Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह द्वारा मंच से निलंबित अधिकारी की उस याचिका को निरस्त कर दिया, जिसमें सीएम के आदेश को चुनौती दी गई थी। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता के पास अपील पेश करने का विकल्प मौजूद है, इसलिए कोर्ट मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा। बता दें कि पूर्व में इस तरह के दो मामलों में अधिकारियों को हाईकोर्ट से अंतरिम राहत मिल चुकी है, इसलिए यह याचिका दायर कर राहत मांगी गई थी लेकिन इस मामले में याचिकाकर्ता को राहत के बजाए झटका लग गया।
आयुष्मान योजना का टारगेट नहीं किया था पूरा
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता बैतूल के प्रभारी सीएमएचओ डॉ एके तिवारी को अपीलीय अधिकारी के समक्ष निलंबन के आदेश के विरुद्ध अपील पेश करने की स्वतंत्रता दी है। अदालत ने अपीलीय अधिकारी को निर्देश दिए है कि वह आमसभा में की गई सीएम की घोषणा से प्रभावित हुए बिना 60 दिन में अपील पर नियमानुसार उचित निर्णय पारित करे। दरअसल 2 दिसंबर को मुख्यमंत्री ने मंच से तिवारी को निलंबित करने की घोषणा की थी, जिसके बाद विभागीय आदेश जारी कर उसे निलंबित कर दिया गया। आरोप है कि उन्होंने आयुष्मान योजना को जिले में ठीक से लागू नहीं किया।
उप महाधिवक्ता ने रखा सरकार का पक्ष
याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से उपमहाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ने गरीबों के लिए निर्धारित शासकीय आयुष्मान योजना ठीक से लागू नहीं की। बताया गया कि याचिकाकर्ता ने टारगेट भी पूरा नहीं किया था, जिस कारण शासन की बहुत सी योजनाएं समय पर लागू नहीं हो पाईं। गांगुली ने बताया कि याचिकाकर्ता के पास अपील पेश करने का रास्ता खुला है, इसलिए इस स्तर पर याचिका निरस्त करने योग्य है।