लंदन में महकेगी मंडला के महुए की महक, वन विभाग कर रहा निर्यात की तैयारी, आदिवासियों की जीविका का है मुख्य साधन

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Rajeev Upadhyay
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लंदन में महकेगी मंडला के महुए की महक, वन विभाग कर रहा निर्यात की तैयारी, आदिवासियों की जीविका का है मुख्य साधन

Mandla. फागुन के बाद से जंगलों में मादक सुगंध बिखेरने वाले महुए की महक अब जल्द लंदन में भी महकेगी। दरअसल मध्यप्रदेश वन विभाग ने महुआ को एक्सपोर्ट कराने का प्लान बनाया है। जिसके लिए प्रायमरी तौर पर तैयारियां पूरी कर ली हैं। सरकार ने भी लंदन की एक कंपनी से करार किया है। पहले चरण में प्रदेश से करीब 670 टन महुए की खेप भी जल्द भेजी जाएगी। इस खेप में मंडला से 20 टन महुआ भंडारित कराने का टारगेट निर्धारित किया गया है। यदि मंडला के अच्छी क्वालिटी का महुआ निर्धारित मापदंड पर खरा उतरा तो 35 से 40 रुपए किलो बिकने वाला महुआ 100 रुपए किलो की दर से निर्यात किया जाएगा। जिससे आदिवासियों की आय में भी इजाफा होगा। 



महुआ बीनने का भी दे रहे प्रशिक्षण




वैसे तो महुआ बीनना आदिवासियों की जीवनचर्या का एक महत्वपूर्ण अंग है, लेकिन जिस पद्धति से वे महुए के फूल बीनते हैं उससे उसकी क्वालिटी खराब हो जाती है। आदिवासी फाल्गुन की शुरूआत से पहले ही महुए के पेड़ के नीचे आग लगाकर पत्तों के अवशेष खत्म कर देते हैं, फिर पेड़ के तने से शाखाओं की त्रिज्या के एरिया में गोबर लीप दिया जाता है। लेकिन ऐसे में धूल मिट्टी के कण और दाग लगने से महुआ ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन में रिजेक्ट हो जाता है। अब वन विभाग ग्रामीणों को इसका प्रशिक्षण दे रहा है कि वे कैसे महुए के फूल बीनें ताकि उसकी क्वालिटी खराब न हो। 




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  • आधुनिक पद्धति से बीन रहे महुए के फूल



    इस बारे में निवास रेंजर प्रिवेश वराडे ने बताया कि जिले का महुआ तय मापदंड पर खरा उतरे इसके लिए निवास रेंज के 250 महुआ के पेड़ों को चिन्हित किया गया है। पेड़ के नीचे कपड़े और नेट की सहायता से एक तंबूनुमा संरचना बनाई गई है। जिससे पेड़ से जमीन पर टपकने वाले महुआ के फूल कपड़े में ही इकट्ठा होते हैं। साथ ही महुआ इकट्ठा करने वाले ग्रामीणों को इसके संग्रहण और भंडारण की उन्नत पद्धति का प्रशिक्षण दिया गया है। 




    औषधीय गुणों से भरपूर है महुआ




    आदिवासी ही नहीं अनेक आयुर्वेदाचार्य भी बताते हैं कि महुआ औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका उपयोग अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता है। महुए के फूल में प्रोटी, फाइबर और कार्बोहाइड्रेट्स जैसे पोषक तत्व के साथ-साथ इसमें कई अन्य तत्व भी पाए जाते हैं, जो शरीर को कई लाभ प्रदान करते हैं। 



    आदिवासी बताते हैं तंदरुस्ती का राज




    अनेक आदिवासी बताते हैं कि ऐसे लोग जिन्हें भूख नहीं लगती, शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है और दुबले-पतले लोगों को महुआ के फूल की ताजी शराब में उतनी ही मात्रा में शहद मिलाकर दवा के रूप में सेवन करना चाहिए। इससे वे एक महीने में ही तंदरुस्त नजर आने लगेंगे। यहां तक कि उन्हें जमकर भूख भी लगेगी और उनके वजन में भी इजाफा होगा। 


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