नदी को बचाने की द सूत्र की मुहिमः नागरिक जागरूक नहीं होते तो शासन तानाशाह हो जाता है- पूर्व DG

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नदी को बचाने की द सूत्र की मुहिमः नागरिक जागरूक नहीं होते तो शासन तानाशाह हो जाता है- पूर्व DG

भोपाल। राजधानी भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत को बचाने के लिए मीडिया हाउस द सूत्र के महाअभियान #SaveKaliyasot का आगाज रविवार,17 अक्टूबर को सादगी एवं गरिमामय समारोह में हुआ। कोलार रोड पर स्वर्ण जयंती पार्क के सामने हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शहर के जागरूक नागरिक, पर्यावरणविद एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने द सूत्र की मुहिम से जुड़कर शासन-प्रशासन को जगाने के लिए अभियान में सक्रिय भागीदारी निभाने का संकल्प लिया।

नदी को बचाने का आह्वान

इस अवसर पर मौजूद जनमानस को संबोधित करते हुए पूर्व IPS अधिकारी एवं डीजी लोकायुक्त अरुण गुर्टू ने कहा कि जिस शहर, देश- प्रदेश में नागरिक जागरूक नहीं होते वहां शासन- प्रशासन तानाशाह हो जाता है। इसलिए स्वस्थ लोकतंत्र में सिविल सोसाइटी का जागरूक होना बेहद जरूरी है। उन्होंने शहर के पर्यावरण के लिए कलियासोत नदी के संरक्षण और संवर्धन को जरूरी बताते हुए इसके लिए शुरु हुई मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने के लिए समाज के ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने और शासन- प्रशासन पर अपेक्षित कार्रवाई के लिए दबाव बनाने का आह्वान किया।

नदी हमारी मां है इसे बचाना सभी का धर्म हैः सुभाष सी पांडेय

पर्यावरणविद् और कलियासोत को बचाने के लिए एनजीटी (NGT) में कानूनी लड़ाई वाले याचिकाकर्ता सुभाष सी. पांडेय ने कहा कि देश में यह पहली बार हो रहा है जब किसी नदी को बचाने के लिए किसी मीडिया हाउस ने पूरे साल कैंपेन चलाने का संकल्प लिया है। उसने तिल-तिलकर मरती नदी के कत्ल के गुनहगारों को अपनी धारदार खबरों के माध्यम से बेनकाब करते हुए शहर के बीच 36 किलोमीटर बहने वाली कलियासोत को फिर से जिंदा करने का जिम्मा लिया है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है।

यदि हम-आप अपनी मां को बचाने आगे नहीं आएंगे तो कुदरत हमें माफ नहीं करेगी। जिस मुद्दे पर एनजीटी और कोर्ट हमारे साथ खड़ी है, एक प्रतिष्ठित और विश्वसनीय मीडिया हाउस इस मुद्दे पर सूत्रधार और उत्प्रेरक की भूमिका निभाने सामने आया है तो फिर समाज की भी जिम्मेदारी है कि वो शहर की इकलौती नदी के रूप में अपनी मां को बचाने की मुहिम में सक्रियता से सहभागी बने। 

सेव कलियासोत मुहिम को जनता का नैतिक समर्थन चाहिएः आनंद पांडे

द सूत्र के एडिटर इन चीफ आनंद पांडे ने कहा कि एक जिम्मेदार मीडिया हाउस के नाते द सूत्र वो काम करना चाहता है जो देश-प्रदेश, समाज और आमजन के लिए जरूरी है। जनहित से जुड़े जिन मुद्दों पर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जा रहा है या जा रहा है तो हमारे अधिकारी या नेता उसे जानबूझकर टालने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेव कलियासोत मुहिम में हमें जनता और समाज का नैतिक समर्थन चाहिए। इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए हमारा मनोबल बढ़े। सुभाष सी पांडे जैसे सोशल एक्टिविस्ट की आवाज बुलंद करना हम सभी का धर्म है। तभी हमारा समाज कुछ अच्छा कर पाएगा।  

कार्यक्रम में किसने क्या कहा

एलएन शीतल, वरिष्ठ पत्रकारः कलियासोत के कुदरती स्वरूप से छेड़छाड़ करने वाले मुख्य गुनहगारों को चिन्हित कर इनके खिलाफ पूरी ताकत से गांधीगिरी करेंगे। यदि इस अभियान के तहत रात 12 बजे भी कलियासोत बचाने के लिए बुलाया जाएगा तो हम आएंगे।

सांची राजेश, एडवोकेटः दरअसल कलियासोत का सिस्टेमेटिक मर्डर करने का प्रयास हुआ है। प्रदेश में नया कॉलोनाइजर एक्ट लागू होने जा रहा है। इसमें 2016 से पहले की अवैध कालोनियों को वैध किया जाएगा। ऐसे तो नदी का स्वरूप बचाने के लिए एनजीटी का जो आदेश है वह तो कोलेप्स हो जाएगा क्योंकि नया कानून आने से उसके निर्देश निष्प्रभावी हो जाएंगे। 

आकृति दीदी,  ब्रह्मकुमारी संस्थाः धरती का भगवान वो होगा जो देगा। जो तन से साथ दे सकते हैं वह तन से साथ दे, जो धन से साथ दे सकता है वह धन से साथ दे। सभी आगे आएं। कलियासोत को बचाने ब्रह्मकुमारी संस्था कैंपेन के साथ है।

सुनील दुबे,  वृक्ष मित्रः नदी को बचाने के लिए जबलपुर (Jabalpur) में एक संत पिछले 360 दिनों से अनशन पर बैठे हैं। हमें भी यहां एकजुट होना होगा। आज यहां कई जुटे हैं, कल हजारों होंगे। हम सब मिलकर नदी को बचाएंगे।  

राशिदनूर खान, पर्यावरणविदः कलियासोत के कत्ल करने वाले बिल्डरों के नामों को उजागर आज तक किसी मीडिया हाउस ने नहीं किया। यह काम द सूत्र कर रहा है। उसे हम सभी की बहुत बधाई और शुभकामनाएं। 

मो.सऊद, पूर्व पार्षदः जब हम सब अवेयर होंगे तभी आगे आने वाली पीढ़ी के लिए नदी बचा पाएंगे। कैंपेन में सभी जागरूक नागरिक और जनसंगठनों को आगे आकर कलियासोत नदी के कैचमेंट एरिया और ग्रीनबेल्ट को बचाना होगा। 

संतोष कंसाना, पूर्व पार्षदः पर्यावरण शुद्ध होता तो हम कोरोना से और बेहतर तरीके से लड़ पाते। इसलिए नदी और पर्यावरण का संरक्षण औऱ संवर्धन बेबद जरूरी है। 

अमिताभ अग्निहोत्री, सोशल एक्टिविस्टः मास्टर प्लान 2005 के बनते ही नदी का स्वरूप बिगड़ने का सुनियोजित षड़यंत्र शुरू हो गया था। कलियासोत डेम की 11 एकड़ सरकारी जमीन पर एक निजी रिहाइशी कालोनी कैसे बन गई। इसके जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। 

प्रदीप पांडेय, इरिगेशन इंजीनियरः डैम से जो पानी रिस-रिसकर निकल रहा है, उसे  छोटे- छोटे स्टॉप डेम बनाकर रोकना चाहिए। इससे रैनी सीजन का भी पानी रूक सकेगा और नदी में हमेशा पानी रहेगा। 

अमन मेवाड़ा, आईक्लीन भोपालः सरकार तो जागने से रही। कलियासोत शहर की पातरा नदी की तरह पूरी तरह से नाले में कंवर्ट न हो जाए इसके लिए काम करना होगा। लोगों को पॉलिथीन का कम से कम उपयोग के लिए जागरूक करना होगा।

नदी बचाने के लिए मुहिम

कार्यक्रम का संचालन द सूत्र के चीफ कंटेंट एडिटर विजय मांडगे ने किया। एडिटर सुनील शुक्ला ने इस मुहिम में शामिल सभी सहभागियों के प्रति आभार जताया। इस अवसर पर मैनेजिंग एडिटर हरीश दिवेकर, सीईओ नीरज गुप्ता, चीफ कंटेंट एडिटर चक्रेश महोबिया, वृक्ष मित्र सुभाष बाथम, डॉ. ज्योति सिंह, डॉ. दीपक रघुवंशी, डॉ. क्षमा पांडे, भूवैज्ञानिक राजेश देवलिया, एडवोकेट जयवर्धन, प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्था के भाई आशीष सहित बड़ी संख्या में वॉलंटियर भी मौजूद रहे।

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