GWALIOR.नगर निगम परिषद की सामान्य सभा की पहली बैठक में जमकर हंगामा हुआ। एजेंडे पर चर्चा नहीं हो सकी बल्कि समस्याओं पर ही चर्चा होती रही और इसमें पार्षद ये तक भूल गए कि उनमें कौन सत्ता में है और कौन विपक्ष में। सभी पार्षदों का आरोप था कि अधिकारी नही सुनते इसलिए काम नही हो रहे उन्हें हटाया जाए जबकि वे भूल गए कि राज्य में सरकार बीजेपी की है जो अफसरों की पोस्टिंग क़रतीं है। ग्वालियर नगर निगम में बड़ी अजीब स्थिति है क्योंकि यहां की मेयर डॉ शोभा सिकरवार कांग्रेस से है जबकि सदन में स्पीकर बीजेपी का है।
पहली ही बैठक में हंगामा
नगर सरकार को आईना दिखाते हुए विपक्षी पार्षदों ने परिषद की बैठक में निरंकुश अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर जमकर हंगामा किया, विपक्ष ने कहा पिछले 3 सालों में अधिकारी अलमस्त हैं ।शहर के विकास से उन्हें कोई लेना देना नहीं है। लेकिन अब ऐसे अधिकारियों को शहर विकास में रोड़ा नहीं बनने दिया जाएगा।चाहे लड़ाई गांधीवादी तरीके से लड़ना पड़े। या अन्य तरीके से ,लापरवाह अधिकारियों को ठीक करके रहेंगे ।
एजेंडे पर नहीं हुई चर्चा
शुक्रवार को नगर निगम की परिषद बैठक में विपक्ष में बैठी बीजेपी के पार्षदों ने शहर में उफनते सीवरेज, बदहाल सड़कें, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट, दूषित पेयजल, को लेकर जमकर सभापति की आसंदी घेर कर हंगामा मचाया। विपक्षी पार्षदों ने एजेंडे पर चर्चा ना कराते हुए परिषद में लगाए गए स्थगन पर चर्चा करने के लिए परिषद में दबाव बनाया था जहां सभापति ने पार्षदों के द्वारा स्थगन में लाए गए मुद्दों को जनहित के मुद्दे बताए। सभापति मनोज तोमर ने कहा कि सभी पार्षदों की चिंता नगर में व्याप्त समस्याओं को लेकर थी क्योंकि वे चुनकर आये हैं और इन समस्याओं का निराकरण कराना उनकी जिम्मेदारी है इसलिए एजेंडे की जगह सदन में पार्षदों के मुद्दों पर चर्चा हुई।
पार्षद बोले - तीन माह हो गए समस्याएं वैसी ही हैं
शहर की जनता ने पार्षदों को चुनकर परिषद में भेज तो दिया है लेकिन उनकी मूलभूत समस्याएं सरकार बनने के लगभग 3 माह बाद भी जस की तस बनी हुई हैं। परिषद में जनसमस्याओं की आवाज उठाने वाले पार्षदों ने शहर विकास में रोड़ा बने अधिकारियों पर कार्रवाई न होने.. एकजुटता दिखाते हुए परिषद में जमकर हंगामा किया। पार्षदों ने चर्चा के दौरान यह तक कह दिया दोषी अधिकारियों पर मेहरबान निगम कमिश्नर पर भी कार्रवाई की जाना चाहिए ।
वहीं नेता प्रतिपक्ष हरी पाल ने चेतावनी देते हुए कहा कि निरंकुश अधिकारियों को ठीक करके ही मानेंगे... लापरवाह अधिकारियों को शहर विकास से कोई लेना देना नहीं है.. यह अधिकारी अलमस्त हो चुके हैं... हमने परिषद में आज नगर सरकार को आईना दिखाया है,आगे शहर विकास की लड़ाई गांधीवादी तरीके से लड़ेंगे और जरूरत पड़ी तो अन्य तरीका भी इस्तेमाल करेंगे,लेकिन अधिकारियों को ठीक करके ही मानेंगे और इन्हीं से विकास कार्य कराएंगे।
आयुक्त ने ये कहा
परिषद में हुए हंगामे को लेकर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल का कहना है कि 66 पार्षदों में से 40 पार्षदों ने हमें लिख कर दिया है कि उनके क्षेत्र में काम हुए हैं लेकिन प्रजातंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है.. हमारा प्रयास है सभी वार्डों में काम हो उसके लिए लगातार अधिकारियों को भेजा जा रहा है... कुछ कमियां हैं तो उन्हें भी दूर किया जाएगा...