भोपाल-इंदौर समेत कई शहरों में बादल छाए, बूंदाबादी भी हुई, प्रदेश में 15 दिसंबर आसमान ढंका रहेगा, फिर बढ़ेगी ठंड

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Vijay Choudhary
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भोपाल-इंदौर समेत कई शहरों में बादल छाए, बूंदाबादी भी हुई, प्रदेश में 15 दिसंबर आसमान ढंका रहेगा, फिर बढ़ेगी ठंड

BHOPAL. तमिलनाडु में आए तूफान का असर मध्यप्रदेश में भी देखा जा रहा है। बंगाल की खाड़ी में उठे मैंडूस तूफान से प्रदेश के कई शहरों में बादल छाए हुए हैं। राजधानी भोपाल में सुबह 7 बजे से बूंदाबांदी हुई। मौसम विभाग ने पहले ही 12 दिसंबर से मावठा गिरने का पूर्वानुमान का जताया था। अगले तीन दिन तक मैंडूस का सबसे ज्यादा असर इंदौर, खंडवा, इटारसी, बड़वानी, भोपाल, आगर-मालवा समेत सागर, रीवा, छतरपुर, छिंदवाड़ा, बैतूल, जबलपुर और शहडोल में रह सकता है।



इन जिलों में गिर सकता है मावठा



12 दिसंबर की रात से बड़वानी, बैतूल, इटारसी, भोपाल, इंदौर, सागर, रीवा, छिंदवाड़ा और शहडोल में हल्के बादल रह सकते हैं। इन जिलों में बूंदाबांदी के आसार भी हैं। 13 दिसंबर की रात रीवा, सागर, भोपाल, बड़वानी, छिंदवाड़ा, इटारसी, दमोह और उमरिया में हल्की बारिश हो सकती है। इसी दिन शाम तक बड़वानी, इंदौर, भोपाल, सागर, रीवा, सिंगरौली, बैतूल और खंडवा में बादल छाने से बूंदाबांदी होने की संभावना है। 14 दिसंबर को बादल छंटने से तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है। 15 दिसंबर तक मध्यप्रदेश में हल्के से मध्यम बादल छाए रह सकते हैं।



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 इस साल बंगाल की खाड़ी में दूसरा तूफान



इस साल मानसून के बाद बंगाल की खाड़ी में यह दूसरा तूफान है। इससे पहले अक्टूबर में बांग्लादेश के तट पर सितरांग तूफान आया था। चक्रवाती तूफान मैंडूस का नाम संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने दिया है। अरबी भाषा में इसका अर्थ है- खजाना।



हिमाचल में ताजा बर्फबारी



हिमाचल में हो रही बर्फबारी मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ाएगी। हिमाचल के लाहौल जिले में सड़कों पर ब्लैक आइस जमना शुरू हो गई है। इन दिनों पर्यटकों की पहली पसंद लाहौल-स्पीति है। अटल टनल और बर्फबारी देखने के लिए पर्यटक देशभर से पहुंचने वाले हैं। क्रिसमस और नए साल पर जाने वाले सैलानियों ने कुल्लू, मनाली, शिमला, धर्मशाला में एडवांस बुकिंग करवा ली है। इसके चलते 70 से 80 फीसदी होटल एडवांस बुक हो चुके हैं। स्थानीय होटल कारोबारियों को उम्मीद है कि 25 दिसंबर तक सभी होटल फुल हो जाएंगे।



कैसे अनुमान लगाते हैं मौसम वैज्ञानिक




मौसम वैज्ञानिक लगातार बादलों, तापमान, हवाओं और चक्रवात का आकलन कर हर दिन मौसम का पूर्वानुमान यानी फोरकास्ट करते हैं। कई बार यह पूर्वानुमान फेल भी हो जाते हैं। यह पूर्वानुमान एक कोड पर बनते हैं। कोड में दिन के मौसम की स्थिति का सटीक आकलन कर डाटा भरा जाता है। इसकी मदद से सुपर कम्प्यूटर मौसम का पूर्वानुमान लगाता है। इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) के मौसम वैज्ञानिक डॉ. गौरव तिवारी ने मौसम के पूर्वानुमान लगाने की प्रोसेस को बताया। 


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