जबलपुर में बिशप की घपलेबाजी में तत्कालीन रजिस्ट्रार की मिलीभगत उजागर, ईओडब्ल्यू कसेगी सोलंकी पर शिकंजा

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर में बिशप की घपलेबाजी में तत्कालीन रजिस्ट्रार की मिलीभगत उजागर, ईओडब्ल्यू कसेगी सोलंकी पर शिकंजा

Jabalpur. जबलपुर जेल में बंद बर्खास्त बिशप पीसी सिंह के फर्जीवाड़े की जांच ने कई पायदान पर कर लिए हैं। ईओडब्ल्यू जांच में यह खुलासा हुआ है कि तत्कालीन रजिस्ट्रार फर्म एवं संस्था बीएस सोलंकी भी बर्खास्त बिशप के फर्जीवाड़े में शामिल था। उसने पीसी सिंह के कहने पर फर्जी आदेश बनाकर जबलपुर बोर्ड ऑफ एजुकेशन का सर्टिफिकेट बिशप को दिया था। ईओडब्ल्यू की ओर से दर्ज की गई एफआईआर में सोलंकी भी आरोपी है, जिसकी जल्द गिरफ्तारी हो सकती है। हालांकि इसके लिए ईओडब्ल्यू को शासन से परमीशन लेनी होगी। 



साल 2003-04 का है कांड




जानकारी के मुताबिक बीएस सोलंकी साल 2003-04 में जबलपुर में पदस्थ था। इस दौरान बर्खास्त बिशप पीसी सिंह ने उसे अपनी साजिश में शामिल कर लिया। सोलंकी ने पीसी सिंह के साथ मिलकर जबलपुर बोर्ड ऑफ एजुकेशन के नाम पर रजिस्ट्रेशन किया, लेकिन आदेश में 44 साल पहले साल 1959 की तारीख दर्ज की। फिलहाल बीएस सोलंकी इंदौर में पदस्थ है। 



जल्द होगी गिरफ्तारी




ईओडब्ल्यू ने बीएस सोलंकी से पूछताछ करने के लिए नोटिस तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही सोलंकी को भेजा जाएगा और ईओडब्ल्यू दफ्तर आकर बयान दर्ज करवाने के निर्देश दिए जाऐंगे। माना जा रहा है कि इस दौरान उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। 



ऐसे किया फर्जीवाड़ा



ईओडब्ल्यू के मुताबिक नागपुर बोर्ड ऑफ एजुकेशन का गठन 1959 में हुआ था। जिसके बाद संपूर्ण मध्यप्रदेश (छत्तीसगढ़  समेत) के स्कूल और संस्थाएं नागपुर बोर्ड ऑफ एजुकेशन में आ गए। बर्खास्त बिशप पीसी सिंह ने जबलपुर बोर्ड ऑफ एजुकेशन के 1959 में गठन के आदेश जारी करा लिए। जानकारी के अनुसार इसके लिए सुरेश जैकब के जरिए सोलंकी को मोटी रकम दिलाई गई थी। टीम यह भी पता लगा रही है कि इस फर्जीवाड़े के लिए बर्खास्त बिशप ने कितना पैसा खर्च किया था। 


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