दमोह की हिंगलाज माता की महिमा, भरती हैं निसंतान महिलाओं की गोद, छोटे बच्चे को गोद में ली हुई मां की मूरत

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Rajeev Upadhyay
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दमोह की हिंगलाज माता की महिमा, भरती हैं निसंतान महिलाओं की गोद, छोटे बच्चे को गोद में ली हुई मां की मूरत

Damoh. नवरात्र पर्व पर मां दुर्गा के कई रूपों के दर्शन श्रद्धालुओं को मिलते हैं और मां अपने भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। दमोह जिले के हटा ब्लाक के खड़पुरा गांव में विराजमान माता हिंगलाज अपने भक्तों की मुराद पूरी करती हैं और जिन माताओं की गोद सूनी होती है, उनकी झोली संतान से भर देती हैं। पाली पंचायत अंतर्गत आने वाले खड़पुरा गांव में माता हिंगलाज के दर्शन करने पूरे जिले से श्रद्धालु आते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव में कोई भी औरत निसंतान नहीं है और न कभी होगी। 



हिंगलाज माता को लेकर ग्रामीणों में मान्यता है कि माता मूर्ति के अनुरूप गांव पर आशीर्वाद बनाए हैं, जिसके चलते गांव की हर मां की कोख हरी-भरी रहती है। इसी मान्यता को लेकर दिल्ली, ग्वालियर, सागर, दमोह, जबलपुर सहित कई जिलों से श्रद्धालु मां के दरबार में संतान प्राप्ति के लिए हाजरी लगाने आते हैं और उनकी मन्नत पूरी होती है। मन्नत पूरी होने के बाद मां के दरबार में चढ़ाया गया पीतल का घंटा इस बात का प्रमाण रहता है। गांव में कोई भी व्यक्ति अपने मोबाइल में माता की प्रतिमा की फोटो नहीं रखता इस पर प्रतिबंध है।




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  • प्रतिमा की फोटो खींचना प्रतिबंधित



    गांव में एक पेड़ के नीचे खुले चबूतरे पर एक छोटे मंदिर में पत्थर की मूर्ति स्वरूप माता विराजमान हैं। ग्रामीण द्वारा माता की फोटो खींचने पर प्रतिबंध है। यही कारण है कि गांव के किसी भी व्यक्ति द्वारा माता की फोटो मोबाइल या कैमरे में आज तक नही खींची गई है। ग्रामीण जित्तू पटेल, रामलाल पटेल ने बताया की ग्रामीणों की धार्मिक आस्था और आराध्य हैं देवी। लोग मोबाइल उन जगहों पर ले जाते हैं जो पवित्र स्थल नहीं होते हैं। इसलिए सामूहिक निर्णय अनुसार कोई भी माता की प्रतिमा की फोटो नहीं लेता है। हालांकि बाहरी लोग जाने अंजाने में फोटो ले जाते हैं, लेकिन जिसे जानकारी है वह ऐसा काम नहीं कर सकता।



    माता की प्रतिमा से लिपटा है छोटा बच्चा



    खड़पुरा में विराजी हिंगलाज माता की मूर्ति अनूठी है। एक ही पत्थर पर माता की मूर्ति बनी हुई है जिसमें माता एक छोटे बच्चे को सीने से लपेटे हुई मुद्रा में हैं। यह मूर्ति कहां से आई या किसने बनाई कोई नहीं बता पाया। 75 वर्षीय लख्खु पटेल ने बताया कि पूर्वजों के अनुसार मूर्ति अति प्राचीन है, कब विराजमान हुई यह बात तो पूर्वज भी बताकर नहीं गए।



    आस्था का केंद्र हिंगलाज माता का चबूतरा



    सड़क विहीन गांव खडपुरा में विराजी हिंगलाज माता कई गांव की आस्था का केंद्र मंदिर है। ग्रामीण धीरेंद्र ने बताया कि पाठा, मुराछ, पाली आदि गांव के लोग प्रतिदिन नवरात्र के दिनों में मंदिर आते हैं। हर नवरात्र यहां श्रद्धालुओं की चहल-पहल बनी रहती है। 


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