Jabalpur. जबलपुर में घाट पिपरिया इलाके में सरकारी जमीन पर बने एक प्राचीन तालाब की पुराई कर उस पर प्लाटिंग की योजना भूमाफिया द्वारा बनाई जा रही थी। कुछ लोगों ने तो जमीन को बेचने का प्रयास भी किया। जिसके चलते एसडीएम की अदालत ने कार्रवाई करते हुए समतल कराई गई जमीन को फिर से तालाब के मद में शामिल करने के आदेश दिए हैं। भूमाफिया के चंगुल से छुड़ाई गई जमीन की अनुमानित कीमत 5 करोड़ के करीब है।
एसडीएम जबलपुर पीके सेनगुप्ता ने बताया कि ग्राम घाट पिपरिया पटवारी हल्का नंबर 39 राजस्व निर्माण मंडल बरगी के खसरा नंबर 348 और 350 पर कुछ भूमाफिया नजरें गड़ा रहा था। इस जमीन का उपयोग 940 से ही ग्रामीण लोग तालाब के रूप में करते रहे हैं। तालाब का रकबा 3.74 हेक्टेयर है। तालाब की संपूर्ण भूमि को भूमाफिया ने समतल करा दिया था और उसकी प्लाटिंग कर जमीन बेचने की तैयारी की जा रही थी। यह जमीन मिलीभगत के जरिए राजस्व अभिलेखों में जितेंद्र जैन नाम के व्यक्ति के नाम पर भी दर्ज हो गई थी।
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गांव वालों ने इस मामले में शिकायत की थी। कलेक्टर ने इसे लेकर जांच कर उचित कार्रवाई के निर्देश एसडीएम जबलपुर को दिए थे। इसी आधार पर एसडीएम न्यायालय ने मामले का परीक्षण कराया। नायब तहसीलदार बरगी से राजस्व रिकार्ड खंगलवाए, जिनमें पाया गया कि घाट पिपरिया की उक्त जमीन का उपयोग गांव वाले 1940 से ही तालाब के रूप में करते चले आ रहे थे। यहां ग्रामीणों द्वारा मछली पालन, सिंघाड़े की खेती की जाती थी। गांव के लोग निस्तार के लिए भी तालाब का उपयोग करते थे।
नायब तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम जबलपुर पीके सेनगुप्ता ने इस जमीन को वापस तालाब के मद में चढ़ाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही इस भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी है। वहीं तालाब को अब दोबार खुदवाने के निर्देश दिए जा चुके हैं।