूर्व मुख्य सचिव एम. गोपाल रेड्डी आ गए थे। ईडी की एक टीम ने गोपाल रेड्डी के हैदराबाद स्थित आवास पर छापेमारी कर दस्तावेजों की छानबीन की थी। रेड्डी के अलावा उन कंपनियों के यहां भी छापेमारे की गई थी जिन्हें टेंडर में टेम्परिंग कर ठेके दिए गए थे। उस समय विभाग के प्रशासनिक मुखिया अपर मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी थे। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने अप्रैल 2018 में एफआईआर दर्ज की थी। इस आधार पर ईडी ने भी मनी लान्ड्रिंग का केस दर्ज किया था। बता दें कि एमपी कैडर के 1985 बैच के आईएएस अफसर गोपाल रेड्डी सितंबर 2020 में रिटायर हो गए थे। इससे पहले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने उन्हें 5 मार्च 2020 को मुख्य सचिव बनाया था,लेकिन बीजेपी की शिवराज सरकार ने सत्ता में लौटते ही उन्हें हटा कर इकबाल सिंह को मुख्य सचिव बना दिया था। रेड्डी रिटायर होने के बाद हैदराबाद शिफ्ट हो गए थे। 





प्रभावशाली लोगों को भुगतान की जांच 





ईडी को छापे में जब्त दस्तावेजों के आधार पर इस बात के संकेत मिले थे कि जो कंपनियां ई टेंडरिंग घोटाले में शामिल थीं,उन्हें कुछ समय बाद बड़े पैमाने पर भुगतान किए गए थे। इस आधार पर ईडी यह पता लगाने में जुटी था कि क्या इन कंपनियों ने इन भुगतान के एवज में कुछ प्रभावशाली लोगों को भी आर्थिक लाभ पहुंचाया है। इसलिए ईडी इन कंपनियों के खातों से भुगतान पाने वाले कई लोगों के बैंक खातों की भी जानकारी जुटाई थी।  इसी सिलसिले में ईडी की टीम ने भोपाल, हैदराबाद और बेंगलुरु सहित 16 स्थानों पर छापे मारे थे।





क्या है ई-टेंडरिंग घोटाला 





मप्र का ई-टेंडरिंग घोटाला अप्रैल 2018 में उस समय सामने आया था जब जल निगम के तीन टेंडर को खोलते समय कम्प्यूटर ने एक संदेश डिस्प्ले किया। इससे पता चला कि टेंडर की प्रक्रिया में टेम्परिंग की जा रही है। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आदेश पर इसकी जांच मप्र के EOW को सौंपी गई थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि जीवीपीआर इंजीनियर्स और अन्य कंपनियों ने जल निगम के तीन टेंडरों में बोली की कीमत में 1769 करोड़ का बदलाव कर दिया था।



money laundering case मनी लॉन्ड्रिंग केस former MP CS Gopal Reddy Anticipatory bail of former CS M Gopal Reddy rejected E-tender scam of irrigation department in MP मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव गोपाल रेड्डी सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की ई-टेंडर घोटाला