Jabalpur. जबलपुर के मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की महिमा अपरंपार है। एक तरफ जहां विश्वविद्यालय के छात्र अटके पड़े रिजल्ट्स को जारी करने जब तक प्रदर्शन करते हैं, तो दूसरी तरफ तमाम त्रुटियों से भरपूर रिजल्ट जारी करने वाले एमयू ने एक बड़ी गलती कर दी है। विश्वविद्यालय ने दो ऐसे कॉलेजों का रिजल्ट जारी कर दिया, जिनके रिजल्ट को जारी न करने हाईकोर्ट ने आदेश दिया था।
मेडिकल यूनिवर्सिटी ने दो यूनानी कॉलेजों का रिजल्ट जारी कर दिया है, इंदौर के अल फारुखी यूनानी तीबीया कॉलेज और देवास के हकीम अब्दुल हमीद यूनानी मेडिकल कॉलेज के छात्रों को परीक्षा में बैठने की अंतरिम राहत हाईकोर्ट से मिली थी। उन्हें यह राहत अदालत ने इस शर्त पर दी थी कि उनके रिजल्ट याचिका के निर्णय के अधीन रखते हुए जारी नहीं किए जाऐंगे। लेकिन मेडिकल यूनिवर्सिटी का बेसुध प्रबंधन इस बात पर गौर ही नहीं कर पाया और रिजल्ट जारी कर दिया। कंटेंप्ट से बचने अब प्रबंधन कानूनी सलाह ले रहा है।
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दरअसल विश्वविद्यालय से संबद्ध दोनों यूनानी कॉलेजों को भारतीय चिकित्सा पद्धति राष्ट्रीय आयोग ने साल 2020-21 के लिए मान्यता नहीं दी थी। जिसके चलते कॉलेज प्रबंधकों ने उच्च न्यायालय की शरण ली और छात्रों को परीक्षा में बैठाने की अंतरिम राहत मांगी थी। जिसे अदालत ने इस शर्त के साथ मंजूर कर लिया था कि परीक्षा तो ले ली जाए लेकिन रिजल्ट याचिका के अंतिम फैसले तक जारी न किया जाए। इस फैसले के बाद एमयू ने इन छात्रों के अस्थाई ऑफलाइन नामांकन जारी किए थे, अब इनके रिजल्ट घोषित किए जा चुके हैं। जाहिर है प्रबंधन को अदालत के आदेश की याद बहुत बाद में आई।
यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार डॉ पुष्पराज बघेल ने सफाई दी है कि दोनों कॉलेजों के रिजल्ट के संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। अब न्यायालय के आदेश के अनुसार आगे की प्रक्रिया की जाएगी।