Jabalpur. जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में प्रतिनियुक्ति पर कुलसचिव बनाकर भेजे गए प्रोफेसरों को वापस पढ़ाने के लिए कॉलेजों में भेजने की तैयारी हो रही है। उच्च शिक्षा विभाग ने प्रतिनियुक्तियां खत्म करने का निर्णय लिया है। वहीं उच्च शिक्षा विभाग विश्वविद्यालयों में कसावट लाने के लिए करीब एक दर्जन से ज्यादा तबादले करने की फिराक में है। सूत्रों की मानें तो तबादलों की लिस्ट को लेकर भोपाल में घमासान मचा हुआ है।
आरडीयू के कुलसचिव भी खतरे में
उच्च शिक्षा विभाग ने साल 2021 में पारंपरिक विश्वविद्यालयों में रिक्त कुलसचिवों के पदों पर कॉलेजों के शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर भेजा था, लेकिन अब इस निर्णय को पलटते हुए विभाग प्रतिनियुक्तियां खत्म करने की तैयारी कर रहा है। पिछले दिनों इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए नोटशीट भी निकाली गई है। सूत्रों की मानें तो प्रतिनियुक्ति से वापस मूल विभाग में भेजे जाने वालों में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ ब्रजेश सिंह का नाम भी शामिल है। सिंह सतना पीजी कॉलेज में पदस्थ हैं। उन्हें अगस्त 2021 में प्रतिनियुक्ति पर आरडीयू का कुलसचिव बनाकर भेजा गया था। सूची में करीब एक दर्जन से ज्यादा अधिकारियों के नाम बताए जा रहे हैं।
अगले हफ्ते तक जारी हो सकते हैं आदेश
प्रतिनियुक्तियां समाप्त करते हुए मूल विभाग में भेजने को लेकर जल्द ही आदेश जारी हो सकते हैं। सूत्रों की मानें तो नोटशीट फाइनल हो चुकी है। केवल कुछ अधिकारियों के नाम पर मंथन चल रहा है। बताया जा रहा है कि उच्च शिक्षा विभाग आदेश जारी करने के साथ ही कुछ अन्य अधिकारियों का तबादला भी करने जा रहा है।
शिक्षकों को अधिकारी बनाने के खिलाफ थे पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री
बता दें कि उच्च शिक्षा और स्कूली शिक्षा दोनों ही विभागों में शिक्षक मूल कार्य छोड़कर अधिकारी बनकर बैठना पसंद करते हैं। लेकिन इससे स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों की कमी हो जाती थी और पढ़ाई भी प्रभावित होती थी। शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति पर भेज दिया जाता है और उनके स्थान पर दूसरे शिक्षक नियुक्त नहीं हो पाते। इस व्यवस्था के धुर विरोधी पूर्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता थे। उन्होने उच्च शिक्षा विभाग की तमाम प्रतिनियुक्तियां खत्म कर उन्हें कॉलेजों में पढ़ाने के लिए भेज दिया था। उनका कहना था कि शिक्षक केवल पढ़ाई पर ही ध्यान दें। लेकिन बाद में मंत्री बदलते ही फिर से प्रतिनियुक्ति का खेल शुरू हो गया था।