INDORE. हायटस हर्निया एक ऐसी स्थिति है जब शरीर का कोई आंतरिक अंग या उसका हिस्सा आप्रकृतिक रूप से अंग के दूसरे हिस्से में पहुंच जाता है। ऐसा ही एक मामला मप्र के इंदौर में देखने को मिला। जहां एक शिक्षक की पेट की थैली को मूल स्थान पर बिना चीर-फाड़ के वापस पेट की जगह लाया गया। डॉक्टर के मुताबिक मरीज की सिटी स्कैन और एंडोस्कोपी की जांचें की गई। जिसमें पता चला कि उनका अमाशय (पेट की थैली) अपने मूल स्थान से खींचकर छाती में घुस गया है। सर्जरी कर उन्हें पेट व छाती के बीच के होल को स्पेशल मेश लगाकर बंद किया गया।
50 साल के हैं शिक्षक
खरगोन जिले के भीकनगांव के रहने वाले 50 वर्षीय शिक्षक के परिवार में माता-पिता, पत्नी और दो बच्चे हैं। वह हमेशा से ही सात्विक व संतुलित भोजन करते थे। 2021 के आखिरी महीने में उनके पेट में अचानक दर्द उठा। यह कोई पहली बार नहीं हुआ, बल्कि जब वह भोजन करते कुछ देर बाद पेट दर्द शुरू हो जाता था। कई बार दर्द इतना बढ़ा जाता था कि सहन शक्ति से बाहर हो जाता था। भोजन कम लेना शुरू किया लेकिन समस्या जस की तस बनी रही।
पहली बार हुई सर्जरी
गेस्ट्रो सर्जन ने बताया कि अक्टूबर 2022 के आखिरी दिनों में मरीज की सर्जरी की गई थी। यह सर्जरी करीब पांच घंटे चली। पहली स्टेप में पेट की थैली जो एकदम छाती में आ गई थी, उसे वहां से निकाला और अपनी जगह फिट किया गया। फिर भी राह आसान नहीं थी, क्योंकि जिस रास्ते से पेट की थैली को नीचे किया गया, वहां एक बड़ा होल हो गया था। इससे पेट के कंटेंट्स फेफड़ों और हार्ट की झिल्लियों को प्रभावित कर दोनों अंगों को नुकसान पहुंचा सकते थे। दूसरा यह कि होल इतना बड़ा था कि टांके लगना भी संभव नहीं थे। इसके लिए स्पेशल मेश (जाली) लगाना प्लान कर छेद को बंद किया गया। छाती और पेट के बीच के छिद्र को स्पेशल मेश (जाली) के जरिए पैक कर दिया गया, ताकि पेट के कंटेंट्स फिर से छाती तक ना जा पाएं। मध्य भारत में ऐसा पहली बार हुआ है जब घुलने वाली सिंथेटिक जाली लगाकर इस तरह की लेप्रोस्कोपिक सर्जरी की गई है।
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खाने के तुरंत बाद होती थी उल्टी
शिक्षक ने बताया कि अक्टूबर 2022 के अंतिम माह में उसकी पेट की तकलीफ ज्यादा बढ़ गई थी। जब भी वह भोजन करता था तो कुछ देर बाद उसे उल्टियां होने लगती थी। वह जो भी खाता था, वह बाहर आने लगा। इस दौरान सीने में भी दर्द होना शुरू हो गया था। जांचें कराने के बाद पता चला कि उन्हें बड़े हायटस हर्निया की बीमारी हो गई है। डॉक्टर ने बताया कि मरीज के पेट की थैली मूल स्थान से निकलकर डिस्लोकेट हो गई थी। इसके चलते आहार वहां तक पहुंच ही नहीं पा रहा था। अब जो उल्टियां हो रही हैं, वह इसलिए की पेट की थैली का अधिकांश हिस्सा सीने में घुस गया है।
दूरबीन पद्धति से हुई सर्जरी
डॉक्टर के मुताबिक यह सर्जरी बिना चीरफाड़ के लेप्रोस्कोपिक सर्जरी से हुई है। यह दूरबीन पद्धति है। यह जटिल जरूर है लेकिन कराना भी जरूरी है। अन्यथा जान को खतरा भी हो सकता है। परिवार की सहमति के बाद ही सर्जरी हुई है। डॉक्टरों की टीम ने सर्जरी के पूर्व मुंबई से एक स्पेशल मेश (सिंथेटिक जारी) मंगाई गई। उक्त मरीज के लिए 10X10 सेमी की स्पेशल मेश मंगवाई गई। सर्जरी की दूसरी स्टेप में इस स्पेशल मेश को जहां होल था, वहां फिट कर दिया गया। इस स्पेशल सिंथेटिक मेश की कीमत 90 हजार रुपए है और इसे स्पेशल पैक (कोल्ड) में इंदौर लाया गया। इस जाली की खूबी है कि यह एक से डेढ़ साल में शरीर में स्वत: ही घुल जाती है। इसके लगने से आहार नली और पेट पूरी तरह सुरक्षित हो जाती है।
इस बीमारी के लक्षण
- मांसपेशियां कमजोर होने से इस तरह की तकलीफें शुरू हो जाती हैं।