Bhopal, अरुण तिवारी. भोपाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने एक बार फिर पार्टी नेताओं को आइना दिखाने की कोशिश की है। शर्मा नए कार्यालय के भूमिपूजन में शामिल नहीं हुए। उन्होंने कहा कि वे तन के साथ मन से बीमार थे इसलिए इस आयोजन में शामिल नहीं हुए। शर्मा ने कहा कि नया नेतृत्व बताएगा कि बीजेपी अब कैसी नजर आएगी, गरीबों की पार्टी या पूंजीपतियों की पार्टी।
पार्टी गरीब और मध्यमवर्ग की है पूंजीपतियों की नहीं
रघुनंदन शर्मा ने द सूत्र से बातचीत में कहा कि बीजेपी के पितृपुरुष कुशाभाउ ठाकरे पुराने कार्यालय से भी खुश नहीं थे। ठाकरे कहते थे कि कवेलू वाला कार्यालय बनाना चाहिए ताकि पार्टी नजर आए कि वो गरीबों की पार्टी है, पूंजीपतियों की नहीं। ठाकरे की अनिच्छा के बाद भी संुदरलाल पटवा और लखीराम अग्रवाल ने नया और मजबूत कार्यालय बनाया, जिसे आवश्यकता के हिसाब से दो-तीन मंजिला बढ़ाया जा सकता था। लेकिन नया नेतृत्व बुद्धिमान है वो सब सोचकर ही ये काम कर रहे होंगे।
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क्या बीजेपी अब पूंजीपतियों की हो गई है?
जब रघुनंदन शर्मा से ये पूछा गया कि 150 करोड़ के दस मंजिला भवन से अब क्या बीजेपी पंूजीपतियों की पार्टी नजर नहीं आएगी। जवाब में उन्होंने कहा कि ये तो नया नेतृत्व ही बताएगा कि पार्टी किस तरह की नजर आएगी। शर्मा ने कहा कि अब तो भूमिपूजन ही हो गया तो कहने को कुछ नहीं बचा है। भव्य कार्यालय के साथ पार्टी भी भव्य बनी रहे यही उम्मीद करते हैं।
क्या हाशिए पर चले गए हैं वरिष्ठ नेता?
पार्टी के नए भव्य और आलीशान कार्यालय के निर्माण से वरिष्ठ नेता खुश नहीं हैं। ये बात इसलिए सामने आई क्योंकि कार्यालय के भूमिपूजन के दौरान वे नेता नजर नहीं आए, जिन्होंने प्रदेश में पार्टी के विस्तार में अहम भूमिका निभाई थी। सुमित्रा महाजन, विक्रम वर्मा, कृष्ण मुरारी मोघे और रघुनंदन शर्मा जैसे नेता नदारद रहे। इन नेताओं को निमंत्रण भी फोन पर कार्यालय मंत्री ने दिया। सवाल ये पैदा होता है कि क्या बीजेपी में अब वरिष्ठ नेता हाशिए पर चले गए हैं। रघुनंदन शर्मा कहते हैं कि ये तो आपको भी नजर आता होगा और जनता को भी दिख रहा है। पुराने नेता दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे हैं तो नेतृत्व को ये खोज करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है। पुराने कार्यालय का भूमिपूजन कुशाभाउ ठाकरे ने जनसंघ के सबसे पुराने बुजुर्ग कार्यकर्ताओं से कराया था, जो मिल मजदूर थे।