उज्जैन के महाकाल लोक में हवा में उड़ी 6 मूर्तियों की लागत 66 लाख, मूर्तियां अंदर से खोखली थीं और बेस बहुत कमजोर था

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BP Shrivastava
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उज्जैन के महाकाल लोक में हवा में उड़ी 6 मूर्तियों की लागत 66 लाख, मूर्तियां अंदर से खोखली थीं और बेस बहुत कमजोर था

UJJAIN. महाकाल की नगरी उज्जैन में तेज आंधी से रविवार (28 मई) को 6 मूर्तियां धराशायी हो गईं। एक्सपर्ट के मुताबिक मूर्तियां अंदर से खोखली थीं और इनका बेस बहुत कमजोर था। जिसके कारण आंधी में ये मूर्तियां गिर गईं। इसे बनाने वाली कंपनी (एमपी बावरिया) ने मूर्तियों की लाइफ 10 साल की बताई थी। पूरे महाकाल लोक में करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं। इनकी लागत 15 करोड़ रुपए आई है। इस हिसाब से एक मूर्ति की लागत औसतन 11 लाख रुपए है। यानी महाकाल लोक में क्षतिग्रस्त हुई 6 मूर्तियों की लागत 66 लाख रुपए है।





महाकाल लोक में 15 करोड़ में लगीं 136 मूर्तियां





पूरे महाकाल लोक में करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं। इनकी लागत 15 करोड़ रुपए है। इस हिसाब से औसतन एक मूर्ति बनाने में 11 लाख रुपए खर्च हुए हैं। महाकाल लोक बनने की शुरुआत 2018 में हुई। यहां फ्लोर का काम शुरू होने के बाद सबसे पहले सप्तऋषियों की मूर्तियां स्थापित की गई थीं।​​​​​​ रविवार (28 मई) को​ तेज आंधी में  सप्तऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गईं।





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 मूर्तियों की फिटिंग में ये तीन थीं खामियां







  • पहली : मूर्तियों का बेस बेहद कमजोर था। नीचे की ओर इतनी जगह छोड़ दी गई कि इससे आसानी से हवा-पानी अंदर जा सकती थी।



  • दूसरी : 10 से 25 फीट ऊंची मूर्तियों को फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनाया गया था। मजबूती देने के लिए अंदर सरिए लगाने होते हैं, लेकिन मूर्तियां खोखली थीं।


  • तीसरी: मूर्तियों की बनावट इस तरह की नहीं थी कि वे 30 से 50 किमी/घंटे की स्पीड से चलने वाली हवा झेल सकें। भोपाल मौसम विभाग के अनुसार उज्जैन में हादसे के दिन 45 किमी/घंटे की रफ्तार से हवा चल रही थी। मूर्तियां हवा का प्रेशर झेल नहीं सकीं।






  • मूर्तियों को लोहे की प्लेट लगाकर कसना चाहिए था





    मूर्तियों के जानकरों ने बताया कि फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक (FRP) से बनी मूर्ति का वजह हल्का होता है। जब FRP से बनी मूर्तियों को ऊंची जगह पर लगाया जाता है, तब मजबूती देने के लिए एक केमिकल डाला जाता है, जो अंदर जाते ही फोम के रूप में होते हुए मजबूत हो जाता है। महाकाल लोक की मूर्ति अंदर से खोखली होंगी। इस कारण हवा का प्रेशर नहीं झेल पाईं। ऐसी मूर्तियों को लोहे की प्लेट लगाकर लोहे के सेक्शन पर कसना चाहिए था।





    लोहे की रॉड से मजबूती दी जानी थी





    मूर्तियों को डिजाइन करने वाले स्मार्ट सिटी के साथ काम कर रहे एक जानकार ने बताया कि प्लान में पहले से ही था कि FRP की मूर्तियों को अंदर से खोखला बनाकर अंदर स्टील या लोहे की रॉड से मजबूती दी जाएगी। संभवत: मूर्तियों के आधार में मजबूती नहीं होने के कारण ही मूर्ति गिरी हैं। मूर्तियों की मजबूती के लिए इनमें केमिकल डालकर इन्हें ठोस किया जा सकता था। इससे इनकी उम्र भी कई गुना बढ़ जाती। हालांकि, इस प्रोसेस में मूर्तियां कई गुना महंगी बनतीं और मूर्ति बनाने का बजट भी बढ़ जाता।





    कंपनी ने कहा- मूर्तियों के अंदर का जॉइंट कमजोर हो गया था





    महाकाल लोक में गिरीं मूर्तियों को लेकर निर्माण कंपनी एमपी बावरिया ने सीधे तौर पर अपनी गलती नहीं मानी। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय पटेल ने कहा कि तेज हवा ने बवंडर बना दिया, जिससे मूर्ति के अंदर का स्ट्रक्चर टूट गया। उन्होंने माना कि मूर्तियों के अंदर माइल्ड स्टील का जॉइंट कमजोर पड़ गया होगा। उन्होंने कहा कि अब क्षतिग्रस्त मूर्तियों की जगह नई मूर्तियों को स्टील के साथ कांक्रीट का इस्तेमाल कर फिट करेंगे।



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