BHOPAL. मध्यप्रदेश में तहसीलदार और नायब तहसीलदार तीन दिन के अवकाश पर हैं। बताया जा रहा है वे प्रमोशन नहीं होने से नाराज हैं। सभी तहसीलदार और नायब तहसीदारों के 27-28 फरवरी और एक मार्च को छुट्टी पर रहने राजस्व सहित सामान्य कामकाज प्रभावित होगा। मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों ने अपनी मांगों को लेकर भोपाल में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
प्रमोशन का मामला सप्ताहभर से गरमाया
प्रदेश में तहसीलदारों को कार्यवाहह डिप्टी कलेक्टर और नायब तहसीलदारों को तहसीलदार बनाने का मुद्दा पिछले एक सप्ताह से गरमाया हुआ है। इनका संघ चाहता है कि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर और तहसीलदार को लेकर आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ही निकाले। ताकि जिलों में उन्हें पदोन्नति उसी तहसील पर मिले, जहां वे अभी पदस्थ हैं। इससे प्रभार के संबंध में दुविधा या दुरुपयोग नहीं होगा। इसके अलावा अफसरों के सम्मान को भी ठेस नहीं पहुंचेगी। अभी तक लिस्ट जारी नहीं हुई है, इसलिए उन्होंने कलेक्टरों को सामूहिक अवकाश पर जाने के आवेदन दिए हैं।
तीन दिन अवकाश पर रहने से कामकाज होगा प्रभावित
तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के तीन दिन तक अवकाश पर रहने से तहसीलों सहित अन्य राजस्व मामलों के काम सबसे ज्यादा पभावित होंगे। आम जनता के काम भी नहीं हो सकेंगे। प्रदेश के अधिकांश जिलों में इन अधिकारियों ने 27-28 फरवरी और 1 मार्च का सामूहिक अवकाश लिया है।
भोपाल स्तर से आदेश जारी हो
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि कार्यवाहक डिप्टी कलेक्टर या तहसीलदार का प्रभार दिया जा रहा है, तो आदेश सामान्य प्रशासन विभाग यानी जीएडी ही निकलना चाहिए, न कि रेवेन्यू विभाग। ऐसा होने पर ही वे प्रभार लेंगे। पिछली बार आदेश रेवेन्यू विभाग से जारी हुआ था। जिसके बाद प्रभार वापस ले लिया गया था। इसलिए इस बार आदेश जीएडी से ही निकलना चाहिए। जिससे भोपाल स्तर से ही प्रक्रिया पूरे प्रदेश में ठीक से लागू हो सकेगी।
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7 साल से कर रहे प्रमोशन का इंतजार
प्रदेश के करीब 200 सीनियर तहसीलदार सात साल से प्रमोशन का इंतजार कर रहे हैं। साल 1999 से 2008 के बीच के तहसीलदार इस प्रमोशन के क्राइटेरिया में आ रहे हैं। जिनकी विभागीय जांच चल रही है, वे डिप्टी कलेक्टर नहीं बन सकेंगे। वहीं कुल 173 नायब तहसीलदारों को भी तहसीलदार का प्रभार दिए जाने की प्रक्रिया चल रही है। यह भी बताया जा रहा है कि 25 फरवरी को विकास यात्रा का समापन का, ये अफसर इंतजार कर रहे थे। जिससे कि सरकार के काम में कोई बाधा न आए।
पीएसी से हुई थी भर्ती, अब प्रमोशन के इंतजार में
मध्यप्रदेश राजस्व अधिकारी संघ के मुताबिक वर्ष 1999 से 2008 के बीच एमपी पीएससी के जरिए नायब तहसीलदारों की भर्ती की गई थी, लेकिन उन्हें अब तक प्रमोशन नहीं मिला। नियमानुसार प्रमोशन होता तो नायब तहसीलदारों की दो बार पदोन्नति हो जाती। अब तक वे जॉइंट कलेक्टर बन चुके होते, लेकिन पदोन्नति रुकने के कारण डिप्टी कलेक्टर भी नहीं बन सके। वर्तमान में 220 तहसीलदार हैं, जो पदोन्नति का रास्ता देख रहे हैं। इनमें से कई ऐसे भी हैं, जिन पर विभागीय जांच लंबित है।