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Jabalpur. जबलपुर में विद्युत वितरण कंपनियों की खुदरा टैरिफ अधिनियम 2021 में संशोधन संबंधी याचिका पर मध्यप्रदेश विद्युत नियामक आयोग की ओर से जनसुनवाई आयोजित की गई। आयोग ने ऑनलाइन 7 आपत्तिकर्ताओं को सुना, पूरे प्रदेश में मात्र 7 लोगों ने ही अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। जनसुनवाई महज 35 मिनिट में ही खत्म भी हो गई। आपत्तिकर्ताओं ने बिजली बिल के दाम साल में 12 बार बढ़ाने संबंधी संशोधन को असंवैधानिक करार दिया। उनका कहना था कि जब आयोग के माध्यम से साल में एक बार बिजली के दाम तय होते हैं तो वितरण कंपनियां 12 बार दाम बढ़ाने के प्रस्ताव को क्यों लागू करना चाह रही हैं।
रद्द की जाए याचिका
आपत्तिकर्ता मप्र पावर जनरेटिंग कंपनी के सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य अभियंता राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि संशोधन पूरी तरह से असंवैधानिक है। विद्युत अधिनियम 2003 के मुताबिक बिजली कंपनी ईधन प्रभार समायोजन निर्धारित कर सकती है। प्रस्तावित संशोधन में ईधन प्रभार के साथ विद्युत खरीदी लागत व पारेषण शुल्क में हुए परिवर्तन पर सरचार्ज मांगा गया है। इस संशोधन के पहले कंपनी को विद्युत अधिनियम 2003 में संशोधन करना होगा। इसके बाद याचिका पर विचार किया जा सकता है। फिलहाल याचिका रद्द करने योग्य है।
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राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन से मप्र विद्युत नियामक आयोग वर्ष में एक बार टैरिफ निर्धारण करेगा। विद्युत कंपनियां इसमें 12 बार संशोधन करेंगी। इससे आयोग का महत्व खत्म हो जाएगा। उन्होंने आयोग के सामने कहा कि खुदरा टैरिफ अधिनियम 2021 में प्रथम संशोधन लागू होने से भ्रष्टाचार बढ़ेगा। बिजली उत्पादक कंपनी और वितरण कंपनियों की मिलीभगत से यदि निर्धारित राशि से ज्यादा का बिल जारी किया तो यह भार उपभोक्ता पर आएगा।
हाईकोर्ट में चल रहा मामला
आपत्तिकर्ता डॉ पीजी नाजपांडे ने कहा कि आयोग ने यह संशोधन जारी करने से पहले ही साल 2023-24 के लिए दर निर्धारण की प्रक्रिया चालू कर दी थी। संशोधन 27 जनवरी को आया था। यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है इसलिए आयोग की सुनवाई निरर्थक है। सुनवाई में एमपी टेक्सटाइल मिल एसोसिएशन के एमसी रावत, पीथमपुर उद्योग संघ के गौतम कोठारी, ऑल इंडिया इंडक्शन फर्नेश एसोसिएशन एसएम जैन, एमपी चेंबर ऑफ कॉमर्स के सचिव दीपक अग्रवाल, शैलेंद्र जैन ने अपनी बातें आयोग के सामने रखीं।