Jabalpur. जबलपुर जिले के सभी विकासखंडों में अब निशक्त बच्चों को होम बेस्ड एजुकेशन दिलाने का प्लान है। ऐसे दिव्यांग बच्चों की पढ़ाई के लिए अभिभावकों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। घर पर ही शिक्षक पहुंचेंगे और बच्चों के साथ-साथ उनके अभिभावकों को भी बच्चे की देखभाल से संबंधित टिप्स देंगे। पालक और बालक दोनों को मोटिवेट करने की योजना है। जिले में इस योजना की तैयारी शुरू की जा रही है जिसके लिए सर्वप्रथम ऐसे निशक्त बच्चे चिन्हित किए जा रहे हैं। नई शिक्षा नीति के तहत इस प्रकार के बच्चों को शिक्षित करने आवश्यक कार्रवाई शुरू की जा रही है। बताया जा रहा है कि जिले में ऐसे करीब 6 हजार बच्चे हैं।
इस कार्यक्रम के लिए जिले के सभी विकासखंडों में शिक्षकों के जरिए ऐसे गंभीर रूप से निशक्त बच्चों और उनकी उम्र के अनुसार जानकारी अपडेट कराई जा रही हे। साथ ही ऐसे बच्चों के पालकों को नजदीकी स्कूल से संपर्क कर जानकारी देने कहा जा रहा है। ताकि उनके लिए यह व्यवस्था कराई जा सके।
मोबाइल रिसोर्स कोऑर्डिनेटर होंगे तैनात
इस योजना के लिए जिले में मोबाइल रिसोर्स कोऑर्डिनेटर तैनात किए जाऐंगे। जो घर जाकर निशक्त बच्चों के शिक्षण कार्य से लेकर उन्हें दैनिक गतिविधियों और उनकी पसंद, नापसंद आदि के बारे में जानकारी लेंगे। बच्चों के साथ ही पालकों को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रयास यह रहेगा कि बच्चे की सीखने की प्रवृत्ति बढ़ाई जा सके।
शिक्षकों का टोटा बड़ी समस्या
जानकारी के मुताबिक जिले में ऐसे 6 हजार बच्चे हैं। ये बच्चे विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त हैं। कुछ सरकारी स्कूलों में जाते हैं तो कुछ पढ़ाई से दूर हैं। ऐसे बच्चों के लिए शिक्षकों की संख्या बेहद सीमित है। जिले में एमआरसी के रूप में केवल 14 शिक्षक पदस्थ हैं। लंबे समय से इनकी नियुक्ति प्रतीक्षित है।
सहायक परियोजना समन्वयक तरूण राज दुबे ने बताया कि गंभीर रूप से अशक्त निशक्त बच्चों की पढ़ाई और प्रशिक्षण की व्यवस्था घर पर होगी। इसके लिए स्पेशल शिक्षकों को जवाबदारी दी जाएगी। जिले में ऐसे अशक्त बच्चों का चिन्हांकन कराया जा रहा है।