जबलपुर में गारमेंट क्लस्टर में सालों से नहीं चालू किया कारखाना, अब होगी आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में गारमेंट क्लस्टर में सालों से नहीं चालू किया कारखाना, अब होगी आवंटन निरस्त करने की कार्रवाई

Jabalpur. जबलपुर के गोहलपुर लेमा गार्डन में संचालित रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर में करीब 200 इकाईयां हैं। जिनमें सलवार सूट, शर्ट, लोवर और अन्य रेडीमेड कपड़े बनाए जाते हैं। लेकिन क्लस्टर में 40 इकाईयां ऐसी हैं, जिनके शटर अभी तक नहीं खुले हैं। कई बार मिली चेतावनी का असर इन पर नहीं हुआ है। जिसके बाद इन 40 इकाईयों को खोलने के लिए अंतिम चेतावनी दी गई है। यदि 20 फरवरी तक इन बंद पड़ी इकाइयों में मैन्यूफैक्चरिंग का काम शुरू नहीं होता, तो ऐसी इकाईयों का आवंटन निरस्त किया जाएगा। कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है। साल 2014 में इन सभी इकाईयों का आवंटन किया गया था। क्लस्टर पूरी तरह से चालू नहीं होने के कारण इसका विकास भी थमा हुआ है। 



मेंटेनेंस का खर्च निकालना हो रहा मुश्किल



दरअसल संचालक मंडल को क्ल्स्टर के रखरखाव के लिए खर्च निकालना मुश्किल जा रहा है। जिसके चलते समस्त इकाईयों को काम शुरू करने कहा गया है। कलेक्टर सौरभ सुमन ने कहा कि इकाईधारक अपनी इकाईयों को शुरू करें। डीएम ने जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक विनीत रजक से कहा कि वे इस मामले में कार्रवाई सुनिश्चित कराएं। जो इकाईधारक 20 फरवरी तक उत्पादन शुरू नहीं करें, उसकी इकाई को निरस्त कर प्रतीक्षा सूची में शामिल कारोबारियों को इसका आवंटन कर दिया जाए। 




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  • लॉटरी से किया गया था आवंटन



    जबलपुर में रेडीमेड गारमेंट क्लस्टर के नाम पर यह पहला प्रोजेक्ट है। जब केंद्र सरकार से इस प्रोजेक्ट के लिए राशि स्वीकृत हुई थी, तब निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इस बीच दिसंबर 2014 में 200 में से 146 बड़ी निर्माणाधीन इकाईयों को लॉटरी के जरिए आवंटन किया गया था। इस काम को हुए 8 साल का समय बीत चुका है। इतनी लंबी अवधि में भी कई कपड़ा कारोबारियों ने उत्पादन शुरू नहीं किया है। कई बार चेतावनी भी दी जा चुकी है, लेकिन आवंटन निरस्त की कार्रवाई नहीं की गई। जिसके चलते कारोबारी हर बार कोई न कोई बहाना बना देते हैं। 



    डोरमेट्री और रेस्तरां बनना बाकी



    8 एकड़ जमीन पर 60 करोड़ की लागत से स्थापित इस क्लस्टर में केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ इकाईधारकों का भी अंशदान मिला हुआ है। इसमें 146 बड़ी इकाइयां निर्मित की गई हैं। वहीं 54 छोटी इकाईयों के लिए भी स्थान दिया गया है। हालांकि फंड के अभाव में बाहर से आने वाले कारोबारियों के लिए डोरमेट्री और रेस्तरां का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है। 


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