RAISEN : ईको टूरिज्म के नाम पर कई गांवों का रास्ता रोका, नाके पर टिकट कटाने के बाद ही मिल रही एंट्री; वनकर्मियों ने साधी चुप्पी

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Ambuj Maheshwari
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RAISEN : ईको टूरिज्म के नाम पर कई गांवों का रास्ता रोका, नाके पर टिकट कटाने के बाद ही मिल रही एंट्री; वनकर्मियों ने साधी चुप्पी

RAISEN. रायसेन में वन विभाग का नया कारनामा सामने आया है। भोपाल-रायसेन रोड पर गोपीसुर सतकुंडा गांव की रोड पर ईको टूरिज्म के नाम पर बैरियर लगाकर टिकट देकर वसूली की जा रही है। वन विभाग के अफसरों की शह पर अधीनस्थ अमले ने वन परिक्षेत्र पश्चिम में नियमों को ताक पर रखकर ग्राम गोपीसुर, गोपीसुर सतकुंडा, नयापुरा, अगरिया सहित अन्य गांवों में जाने वाले मुख्य सड़क मार्ग पर नाका लगाकर टिकट और पार्किंग की वसूली वन समिति से शुरू करवा दी है। आश्चर्यजनक बात ये है कि सबकुछ अफसरों के इशारे पर ही हो रहा है।



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मौके पर पहुंची द सूत्र की टीम



स्थानीय ग्रामीणों में भी इस बात का रोष है। वहीं भोपाल से अपने खेतों की तरफ जाने वाले लोग भी इस अवैध वसूली का शिकार हो रहे हैं। द सूत्र को इस फर्जीवाड़े की खबर मिलने पर हम वहां पहुंचे। बैरियर के पहले ही एक व्यक्ति गाड़ी के पास आया और टिकट लिया या नहीं..पूछने लगा। इस प्रतिनिधि ने जब कहा कि हमें तो गोपीसुर जाना है तब वो व्यक्ति बोला टिकट तो लेना पड़ेगा। यहां चल रही वसूली को जब नजदीक जाकर देखा तो यहां कई लड़के जिनके हाथों में तीन अलग-अलग रंगों की अलग-अलग चार्ज की रसीदों के कट्टे रखे हुए हैं। ये दोपहिया पार्किंग के 10, चारपहिया के 20 और प्रति व्यक्ति 10 रुपए के हिसाब से वसूली कर रहे हैं।



वनकर्मियों ने साधी चुप्पी



जब उन लड़कों से पूछा गया कि महादेव पानी से 4 किलोमीटर दूर मुख्य सड़क मार्ग पर नाका लगाकर वसूली क्यों कर रहे हो, महादेव पानी का टिकट तो वहां कटता है। ये सुनकर ये लड़के पास खड़े वनकर्मियों की तरफ इशारा कर उनसे बात करने का कह देते हैं। हमने जब वहां मौजूद वनकर्मी आदेश कुमार सिंह और राजा खान से बात की तो ज्यादा बात करने से यह बचते नजर आए। सड़क पर नाका लगाने से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। कई लोगों से ईको टूरिज्म के नाम पर जबरन वसूली हो रही है, ये पूछे जाने पर बात करने से बचते रहे। वनकर्मी बस ये कहते नजर आए हम वरिष्ठ अधिकारियों से मिले निर्देश का पालन कर रहे हैं वन समिति का नाका है।



महादेव पानी से 4 किलोमीटर पहले नाका क्यों ?



बीते सालों तक महादेव पानी (कोरोना काल को छोड़कर) पर्यटन स्थल आने वाले पर्यटकों को पार्किंग और अन्य शुल्क महादेव पानी परिसर के बाहर बने टिकट काउंटर पर चुकाने पड़ते थे। इस बार कोरोना की दोनों लहर के बाद पहली बार सैलानी भी यहां आ रहे हैं। महादेव पानी परिसर के टिकट काउंटर में तो ताले लगे हैं जबकि यहां से 4 किलोमीटर पहले ही कई गांवों को जोड़ने वाली मुख्य सड़क पर नाका लगाकर सभी गाड़ियों को रोका जा रहा है और इसमें सवार व्यक्ति के मान से टिकट राशि वसूली जा रही है। यहां से कई लोग जो गांवों की तरफ जा रहे हैं उनके वाहन भी रोककर सभी से टिकट के नाम पर वसूली हो रही है।



पार्किंग की वसूली, लड़ाई-झगड़े भी हो रहे



वन समिति यहां किस आदेश पर वसूली कर रही है इस बारे में मौजूद कर्मचारी ज्यादा कुछ बता नहीं पाते हैं। वे पास लगे दो फ्लेक्स की तरफ इशारा कर देते हैं जिसपर ईको टूरिज्म क्षेत्र में शासन द्वारा निर्धारित दरों का उल्लेख है। इसके अलावा कितने लोग ये काम कर रहे हैं कितने कट्टे इश्यू होते हैं, कौन इसका लेखा-जोखा रख रहा है, इसका जवाब वहां किसी के पास नहीं है।


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