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BHOPAL. मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार,लेखक, राजनीतिक विश्लेषक और द सूत्र के विशेष संवाददाता देव श्रीमाली को आज ( 17 फरवरी) को नोएडा के मारवाह फिल्म और पत्रकारिता इंस्टीट्यूट में आयोजित एक कार्यक्रम में "ग्लोबल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन जर्नलिज्म" से नवाजा जाएगा। यह सम्मान पाने वाले वे मध्यप्रदेश के पहले पत्रकार हैं।
भिंड से की पत्रकारिता की शुरुआत
देव श्रीमाली का जन्म चंबल- अंचल के भिंड में 12 सितंबर 1962 को हुआ। यहीं से ही उन्होंने अपनी शिक्षा भी हासिल की। भिंड के एमजेएस कॉलेज से एम कॉम एलएलबी , ग्वालियर से एमए हिंदी , बीजेएमसी और फिर मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन (एम जे एमसी) की डिग्री हासिल की। खास बात ये है कि उन्होंने एमजेएमसी की परीक्षा अपने विद्यार्थियों के साथ ही दी। यानी वे उन्हें पढ़ाने भी गए और फिर खुद भी उनके साथ स्टूडेंट बनकर परीक्षा दी।
18 साल की उम्र में पत्रकारिता की
देव श्रीमाली बैंक,शिक्षा,राजस्व,डाक तार विभाग और राज्य प्रशासनिक सेवा में नौकरी के लिए चयनित हुए, लेकिन उन्होंने अपना फोकस सिर्फ पत्रकारिता पर ही रखा। उन्होंने महज 18 साल की उम्र से एक साप्ताहिक वनखंडेश्वर से खबरों की दुनिया से मुलाकात की तो फिर इसी के होकर रह गए। इस दौरान उन्होंने भिंड के दैनिक उदगार, दैनिक ऋतुराज बसंत और दैनिक आचरण में काम किया। ग्वालियर में पत्रकारिता की शुरुआत दैनिक आचरण से की और उसमें विभिन्न दायित्व संभाले। 1992 से 1999 ग्वालियर में दैनिक भास्कर में विभिन्न पदों पर रहे। यहां परत दर परत चर्चित साप्ताहिक कॉलम भी लिखते थे। इसके साथ दो साल भोपाल में रहकर हिंदी मेल में भी काम किया।
अनेक राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं के लिए कर रहे लेखन
उन्होंने लंबे समय तक राष्ट्रीय दैनिक जनसत्ता से जुड़कर ग्वालियर चंबल संभाग की रिपोर्टिंग की। इसके अलावा उन्होंने आउटलुक , माया,धर्मयुग,नव भारत टाइम्स,आनंद बाजार पत्रिका,जागरण,अमर उजाला, नई दुनिया ,मध्यप्रदेश संदेश, स्वदेश, राज एक्सप्रेस सहित देश की ज्यादातर हिंदी पत्र- पत्रिकाओं के लिए समय- समय पर स्वतंत्र लेखन किया और अभी भी कर रहे हैं।
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी जमाई धाक
जब 90 के दशक में टीवी जर्नलिज्म ने भारत मे पांव पसारे तो उन्होंने इस मीडिया में 1999 में ईटीवी एमपी में काम किया। ग्वालियर- चंबल संभाग में पहले स्ट्रिंगर बनकर रिपोर्टिंग की। स्व राजकुमार केसवानी ने 2000 में राष्ट्रीय न्यूज चैंनल स्टार न्यूज के साथ जोड़ा और संभाग के ब्यूरो चीफ के रूप में काम किया। स्टार ग्रुप के बाद फिर से एनडीटीवी के पास ही आ गए। यहां पर उन्होंने बीस साल से निरंतर काम किया। इस बीच स्टार न्यूज जब एबीपी न्यूज के नाम से चैनल लॉन्च हुआ तो फिर उससे भी जुड़ गए।
डिजिटल मीडिया में भी सक्रिय
श्रीमाली बीते एक साल से प्रदेश के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित डिजिटल प्लेटफॉम "द सूत्र" से जुड़कर ग्वालियर- चंबल अंचल से रिपोर्टिंग कर रहे हैं। डिजिटल मीडिया आने के बाद बीबीसी से लेकर देश के सभी बड़े प्लेटफॉर्म के लिए निरंतर लेखन और विषय विशेषज्ञ के रूप में जुड़े हुए हैं।
अब तक मिल चुके है सम्मान
देव श्रीमाली को अब तक देश और प्रदेश के अनेक सम्मान मिल चुके है। इनमें प्रतिष्ठित राष्ट्रीय उदभव एक्सीलेंस पत्रकारिता सम्मान 2021,प्रसिध्द शब्द ऋषि सम्मान (स्टेट प्रेस क्लब इंदौर), राष्ट्रीय संजीवनी मीडिया अवार्ड ,भगवान सहाय शर्मा कलमवीर सम्मान सप्रे संग्रहालय भोपाल का राजेन्द्र नूतन श्रेष्ठ रिपोर्टर सम्मान, चंबल रत्न सम्मान,राष्ट्रकवि मैथली शरण गुप्त पत्रकारिता सम्मान , किस्सा कोताह साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान
सहित देश प्रदेश में अनेक सम्मान से नवाजा जा चुका है।
अनेक पुस्तकें लिख चुके है देव श्रीमाली
पत्रकार देव श्रीमाली ने अब तक अनेक पुस्तकें भी लिखी है। इनमें अपराध आए जुड़ी घटनाओं को लेकर आलोक तोमर के सम्पादन में- परत दर परत ,महासमर के योद्धा (स्वतंत्रता आंदोलन में ग्वालियर की भूमिका पर पुस्तक), एमपी की कला संस्कृति पर आधारित पुस्तक - विविधा का सम्पादन किया, चंबल अंचल की पुरा संपदा पर आधारित पुस्तक- गौरवशाली अतीत के साक्षी, कोरोना काल मे दिवंगत पत्रकारों के परिवारों पर आधारित विश्वभर में चर्चित किताब- बिछड़े कई बारी - बारी , लिखी। यह कोरोना पर दुनिया का पहला डॉक्यूमेंटेशन था। इस किताब का विमोचन मध्यप्रदेश की विधानसभा में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम , गृहमंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा और नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के द्वारा किया गया। जल्द ही नेशनल बुक ट्रस्ट उनके द्वारा चम्बल अंचल पर लिखी गई एक शोधपूर्ण पुस्तक शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है। इसका नाम है - चंबल संस्कृति और विरासत।