BHOPAL. इटारसी वैसे तो काफी शांत शहर है, लेकिन यह शहर बेहद व्यस्ततम भी है। इस शहर के व्यस्ततम होने की वजह यहां पश्चिम मध्य रेल का सबसे बड़ा जंक्शन का होना है। देश को उत्तर से दक्षिण तक जोड़ने के लिए इटारसी रेलवे स्टेशन को ब्रिटिश सरकार के समय करीब 100 साल पहले विकसित किया गया था। इटारसी स्टेशन से सटकर ही रेलवे का माल गोदाम है जो यहां 1390 से ड्राइ गुड्स शेड के रूप में काम कर रहा था। समय के साथ—साथ रेलवे स्टेशन ने एक बड़े जंक्शन का रूप लिया, साथ ही रेलवे का माल गोदाम भी फैलता गया। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन और माल गोदाम के आसपास मानव बस्ती विकसित हुई। रेलवे माल गोदाम की वजह से हो रहे प्रदूषण से आम लोग प्रभावित तो हो रहे थे, लेकिन इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। द सूत्र ने पहली बार 11 जुलाई 2022 में यहां हवा, मिट्टी और पानी के सेंपल लेकर जाना की प्रदूषण किस हद तक फैला है और यह लोगों को कैसे प्रभावित कर रहा है। सबसे ज्यादा असर हवा में फैले प्रदूषण को लेकर था। उस दौरान प्रदूषण को कम करने या रोकने के लिए रेलवे द्वारा कोई भी कदम नहीं उठाया जा रहा था। दूसरी ओर वायु प्रदूषण के कारण लोग श्वांस संबंधी बीमारी की चपेट में आ रहे थे। सीमेंट डस्ट से न केवल रेलवे माल गोदाम में काम करने वाले हम्माल और मजदूर बल्कि माल गोदाम की साइड से गुजरी सड़क और वहां के आसपास के रहवासी इलाके में भी लोग इससे प्रभावित हो रहे थे।
जुलाई में दीवार बनना शुरू हुई
द सूत्र की खबर के बाद रेलवे प्रबंधन हरकत में आया। जिस माल गोदाम और रहवासी इलाके में जाने वाली सड़क के बीच पहले कुछ नहीं था, वहां रेलवे ने सीमेंट क्रांकीट की एक 6 फीट हाइट की दीवार बनाना शुरू की। इटारसी के रेलवे माल गोदाम के एक ओर नाला मोहल्ला वाला इलाका है तो दूसरी ओर नरेंद्र नगर वाला इलाका। माल गोदाम के दोनो साइड को ले लें तो करीब 25 हजार लोग यहां रहते हैं जो इस माल गोदाम से किसी ने किसी तरह से प्रभावित है। सबसे ज्यादा असर नाला मोहल्ला की ओर वाले इलाके में पड़ रहा है, क्योंकि रैक की यही लोडिंग—अनलोडिंग होती है। यह तो वह संख्या है जो स्थायी रूप से यहां रह रही है। इसलिए रेलवे द्वारा सिर्फ दीवार बनाकर किए गए प्रयास नाकाफी ही थे और इससे प्रदूषण में कोई बड़ी कमी नहीं आने वाली थी।
ज्वाइंट कमेटी ने भी माना रेल माल गोदाम की वजह से प्रदूषण
द सूत्र ने करीब तीन महीने बाद दूसरी बार अक्टूबर 2022 में एक बार फिर इटारसी रेल गोदाम को लेकर खबर पर काम किया। इस बार बेहद साइंटिफिक तरीके से बताया था कि इटारसी रेल गोदाम के आसपास प्रदूषण का स्तर कितना भयावह है... इस रिपोर्ट को बनाने के लिए पर्यावरण को लेकर वैश्विक स्तर पर काम करने वाली संस्था अर्थ जर्नलिज्म नेटवर्क और इंटर न्यूज का भी सहयोग मिला था। द सूत्र ने 28 नवंबर 2022 को सीमेंट भरी बोरी सांसो पर भारी...शीर्षक से खबर प्रसारित की थी। इस खबर में इटारसी माल गोदाम के कारण होने वाले एयर पाल्युशन और उससे हो रहे नुकसान को भी प्रमुखता से उठाया गया था। द सूत्र में प्रसारित और प्रकाशित खबर के तथ्य नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी की एक याचिका के आधार बने और एनजीटी ने प्रथम दृष्टया मामले की गंभीरता को देखते हुए नर्मदापुरम कलेक्टर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एक ज्वाइंट कमेटी गठित की। ज्वाइंट कमेटी ने दिसंबर 2022 को अपनी रिपोर्ट सबमिट की, जिसमें द सूत्र ने प्रदूषण को लेकर अपनी खबर में जो तथ्य प्रस्तुत किए थे और जिन्हें एनजीटी की याचिका का आधार बनाया गया था, वे सही पाए गए।
बदल गई है तस्वीर : पीएम—10 की वेल्यू में औसतन 50 फीसदी तक की कमी
मध्यप्रदेश में एयर पाल्युशन की खबर को लेकर जब द सूत्र जुलाई 2022 में इटारसी रेलवे माल गोदाम पहुंचा था तब से लेकर अब तक वहां की तस्वीर बदल चुकी है। द सूत्र जब इस पूरे मामले में अपनी ग्राउंड रिपोर्ट तैयार कर रहा था तब के पीएम—10 की वेल्यु और आज की वेल्यु में औसतन 50 फीसदी तक का अंतर देखने को मिला है। अक्टूबर 2022 में अपनी पड़ताल के दौरान द सूत्र ने पाया था कि रेलवे माल गोदाम और रहवासी इलाके की ओर की सड़क के बीच सिर्फ 6 फीट की दीवार थी और कुछ नहीं था, जिससे सीधे सीमेंट डस्ट सड़क और रहवासी इलाके में पहुंच रही थी। इसके अलावा रैक प्वाइंट पर भी गंदगी का अंबार था। इस दौरान सीमेंट रैक आने पर पोर्टेबल मॉनीटर से ली गई पीएम—10 की वेल्यू 550 से लेकर 645 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर तक रिकॉर्ड की गई थी। द सूत्र द्वारा प्रमुखता से खबर उठाने के बाद एनजीटी ने इस मामले में संज्ञान लिया और इसके बाद रेलवे प्रबंधन हरकत में आया। यहां रोड और माल गोदाम से लगकर बनी 6 फीट सीमेंट कांक्रीट की दीवार के उपर 20 फीट की जीआई शीड लगाई गई। डस्ट सेपरेशन के लिए 90 यूनिट स्प्रिंकलर भी लगाए गए हैं, जो जल्द ही वर्किंग में आ जाएंगे। माल गोदाम के प्लेटफार्म पर भी अब नियमित सफाई हो रही है। आश्चर्यजनक रूप से पीएम—10 की वेल्यू में 45 से 51 फीसदी तक की कमी आई। अब यहां सीमेंट रैक आने पर पीएम—10 की वेल्यू 252 से 330 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर तक आ रही है। यह वेल्यू ठीक उसी जगह निकाली गई, जहां अक्टूबर 2022 में रिपोर्ट बनाने से पहले वेल्यू ली थी।
इटारसी रेलवे माल गोदाम में एयर क्वालिटी की मॉनिटिरिंग करेगा पीसीबी
इटारसी रेलवे माल गोदाम यानी गुड्स शेड में हो रही लोडिंग अनलोडिंग से होने वाले एयर पाल्युशन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने बड़ा फैसला सुनाया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी पीसीबी को निर्देशित करते हुए कहा कि पीसीबी रेलवे के गुड्स शेड पर एयर क्वालिटी की मॉनीटरिंग करे, साथ ही एयर क्वालिटी ठीक नहीं होने पर उसकी रोकथाम के लिए तुरंत आवश्यक कार्रवाई भी करे। एनजीटी ने अपने फैसले में रेलवे गुड्स शेड में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी द्वारा “inventorisation of railway siding and guidelines for their environment management” के नाम से जारी नियमों का सख्ती से पालन करने की भी बात कही है। एनजीटी के इस फैसले के बाद अब रेलवे गुड्स शेड से होने वाले पाल्युशन खासकर एयर क्वालिटी में बेहतर सुधार होने की उम्मीद जगी है, जिससे गुड्स शेड के आसपास रहने वाले लोग आने वाले समय में साफ हवा में सांस ले सकेंगे। एनजीटी ने अपने फैसले में कहा कि लोडिंग और अनलोडिंग से होने वाले प्रदूषण के भार के अनुपात के योगदान के बारे में एक वैज्ञानिक अध्ययन किए जाने की आवश्यकता है।
एनजीटी के आदेश के बाद गुड्स शेड की बदलेगी तस्वीर
एनजीटी के आदेश के बाद अब रेलवे गुड्स शेड में सीपीसीबी द्वारा “inventorisation of railway siding and guidelines for their environment management” के नाम से जारी नियमों का सख्ती से पालन करना होगा। जिसके मुताबिक माल गोदाम जाने वाली सड़क कच्ची नहीं होगी। जहां सामान उतर रहा है, वह भी पक्का होगा, ताकि सीमेंट, फर्टीलाइजर, डीओसी जब उतरे तो वह जमीन के संपर्क में न आए, जिससे पानी दूषित न हो। एयर पाल्युशन को रोकने के लिए डस्ट स्प्रेशन की व्यवस्था की जाएगी, जिससे सीमेंट की लोडिंग—अनलोडिंग से धूल के कण हवा में न फैले और एयर पाल्युशन को कम किया जा सके। इसके अलावा ग्रीन बेल्ट भी डेवलप किया जाएगा, जिससे छायादार पेड़ लगाए जाएंगे, जिससे डस्ट रहवासी इलाकों में न पहुंचे और एयर क्वालिटी इम्प्रूव को सके। इटारसी रेलवे जंक्शन पर हर दिन करीब 250 यात्री गाड़ियों का आना जाना है, जो 11 रेलवे लाइनों के जरिए रेलवे के 16 जोन को सीधे तौर पर जोड़ती हैं। बड़ी संख्या में यहां रेल यात्री आते हैं, इनमें से कुछ इन्ही रास्तों का इस्तेमाल करते हैं जो माल गोदाम के सामने से होकर गुजरता है। ऐसे में एयर पाल्युशन के नियंत्रण को लेकर एनजीटी द्वारा दिया गया फैसला बेहद महत्वपूर्ण है, जिसे आने वाले समय में देश के अन्य रेलवे गुड्स शेड के पारिदृश्य में देखा जा सकता है।
60 करोड़ से जुझारपुर शिफ्ट होगा मालगोदाम, रेलवे बोर्ड से मिली सहमति
रेलवे के माल गोदाम को इटारसी शहर से बाहर करीब 7 किमी दूर जुझारपुर में शिफ्ट किया जाएगा। इसके लिए रेलवे 60 करोड़ खर्च करेगा। मंडल रेल प्रबंधक यानी डीआरएम स्तर पर स्वीकृती मिलने के बाद अब रेलवे बोर्ड ने भी इस पर सहमति दे दी है। शहर से माल गोदाम शिफ्ट होने के बाद यहां हो रहे प्रदूषण पर रोक लग सकेगी और लोग साफ हवा में सांस ले सकेंगे। जुझारपुर में बनने वाला माल गोदाम सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की गाइडलाइन के अनुरूप बनेगा। जुझारपुर में 15 लाख से मर्चेंट रूम, 18 लाख से लेबर रूम, 70 लाख से ब्रिज निर्माण प्रस्तावित है। गुड्स प्लेटफार्म बनाने के लिए 6.86 करोड़ और एप्रोच रोड बनाने के लिए करीब 1 करोड़ खर्च होंगे। रेलवे ट्रेक पर 5.43 करोड़ रूपए खर्च किए जाएंगे। नर्मदापुरम सांसद राव उदयप्रताप सिंह ने बताया कि इटारसी के माल गोदाम को शिफ्ट किया जाएगा। रेलवे बोर्ड भी इसे लेकर सहमत है।
धूलकण में आई कमी, द सूत्र को दिया धन्यवाद
इटारसी के रहने वाले लालू गौर द सूत्र को धन्यवाद प्रेषित कर रहे है। लागू गौर इटारसी के प्रबुद्ध नागरिकों में शामिल है और माल गोदाम की वजह से होने वाली परेशानियों से खुद भी दो चार हुए हैं। लालू गौर कहते हैं कि माल गोदाम को लेकर छोटी—मोटी खबर और मांग उठती रही, लेकिन सिर्फ द सूत्र ने इसे पूरे मामले को अपनी खबर में जिस साइंटफिक तरीके से उठाया उसके बाद रेलवे ने यहां दीवार, जीआई शीड और स्प्रिंकलर लगाए। इससे अब सीधे सीमेंट डस्ट उड़कर सड़क पर नहीं आती है और यह इटारसी में रहने वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी थी, द सूत्र को इसके लिए एक बार फिर धन्यवाद। हालांकि लालू गौर कहते हैं कि सांसद ने रेलवे माल गोदाम को शिफ्ट करने की बात कही थी, इसलिए उम्मीद यही है कि जल्द से जल्द इसे शहर से बाहर शिफ्ट किया जाए।
लोगों के स्वास्थ पर नहीं पड़ेगा सकारात्मक असर
द सूत्र ने माल गोदाम के सामने क्लीनिक चलाने वाले डॉ. दीपक विश्वास से बात की। डॉ. दीपक विश्वास से द सूत्र ने पहले भी बात की थी, जब रेलवे माल गोदाम में प्रदूषण को रोकने कोई उपाय नहीं किए थे। उस समय डॉ. दीपक विश्वास ने कहा था कि माल गोदाम की वजह से प्रदूषण हो रहा है, जिससे लोगों को श्वांस और फेफड़े संबंधी बीमारी बड़ी संख्या में हो रही है। डॉ. दीपक विश्वास का मानना है कि रेलवे प्रदूषण को रोकने के लिए वर्तमान में जो प्रयास कर रही है, उससे लोगों के स्वास्थ पर कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका एकमात्र हल माल गोदाम को आबादी इलाके से दूर शिफ्ट करना ही है।
एक्सपर्ट कमेंट : धूलकण में कमी अच्छे संकेत पर सीपीसीबी की गाइडलाइन का पूर्णत: करना होगा पालन
PM को पर्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) या कण प्रदूषण (particle pollution) भी कहा जाता है, जो कि वातावरण में मौजूद ठोस कणों और तरल बूंदों का मिश्रण है। पीएम—10 की वेल्यू में भले ही 50 फीसदी तक की कमी आई हो लेकिन यह अब भी परमीसिबल लिमिट 100 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर से कहीं अधिक है। वहीं पीएम—2.5 की वेल्यू में कोई खास अंतर देखने को नहीं मिला। पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडे बताते हैं कि धूलकण में कमी आना अच्छे संकेत हैं, लेकिन पीएम—10 और 2.5 की वेल्यू परमीसिबल लिमिट तक लाने के लिए सीपीसीबी की गाइडलाइन का पूर्णत: पालन करना होगा। दीवार और जीआई शीड के कारण पीएम—10 की वेल्यू में कमी आई, लेकिन अभी ग्रीन बेल्ट डेवलप नहीं होने से गैसीय प्रदूषण यानी पीएम—2.5 में कमी देखने को नहीं मिली है। हालांकि स्प्रिंकलर लग चुके है, जैसे ही यह चालू होंगे पीएम—10 की वेल्यू में और कमी आ जाएगी।