Damoh. प्रदेश का सबसे बड़ा और तीन जिलों में फैले नौरादेही अभयारण्य के छह शावक एक साल के हो गए हैं और अपनी माताओं के साथ शिकार की बारीकियां सीख रहे हैं। इन शावकों में चार शावक एक साल की आयु पूर्ण कर चुके हैं जबकि दो शावकों
के एक साल होने में कुछ दिन शेष हैं। सभी शावक पूर्ण रूप से स्वस्थ्य हैं और अपनी माताओं के साथ ही घूमते दिखाई देते रहते हैं। इस समय नौरादेही अभयारण्य 12 बाघों की दहाड़ से गुलजार हो रहा है और बुंदेलखंड का दूसरा टाइगर रिजर्व भी बनने के लिए तैयार है।
नौरादेही अभयारण्य को बसे तो काफी समय हो गया है इसलिए यहां बड़ी संख्या में वन्यप्राणी हैं, लेकिन इसे पहचान 2018 में मिली जब टाइगर प्रोजेक्ट के तहत यहां एक बाघ और बाघिन को लाया गया और यहां का माहौल उन्हे इतना भाया कि एक साल बाद ही बाघिन राधा ने तीन शावकों को जन्म दिया था, जिनमें दो मादा और एक नर है और बाघों की संख्या पांच हो गई यह तीनों शावक तीन साल के हो गए और बड़े से बड़ा शिकार करने लगे। इसके बाद इनकी मां राधा ने चार शावकों को जन्म दिया और कुछ ही दिन बाद राधा की बेटी बाघिन मादा एन 11 ने दो शावकों को जन्म दे दिया जिससे बाघिन राधा नानी भी बन गई और एक साथ यहां छह शावक उछल कूद करने लगे।
जवान होकर बनाऐंगे अपना इलाका
करीब एक साल बाद ये शावक पूरी तरह से जवान हो जाऐंगे और फिर इन्हें अपना इलाका बनाना है। एक ही माता पिता की संतान होने के कारण इनमें आपसी संघर्ष की संभावना भी कम है। हालांकि मादा एन 11 और राधा के नर शावकों के बीच इलाके को लेकर लड़ाईयां हो सकती हैं। हालांकि नौरादेही अभयारण्य बेहद बड़ा होने के चलते इन नर बाघों को जगह की कोई कमी नहीं होगी जिससे संभावना जताई जा रही है कि सभी शावक आसानी से अपना-अपना इलाका बना लेंगे।