ग्वालियर विधानसभा सीट पर हमेशा रहा महल का दखल, सिंधिया के करीबी ही बने विधायक, इस पर प्रीतम फैक्टर बिगाड़ सकता है खेल

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Vivek Sharma
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ग्वालियर विधानसभा सीट पर हमेशा रहा महल का दखल, सिंधिया के करीबी ही बने विधायक, इस पर प्रीतम फैक्टर बिगाड़ सकता है खेल

GWALIOR. सिंधिया रियासत का मुख्यालय ग्वालियर अपनी ऐतिहासिक इमारतों, महल और किले के लिए प्रसिद्ध है। यहां का इतिहास जितना समृद्ध है। उतनी ही उलझी हुई  यहां की राजनीतिक तस्वीर है। इलाके में लोधी फैक्टर जहां प्रभाव जमाता नजर आ रहा है तो वहीं दल बदल और विकास जैसे मुद्दे भी जनता के सवालों में नजर आ रहे हैं।



सियासी मिजाज 



 साल 1957 में अस्तित्व में आई ग्वालियर विधानसभा सीट से पहली बार कांग्रेस की क्रांति देवी विधायक बनी। अब तक हुए 14 चुनावों में कांग्रेस यहां से 5 बार कांग्रेस 4 बार बीजेपी, दो बार निर्दलीय, एक बार जनता पार्टी, एक बार भारतीय जनसंघ का कब्जा रहा। यहां महल का दखल और जातिगत समीकरण मुद्दों पर हावी है। यहां से हमेशा महल के करीबी ही विधाक बनते रहे हैं।



सियासी समीकरण 



 ग्वालियर सीट दल बदल की सीट है। यहां सिंधिया बीजेपी और पुरानी बीजेपी के बीच एक खींचतान जारी है। यहां न मुद्दे हावी हैं न नेता प्रभावी है यहां सिर्फ महल की दखलअंदाजी है और जातिगत समीकरण प्रभावी है। बीजेपी से अलग हुए प्रतीम लोधी भी यहां एक बड़ा फैक्टर है।  प्रीतम 50 सीटों पर अपने लोगों को चुनाव लड़वाने का ऐलान कर चुके हैं। इससे लोधी कहीं न कहीं बीजेपी को नुकसान पहुंचाएंगे इस बात की प्रबल सभावना है।



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मंत्री नए नए हथकंडे रहे



एक तरफ जहां कांग्रेस के पास दमदार चेहरे की कमी है तो वहीं मंत्री और इलाके के विधायक प्रद्युमन सिंह जनता को रिझाने के लिए नए नए हथकंडे अपनाते दिखाई देते हैं। प्रद्युमन कभी शौचालय साफ करते दिखते हैं, तो कभी नालियां, कभी तो खराब सड़कों के लिए चप्पल त्याग देते हैं। तो कभी कमरे में टाइल्स पर चप्पल पहने नजर आते हैं। हालांकि विपक्षी उनके इन कामों को नौटंकी करार देते हैं। ऐसे में 2023 के चुनाव में क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा।



जातिगत समीकरण 



 इस इलाके में 2 लाख 70 हजार 148 मतदाता हैं जिनमें सबसे बड़ी जाति क्षत्रिय है जिसके वोटरों की संख्या करीब 50 हजार है। यहां ब्राह्मण समाज दूसरे नंबर पर है। जिसके वोटर करीब  18 हजार हैं तीसरे नम्बर पर कुशवाह समाज आता है। जिनके वोट करीब 17 हजार है। इनके अलावा बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर भी हैं यहां जातिगत समीकरण ही हार-जीत तय करता है।



मुद्दे



 इस इलाके में मूलभूत सुविधाओं का अभाव प्रमुख मुद्दा है जनता को पीने का पानी। सड़क-बिजली-स्वास्थ्य और बेहतर शिक्षा के लिए परेशान होना पड़ता है। शहर में सीवरेज की व्यवस्था न होने से बारिश में हाल बेहाल हो जाता है तो वहीं युवाओं के लिए रोजगार भी बड़े मुद्दा है। इन सभी मुद्दों पर जब हमने कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं से बातचीत की तो दोनों ही दलों के नेताओं ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए।

द सूत्र ने जब इलाके के प्रबुद्धजनों, वरिष्ठ पत्रकारों और आमजनता से बात की तो कुछ और सवाल निकल कर आए




  • मूलभूत सुविधाओं के लिए कितनी राशि खर्च की ?


  • सड़क-बिजली-पानी के लिए कितनी राशि खर्च की ? 

  • सीवरेज के कारण जनता परेशान है, आपने क्या कदम उठाए ?

  • इलाके में आपने बेहतर शिक्षा के लिए क्या कार्य किए ?

  • अपने इलाके में चुनाव के दौरान कितने वादे किए थे, उसमें से पूरे कितने हुए ?



  • इन सवालों के जवाब में मंत्री प्रद्युमन सिंह क्या बोले 




    • इलाके में कई कार्यों की दी स्वीकृति।


  • विपक्ष के पास झूठे आरोप लगाने के अलावा कोई काम नहीं।

  • जनता को समस्या नहीं होने दूंगा, चाहे जो करना पड़े।

  • हमेशा इलाके की जनता के लिए हाजिर रहता हूं।



  • ग्वालियर में प्रीतम लोधी फेक्टर, सिंधिया के गृह क्षेत्र में मचा घमासान



    ग्वालियर शहर और ग्वालियर ग्रामीण में लोधी फेक्टर इस बार बडा उलटफेर कर सकता है। यहां पर लोधी और पिछड़ा वर्ग के वोटरों की संख्या निर्णायक साबित हो सकती है। शहर में मंत्री प्रद्युम्न सिंह की राह आसान नहीं है तो ग्रामीण इलाके के मंत्री भारत सिंह पर लोधी समाज की नाराजगी भारी पड़ सकती है।  प्रीतम ने प्रदेश में सभाएं कर ओबीसी और दलित वर्ग को एकजुट करने शुरू कर दिया है। प्रीतम ने 50 सीटों पर अपने लोगों को चुनाव लड़वाने का एलान भी किया है।



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