BHOPAL. मध्यप्रदेश में कर्मचारियों और अधिकारियों की हड़ताल का सीजन शुरू हो गया है। सब अपनी-अपनी मांगे सरकार से मनवाने के लिए अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेशभर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार सोमवार (20 मार्च) से तीन की छुट्टी पर चले गए हैं। वहीं, पंचायत सचिव-सहायक भी हड़ताल पर हैं। इधर, तहसीलदार हड़ताल पर जाने से एक रोज पहले यानी रविवार (19 मार्च) की रात को ऑफिशियल वॉट्सएप ग्रुप से एकसाथ लेफ्ट हो गए। यहां तक कि उन्होंने अपनी सरकारी गाड़ियां सीनियर अफसरों को जमा करा दीं। इन्होंने अपने डिजिटल साइन का डोंगल भी रात नौ बजे तक वापस अपने पास जमा कर लिया।
इन कामों पर असर
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के अवकाश पर चले जाने के कारण बंटाकन और सीमांकन जैसे अनेक काम नहीं हो सकेंगे। इससे पेंडिंग केस की संख्या बढ़ेगी। लाड़ली बहना योजना की मानीटरिंग में भी दिक्कतें आएंगी। यहां बता दें, वर्तमान व्यवस्था में अधिकतर जरूरी कार्य तहसीलदार और नायब तहसीलदार स्तर से ही आगे बढ़ते हैं यानी ये अफसर व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। ऐसे में अधिकांश सरकारी काम प्रभावित होंगे और आमजन को परेशानी होगी।
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इसलिए अवकाश पर
प्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का मुद्दा फरवरी से ही गरमाया हुआ है। वे चाहते हैं कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश जीएडी यानी सामान्य प्रशासन विभाग ही निकाले जाएं, ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी तहसील पर मिले, जो की गई है। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा और अफसरों के सम्मान को ठेस भी नहीं पहुंचेगी। हालांकि, अब तक लिस्ट जारी नहीं हुई है, इसलिए उन्होंने सामूहिक अवकाश पर जाने का मन बनाया है।
ये मांगें भी
प्रमोशन, नायब तहसीलदारों को राजपत्रित घोषित करने और राजस्व अधिकारियों की ग्रेड-पे एवं वेतन विसंगतियों को दूर करने की मांगें हैं। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि मांगों को लेकर लंबे समय से मांग कर रहे हैं। बावजूद अब तक ये पूरी नहीं की गई है। पिछले सप्ताह गुरुवार (16 मार्च) और शुक्रवार (17 मार्च) को उन्होंने काली पट्टी बांधकर काम किया, जबकि शनिवार-रविवार को सरकारी छुट्टी होने से काम नहीं किया। अब तीन दिन का अवकाश ले लिया है।
भोपाल से हो पूरी प्रक्रिया
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर या तहसीलदार का प्रभार दिया भी जा रहा है, तो आदेश जीएडी ही जारी करें, न कि रेवेन्यू विभाग। ऐसा होने पर ही वे प्रभार लेंगे। पूर्व में राजस्व निरीक्षकों को कार्यवाहक नायब तहसीलदार बनाया गया था। बाद में यह प्रभार ले लिया गया। यदि जीएडी आदेश निकालता है, तो सीधे भोपाल स्तर से ही प्रक्रिया की जाएगी।
सीनियरों को उच्च प्रभार दिए जाने का प्लान
जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश सरकार करीब 200 सीनियर तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर बनाने जा रही है। ये तहसीलदार पिछले 7 साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। वर्ष 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस क्राइटेरिया में आ रहे हैं। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन पाएंगे। इधर, कुल 173 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिए जाने की प्रोसेस चल रही है। हालांकि, इसके आदेश अब तक नहीं निकल सके हैं। इसके अलावा अन्य मांगों को लेकर भी अफसर सामूहिक छुट्टी पर चले गए हैं।
इन्हें दिया जाना है प्रभार
वर्ष 1999 से 2008 के बीच जो नायब तहसीलदार बने और फिर तहसीलदार के पद पर पदोन्नत हुए, लेकिन इसके बाद उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। उन तहसीलदारों को कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर नहीं बनाया जाएगा, जिन पर जांच चल रही हो। यानी, ऐसे तहसीलदारों को मौका नहीं मिलेगा।
पीएससी से भर्ती हुए, प्रमोशन का कर रहे इंतजार
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ की मानें तो वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिला। यदि नियम के अनुसार प्रमोशन होता तो दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है। हालांकि, नियमित पदोन्नति और जीएडी से आदेश जारी होने की मांग के चलते एक बार फिर से यह मामला सुर्खियों में है।