राहुल शर्मा, Bhopal. प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड (PEB), जिसे व्यापमं के नाम से भी जाना जाता है, हमेशा से विवादों में ही रहा। जब इसकी स्थापना 1982 में की गई थी, तब यह सिर्फ प्रवेश परीक्षाएं ही आयोजित कराता था, लेकिन बाद में इसे भर्ती परीक्षा की भी जिम्मेदारी दी गई। तब से ही पीईबी विवादों में ही घिरा रहा। वैसे तो कहने के लिए PEB एक नॉन प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन (गैर-लाभकारी संगठन) है, पर इसने परीक्षाओं के नाम पर जमकर मुनाफा कमाया। परिस्थिति चाहे जैसी रही हो, लेकिन PEB के लिए भर्ती परीक्षाएं हमेशा फायदे का सौदा ही रहीं। विवादित परीक्षाओं में भी PEB ने जमकर चांदी काटी।
2010-11 से 2021-22 यानी 12 साल की बात करें तो पीईबी की आय 990 करोड़ रही, वहीं इन परीक्षाओं को आयोजित करने में खर्च केवल 440 करोड़ रहा। मतलब साफ है कि PEB ने इन 12 सालों में 550 करोड़ शुद्ध प्रॉफिट कमाया। द सूत्र के पास जो दस्तावेज उपलब्ध हैं, उसके अनुसार 31 मार्च 2022 की ही स्थिति में PEB के 9 खातों में 678 करोड़ रुपए जमा हैं। कुल मिलाकर नॉन प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन में फायदा ही फायदा। बेरोजगार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अक्षय हुंका ने कहा कि पूरे प्रदेश में PEB पैसा कमाने की संस्था बनकर रह गई है, जबकि PEB को सिर्फ उतना पैसा लेना चाहिए, जितना खर्च हो रहा है। बेरोजगारों से कमाना कहां का न्याय है।
करोड़ों खर्च, फिर भी एग्जाम में सेंधमारी
PEB एग्जाम कराने के लिए करोड़ों खर्च करती है, नवीनतम टेक्नोलॉजी का उपयोग होता है, ताकि एग्जाम में कोई दिक्कत न आए। इसके बावजूद एग्जाम में सेंधमारी होने से रोक नहीं पाती। नतीजा या तो लंबे समय तक रिजल्ट अटका रहता है या फिर परीक्षा ही निरस्त कराकर दोबारा करनी पड़ती है। समूह-2, उपसमूह-4 के अन्तर्गत सहायक संपरीक्षक, कनिष्ठ सहायक, सहायक एवं डेटा एंट्री ऑपरेटर सहित ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी एवं वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी पदों की भर्ती परीक्षा इसका उदाहरण है। जहां सेंधमारी की वजह से दोबारा एग्जाम लेने पड़े।
ऐसे समझें PEB की कमाई का गणित
PEB वैसे तो हर परीक्षा के लिए अलग-अलग फीस लेता है, लेकिन यह औसतन आरक्षित वर्ग के लिए 250 रु. और अनारक्षित वर्ग के लिए 500 रु. प्रति अभ्यर्थी होती है। प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर एग्जाम कराने के लिए PEB संबंधित एजेंसी को 2017 तक 207 रुपए प्रति अभ्यर्थी और 2018 में 215 रुपए प्रति अभ्यर्थी भुगतान करती थी। इस हिसाब से यह कहा जा सकता है कि अभ्यर्थी से वसूली जाने वाली फीस का 50 से 60 फीसदी हिस्सा ही एग्जाम को आयोजित करने में खर्च किया जाता है, शेष फीस प्रॉफिट के रूप में पीईबी के खातों में जमा हो जाती है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की प्रदेश मंत्री शालिनी वर्मा ने कहा कि अन्य प्रदेशों के तुलना में मध्य प्रदेश में परीक्षाओं के नाम पर ज्यादा फीस ली जाती है, इसे कम किया जाना चाहिए।
PEB की विवादित परीक्षाएं और उनसे हुई कमाई...
1. कृषि विभाग और ग्रुप 2,4 भर्ती परीक्षा के पेपर लीक, दोबारा हुई परीक्षा
क्या रहा विवाद : 2020 में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर भर्ती की परीक्षा का पेपर लीक हुआ। इसी तरह व्यापमं की ग्रुप-2, ग्रुप-4 भर्ती परीक्षा और ग्रुप-5 की पैरामेडिकल सेवा स्टॉफ नर्स भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ पाई गई। जांच में अवैध तरीके से पेपर डाउनलोडिंग मिली, जिसके बाद इन परीक्षाओं को निरस्त कर दिया गया और बाद में दिसंबर 2021 में दोबारा परीक्षा ली गई।
कितने पद और कितने आवेदन : ग्रुप-2 ग्रुप-4 भर्ती परीक्षा में 419 पदों के लिए 30 हजार 232 आवेदन आए। वहीं कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा में 863 पदों के लिए 21 हजार 638 आवेदन आए।
कितनी हुई कमाई : ग्रुप-2 ग्रुप-4 भर्ती परीक्षा में 96 लाख 73 हजार और कृषि विस्तार अधिकारी भर्ती परीक्षा में 92 लाख 32 हजार रुपए फीस के तौर पर मिले।
2. MPTET पेपर लीक मामले में मंत्री के कॉलेज को क्लीनचिट
क्या रहा विवाद : वैसे तो परीक्षा 2020 में आयोजित होनी थी, लेकिन इसे मार्च 2022 में आयोजित किया गया। एमपी प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा (MPTET) वर्ग-3 के पेपर का स्क्रीन शॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। आरोप लगे कि वायरल पेपर परिवहन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह राजपूत के कॉलेज से हुआ था। इसके बाद MPPEB ने मामले की जांच कराई, जिसके बाद मामले को क्लीनचिट दे दी गई और 30 सितंबर 2022 को रिजल्ट जारी कर दिया गया।
कितने पद और कितने आवेदन : परीक्षा सिर्फ पात्रता परीक्षा थी, लेकिन हाल ही में स्कूल शिक्षा मंत्री इंदरसिंह परमार ने घोषणा की है कि 28 हजार प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती होगी। इस परीक्षा के लिए 7 लाख 99 हजार आवेदन आए थे।
कितनी हुई कमाई : परीक्षा के लिए दो बार आवेदन बुलाए गए। 2020 में जब आवेदन बुलाए तब 27 करोड़ 29 लाख और 2022 में आवेदन बुलाने पर 6 करोड़ 9 लाख यानी कुल 33 करोड़ 48 लाख रुपए फीस के तौर पर मिले।
3. पुलिस कॉन्सटेबल परीक्षा का अब तक नहीं आया रिजल्ट
क्या रहा विवाद : परीक्षा आयोजित करने में ही करीब 14 महीने लग गए। विज्ञापन 22 अक्टूबर 2020 को निकाला गया था। परीक्षा जनवरी 2022 में हुई। रिजल्ट 24 मार्च 2022 को जारी हुआ, लेकिन फीजिकल टेस्ट के आधार पर फाइनल रिजल्ट अब तक जारी नहीं हुआ है। दो साल से अभ्यर्थी भर्ती का ही इंतजार कर रहे हैं।
कितने पद और कितने आवेदन : पहले 4 हजार पद थे, बाद में इसे बढ़ाकर 6 हजार पद कर दिए गए। पुलिस कॉन्स्टेबल बनने के लिए 12 लाख 18 हजार युवाओं ने आवेदन किया था।
कितनी हुई कमाई : बीते साल के आंकड़ों पर गौर करें तो पीईबी को सबसे ज्यादा कमाई पुलिस भर्ती परीक्षा से हुई। सिर्फ इस एक परीक्षा से पीईबी ने 46 करोड़ 84 लाख रुपए कमाए हैं।
9 अक्टूबर को भोपाल आ रही बेरोजगारों की फौज
मध्यप्रदेश में बेरोजगारी को लेकर युवाओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। समय पर भर्तियां नहीं निकल रही है, निकल रही है तो एग्जाम महीनों बाद हो रहे हैं...गड़बड़ी के कारण रिजल्ट अटक रहे है। इसके कारण युवा अब सड़क पर उतर आए हैं। 2 अक्टूबर से इंदौर से रोजगार की मांग को लेकर पैदल मार्च शुरू किया है, जो धीरे-धीरे भोपाल की ओर बढ़ रहा है। यह पैदल मार्च 9 अक्टूबर को भोपाल में प्रवेश करेगा, इस दौरान युवा सीएम हाउस का भी घेराव कर सकते हैं। एनएसयूआई के पूर्व प्रवक्ता विवेक त्रिपाठी ने कहा कि प्रदेश में 3 लाख पद रिक्त है और इन पदों पर भर्ती की जगह सरकार बेरोजगारों से पैसा कमाने में लगी है। युवा लगातार पीईबी का घेराव कर रहे हैं। सरकार रोजगार देने में फेल साबित हुई है।