असगर कुरैशी, MANDLA. मंडला के नैनपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत हीरापुर में की कुछ महिलाओं ने ग्राम सरपंच के साथ मिलकर गांव में शराबियों के खिलाफ नशा मुक्ति अभियान के तहत एक मुहिम छेड़ दी है। गांव में अगर कोई व्यक्ति शराब बेचता या पीता दिख जाए तो उसको जुर्माने के तौर पर बेचने वाले से 10 हजार और पीने वाले से 5 हजार रुपए वसूले जाएंगे। गांव की सरपंच बिरसा बाई माराबी ने ये जानकारी दी।
नशा छुड़ाने के लिए फैसला
आदिवासी समुदायों में एक बुराई जो पूरी तरह से फैलती जा रही है वो है नशा। काफी लोग नशे के शिकार होते जा रहे हैं और इसका बहुत ही बुरा असर समाज पर पड़ रहा है। आदिवासी समुदाय अधिकतर वनोपज पर ही निर्भर रहा करते हैं। जंगलों से मिलने वाले संसाधनों से ही उनका जीवन चलता है। वन उपज में सबसे महत्वपूर्ण है महुआ का फूल, इसके फूल को सुखाकर बाजार में भी बेचा जाता है और घर में अपने इस्तेमाल के लिए रखा जाता है। नशा छुड़ाने के लिए गांव की महिलाओं ने ये फैसला लिया है।
नशे की लत की वजह से कई परिवार बर्बाद
महुआ से ही शराब भी बनती है, सालों से आदिवासी घरों में महुआ से बनी शराब का इस्तेमाल औषधि के रूप में होता आया है। लेकिन अब लोग इसी शराब का इस्तेमाल आर्थिक फायदे के लिए भी कर रहे हैं। कुछ लोग अपने घरों में भट्टी बनाकर महुआ के शराब का उत्पादन करने लगे हैं। इसी शराब का इस्तेमाल कर गांव के लोग नशे के आदी हो जा रहे हैं। शराब से ग्रसित व्यक्ति अपने घर-परिवार में लड़ाई झगड़ा करने लगता है जिससे परिवार टूटने लगे हैं। नशे की लत की वजह से अनेकों परिवार बर्बाद हो जा रहे हैं।
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नशामुक्ति अभियान की पहल में महिलाएं आगे
शराब, सिगरेट, तंबाकू, खैनी, गांजा, बीड़ी आदि नशीले पदार्थों का चलन भी गांवों में तेजी से बढ़ता जा रहा है। नशे के आदी हो जाने की वजह से युवाओं का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है। लोग कई बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। नशे की वजह से लोगों के फेफड़े और लीवर खराब होता जा रहा है। गांव में इलाज नहीं होने के कारण कई लोग झाड़-फूंक कराते हैं। ऐसे में लोगों की असमय मृत्यु हो रही है। नशे से होने वाले नुकसान को देखते हुए लोग नशामुक्ति के लिए अभियान चला रहे हैं। नशामुक्ति अभियान की पहल करने में महिलाएं आगे हैं।