JABALPUR. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के जाति व्यवस्था वाले बयान पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि RSS चीफ मोहन भागवत ने बोला था कि पंडितों ने जाति बनाई है। इसके बाद उनके बयान पर सफाई दी गई कि पंडित का मतलब 'विद्वान' है न कि ब्राह्मण। यदि विद्वानों ने कुछ कहा है कि तो उनकी अवहेलना क्यों की जा रही है।
गीता में भी है चार वर्णों की चर्चा
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि मोहन भागवत की छवि पर लगे दाग को खत्म करने के लिए माफी काफी नहीं है। भागवत को बताना चाहिए कि उन्होंने क्या रिसर्च की। मैंने गीता में पढ़ा है कि भगवान कृष्ण ने खुद कहा है कि उन्होंने चार वर्णों की रचना की है।
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भारतीयता खत्म होती जा रही है
शंकराचार्य ने कहा कि भारत से भारतीयता खत्म होती जा रही है। भारत में तेजी से पाश्चात्य सभ्यता का विस्तार हो रहा है। मध्य प्रदेश के हृदय स्थल संस्कारधानी जबलपुर में खुल रहे संस्कार पाठशाला में 1008 बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी इस पाठशाला को मूर्त रूप देकर यहां पर प्रकांड विद्वानों को तैयार किया जाएगा।
संघ प्रमुख ने यह कहा था
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने जातिवाद को लेकर बड़ा बयान दिया था। भागवत ने कहा था कि हमारे समाज के बंटवारे का ही फायदा दूसरों ने उठाया। इसी का फायदा उठाकर हमारे देश में आक्रमण हुए और बाहर से आए लोगों ने फायदा उठाया। हिन्दू समाज देश में नष्ट होने का भय दिख रहा है क्या? यह बात आपको कोई ब्राह्मण नहीं बता सकता। आपको समझना होगा. हमारे आजीविका का मतलब समाज के प्रति भी जिम्मेदारी होती है। जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा, या कोई अलग कैसे हो गया? उन्होंने कहा था भगवान ने हमेशा बोला है कि मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें कोई जाति, वर्ण नहीं है। लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वो गलत था। देश में विवेक, चेतना सभी एक है। उसमें कोई अंतर नहीं। बस मत अलग-अलग हैं। धर्म को हमने बदलने की कोशिश नहीं की।