New Dehli. लखीमपुर खीरी में किसानों को जीप से कुचले जाने के मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट को बताया कि उसने जमानत याचिका का विरोध किया है। साथ ही अदालत को अवगत कराया गया कि घटना के चश्मदीद गवाह ने आरोपी को भागते देखा था और यह बात चार्जशीट में भी उल्लेखित की गई है। सरकार की ओर से कहा गया कि अपराध गंभीर श्रेणी का है ऐसे में आरोपी को जमानत का लाभ देना समाज पर बुरा असर डाल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी जमानत याचिका
बता दें कि लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसमें हाईकोर्ट ने मिश्रा को हिंसा मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया था।
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आशीष की तरफ से मुकुल रोहतगी ने की पैरवी
आशीष मिश्रा की ओर से मामले में वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पैरवी की और दुष्यंत दवे की दलील का विरोध किया और कहा कि वह कौन है? कितना ताकतवर है? क्या यह जमानत न देने की वजह है? उन्होंने दलील दी कि उनका मुवक्किल बीते एक साल से ज्यादा समय से जेल में बंद है। और जिस प्रकार ट्रायल चल रहा है उसे पूरा होने में 7 से 8 साल लगेंगे। दलील दी गई कि जिस जगजीत सिंह ने शिकायत की है वह चश्मदीद गवाह नहीं है। वहीं उनके मुवक्किल का कोई पुराना आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेके माहेश्वरी की बेंच को जमानत का विरोध कर रहे दुष्यंत दवे ने भी दलील दी। उन्होंने कहा कि जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा। तमाम दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा है।